Shaheedi Diwas 2023: कौन थे गुरु तेग बहादुर जी, किसने कटवाई थी उनकी गर्दन, क्या है शीश गंज गुरुद्वारे का इतिहास
Guru Tegh Bahadur Martyrdom Day 2023 Date in India: सिखों के 9वें गुरु तेग बहादुर की 24 नवंबर को पुण्यतिथि है। साल 1675 में इसी दिन औरंगजेब ने दिल्ली के लाल किले के सामने चांदनी चौक पर गुरु तेग बहादुर सिर जी का सिर कलम कर दिया था, क्योंकि उन्होंने इस्लाम कबूल करने से इंकार कर दिया था।
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Guru Tegh Bahadur Martyrdom Day 2023 Date in India: सिखों के 10 गुरुओं में से 9वें गुरु तेग बहादुर (Guru Tegh Bahadur) की 24 नवंबर को पुण्यतिथि है। इसी दिन साल 1675 में उनकी मृत्यु हई थी। धैर्य, वैराग्य और त्याग की मूर्ति कहे जाने वाले गुरु तेग बहादुर ने 20 सालों तक साधना की थी। गुरु नानक के सिद्धातों का प्रचार करने के लिए उन्होंने कश्मीर और असम की लंबी यात्रा की। उन्होंने अंधविश्वासों की आलोचना कर समाज में नए आदर्श स्थापित किए। गुरु तेग बहादुर (Guru Tegh Bahadur Martyrdom Day) जी ने आस्था, विश्वास और अधिकारी की रक्षा के लिए सर्वोच्च बलिदान दिया था। ऐसा भी माना जाता है कि उनकी शहादत दुनिया में मानव अधिकारियों के लिए पहला शहादत था, इसलिए उन्हें सम्मान के साथ 'हिंद की चादर' कहा जाता है। वो अपनी समता, करुणा, निष्ठा, प्रेम, सहानुभूति, त्याग और बलिदान जैसे विशेष गुणों के लिए जाने जाते हैं। संबंधित खबरें
गुरु तेग बहादुर जी कौन थे?संबंधित खबरें
गुरु तेग बहादुर सिंह को सिख धर्म में क्रांतिकारी युग पुरुष के रूप में जाना जाता है। उनका जन्म बैसाख कृष्ण पंचमी तिथि को पंजाब के अमृतसर में हुआ था। वो गुरु हर गोविंद सिंह जी के 5वें पुत्र थे। गुरु तेज बहादुर सिंह जी के बचपन का नाम त्यागमल था, लेकिन बाद में मुगलों के खिलाफ युद्ध में बहादुरी की वजह से वो तेग बहादुर के नाम से मशहूर हो गए। संबंधित खबरें
कैसे पड़ा गुरु तेग बहादुर नाम?संबंधित खबरें
मात्र 14 वर्ष की उम्र में ही अपने पिता के साथ उन्होंने कंधे से कंधा मिलाकर मुगलों के हमले के खिलाफ हुए युद्ध में अपना साहस दिखाकर वीरता का परिचय दिया और उनके इसी वीरता से प्रभावित होकर गुरु हर गोविंद सिंह जी ने उनका नाम तेग बहादुर यानी तलवार के धनी रख दिया। यह वही समय था जब उन्होंने गुरुबाणी, धर्मग्रंथों के साथ-साथ अस्त्र-शस्त्र और घुड़सवारी की शिक्षा भी प्राप्त की थी।संबंधित खबरें
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गुरु तेग बहादुर कब बनें 9वें गुरु?संबंधित खबरें
सिखों के 8वें गुरु हरिकृष्ण राय जी की अकाल मृत्यु के बाद गुरु तेग बहादुर जी को नौवां गुरु बनाया गया है। गुरु तेग बहादुर सिंह ने आदर्श, धर्म, मानवीय मूल्य तथा सिद्धांतों की रक्षा के लिए अपने प्राणों की आहुति दे दी। वो एक बहादुर, निर्भीक, विचारवान और उदार चित्त वाले थे। संबंधित खबरें
किसने कटवाई थी गुरु तेग बहादुर जी की गर्दन?संबंधित खबरें
माना जाता है कि जब मुगल बादशाह ने गुरु तेग बहादुर सिंह जी से इस्लाम धर्म या मौत दोनों में से एक चुनने के लिए कहा। तब मुगल बादशाह औरंगजेब चाहता था कि गुरु तेग बहादुर जी सिख धर्म को छोड़कर इस्लाम धर्म को स्वीकार कर लें, लेकिन जब गुरु तेग बहादुर जी ने इस्लाम अपनाने से इंकार कर दिया तब औरंगजेब ने उसका सिर कटवा दिया था। उनके इसी बलिदान स्वरुप में 24 नवंबर को उनका शहीदी गुरु पर्व मनाया जाता है। संबंधित खबरें
क्या है गुरुद्वारा शीश गंज साहिब का इतिहास?संबंधित खबरें
गुरुद्वारा शीश गंज साहिब दिल्ली में मौजूद 9 ऐतिहासिक गुरुद्वारों में से एक है। यह पुरानी दिल्ली के चांदनी चौक में स्थित है। बता दें कि गुरु तेग बहादुर की शहादत गुरुद्वारा शीश गंज साहिब की जगह पर ही सुनाई गयी थी। जिसके बाद सन 1783 में बघेल सिंह ने 9वें सिख गुरु, गुरु तेग बहादुर साहिब की शहादत के उपलक्ष्य में इसका निर्माण कराया था। यह कहा जाता है कि जब गुरुजी की मृत्यु हुई उस समय कोई भी उनके शरीर को ले जाने का साहस न कर सका। तभी बारिश हुई और उनके चेले उनके शरीर और उनके सिर को लेकर गए। उनके सिर को चक्क नानकी में ले जाया गया और उनके शरीर को आनंदपुर साहिब में जहां आज गुरुद्वारा रकाब गंज साहिब स्थित है।संबंधित खबरें
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TNN लाइफस्टाइल डेस्क author
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