Basant Panchami Poem in Hindi: बंसत पंचमी के मौके पर कविता कॉम्पिटिशन में आपका बच्चा करेगा टॉप, याद कराएं ये कविताएं
Basant Panchami Poem in Hindi: हर साल माघ महीने के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को बसंत पंचमी का त्योहार मनाया जाता है। इस दिन ज्ञान, कला और वाणी की देवी मां सरस्वती की विधिपूर्वक पूजा-अर्चना करने का विधान है। इस साल यह त्योहार 14 फरवरी को मनाया जाएगा।
Basant Panchami Poem in Hindi
Basant Panchami Poem in Hindi: बच्चों को पालना कोई आसान काम नहीं है। छोटे बच्चों के खान-पान से लेकर उनकी एजुकेशन हर चीज का पेरेंट्स को बेहद खास ध्यान रखने की जरूरत होती है। साथ ही बच्चों को एक्स्ट्रा करिकुलर एक्टिविटी के लिए भी प्रेरित करना हर पेरेंट्स के लिए जरूरी है। क्योंकि स्कूल में आए दिन कॉम्पिटिशन होते रहते हैं। कभी कविता के कॉम्पिटिशन तो कभी स्पोर्ट्स कॉम्पिटिशन। किसी भी कॉम्पिटिशन में बच्चा जब जीतता है तो इससे ना केवल पेरेंट्स बल्कि बच्चे का मनोबल भी काफी बढ़ता है। अब बात जब कॉम्पिटिशन की हो रही है तो कुछ दिनों में बसंत पंचमी का त्योहार मनाया जाएगा। हर साल माघ महीने के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को बसंत पंचमी का त्योहार मनाया जाता है। इस दिन ज्ञान, कला और वाणी की देवी मां सरस्वती की विधिपूर्वक पूजा-अर्चना की जाती है। इस खास मौके पर स्कूल में कविता के कॉम्पिटिशन होते हैं। अगर आप अपने बच्चे को स्कूल कॉम्पिटिशन में अव्वल स्थान पर देखना चाहते हैं तो उन्हें ये कविताएं याद करा सकते हैं। यहां देखें बसंत पंचमी की कविताएं।
Basant Panchami Poem: बसंत पंचमी पर कविता
1. देखो-देखो बसंत ऋतु है आयी।
अपने साथ खेतों में हरियाली लायी।।
किसानों के मन में हैं खुशियाँ छाई।
घर-घर में हैं हरियाली छाई।।
हरियाली बसंत ऋतु में आती है।
गर्मी में हरियाली चली जाती है।।
हरे रंग का उजाला हमें दे जाती है।
यही चक्र चलता रहता है।।
नहीं किसी को नुकसान होता है।
देखो बसंत ऋतु है आयी।।
2. धरा पे छाई है हरियाली
खिल गई हर इक डाली डाली
नव पल्लव नव कोपल फुटती
मानो कुदरत भी है हँस दी
छाई हरियाली उपवन मे
और छाई मस्ती भी पवन मे
उडते पक्षी नीलगगन मे
नई उमन्ग छाई हर मन मे
लाल गुलाबी पीले फूल
खिले शीतल नदिया के कूल
हँस दी है नन्ही सी कलियाँ
भर गई है बच्चो से गलियाँदेखो नभ मे उडते पतन्ग
भरते नीलगगन मे रंग
देखो यह बसन्त मसतानी
आ गई है ऋतुओ की रानी।
3. आया वसंत आया वसंत
छाई जग में शोभा अनंत।
सरसों खेतों में उठी फूल
बौरें आमों में उठीं झूल
बेलों में फूले नये फूल
पल में पतझड़ का हुआ अंत
आया वसंत आया वसंत।
लेकर सुगंध बह रहा पवन
हरियाली छाई है बन बन,
सुंदर लगता है घर आँगन
है आज मधुर सब दिग दिगंत
आया वसंत आया वसंत।
भौरे गाते हैं नया गान,
कोकिला छेड़ती कुहू तान
हैं सब जीवों के सुखी प्राण,
इस सुख का हो अब नही अंत
घर-घर में छाये नित वसंत।
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