Basant Panchami Poem in Hindi: बसंत पंचमी पर पढ़ें ये कविताएं, करीब से महसूस कर पाएंगे क्या होती है बसंत ऋतु

Basant Panchami Poem in Hindi: हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार, बसंत पंचमी के दिन ही ब्रह्मा जी के मुख से विद्या की देवी मां सरस्वती प्रकट हुई थी। इसलिए इस दिन को सरस्वती पूजन के रूप में भी मनाया जाता है।

Vasant Panchami 2024 kab hai

Vasant Panchami 2024 kab hai

Basant Panchami Poem in Hindi: हिंदू पंचांग के अनुसा, हर साल माघ महीने के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि पर बसंत पंचमी मनाई जाती है। इस दिन ज्ञान की देवी मां सरस्वती की पूजा की जाती है। हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार, बसंत पंचमी के दिन ही ब्रह्मा जी के मुख से विद्या की देवी मां सरस्वती प्रकट हुई थी। इसलिए इस दिन को सरस्वती पूजन के रूप में भी मनाया जाता है। बसंत पंचमी से ही पेड़ो पर सूखे पतों की जगह नये पते आने शुरू हो जाते हैं। इस दिन पीले कपड़े पहनना बेहद शुभ माना जाता है। बसंत पंचमी के दिन स्कूलों व कॉलेजों में सरस्वती पूजन के साथ विशेष कार्यक्रम आयोजित होते हैं। इस दिन बच्चों को कविताएं सनाने के लिए भी कहा जाता है। ऐसे में आज हम आपके लिए बसंत पंचमी की कुछ कविताएं लेकर आए हैं जिसे पढ़कर आप बसंत ऋतु को और भी करीब से महसूस कर पाएंगे।

Basant Panchami Poem in Hindi: बसंत पंचमी पर पढ़े यें कविता

1. धरा पे छाई है हरियाली

खिल गई हर इक डाली डाली

नव पल्लव नव कोपल फुटती

मानो कुदरत भी है हँस दी

छाई हरियाली उपवन मे

और छाई मस्ती भी पवन मे

उडते पक्षी नीलगगन मे

नई उमन्ग छाई हर मन मे

लाल गुलाबी पीले फूल

खिले शीतल नदिया के कूल

हँस दी है नन्ही सी कलियाँ

भर गई है बच्चो से गलियाँदेखो नभ मे उडते पतन्ग

भरते नीलगगन मे रंग

देखो यह बसन्त मसतानी

आ गई है ऋतुओ की रानी।

2. देखो-देखो बसंत ऋतु है आयी।

अपने साथ खेतों में हरियाली लायी।।

किसानों के मन में हैं खुशियाँ छाई।

घर-घर में हैं हरियाली छाई।।

हरियाली बसंत ऋतु में आती है।

गर्मी में हरियाली चली जाती है।।

हरे रंग का उजाला हमें दे जाती है।

यही चक्र चलता रहता है।।

नहीं किसी को नुकसान होता है।

देखो बसंत ऋतु है आयी।।

3. आया वसंत आया वसंत

छाई जग में शोभा अनंत।

सरसों खेतों में उठी फूल

बौरें आमों में उठीं झूल

बेलों में फूले नये फूल

पल में पतझड़ का हुआ अंत

आया वसंत आया वसंत।

लेकर सुगंध बह रहा पवन

हरियाली छाई है बन बन,

सुंदर लगता है घर आँगन

है आज मधुर सब दिग दिगंत

आया वसंत आया वसंत।

भौरे गाते हैं नया गान,

कोकिला छेड़ती कुहू तान

हैं सब जीवों के सुखी प्राण,

इस सुख का हो अब नही अंत

घर-घर में छाये नित वसंत।

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    TNN लाइफस्टाइल डेस्क author

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