Happy Holi 2023 Wishes, Poem: आओ रंग दूं तुम्हें, श्याम रंग से... रंगों के पर्व होली के मौके पर पेश है एक बेहतरीन कविता
Happy Holi 2023 Wishes, Quotes, Poems In Hindi: हर तरफ होली का जश्न देखने को मिल रहा है। पूरा देश होली के रंग में रंगमय हो गया है। यहां हम आपके लिए होली पर एक बेहतरीन कविता लेकर आए हैं, जिसमें रंगों के महत्व को बताया गया है। इसे अपनों को भेज आप होली के महत्व व इतिहास का जिक्र कर सकते हैं।
Happy Holi 2023 Wishes,Images: होली पर एक बेहतरीन कविता
Happy Holi 2023 Wishes, Quotes, Poems In Hindi: आज होली का पावन पर्व है। हर तरफ जश्न का माहौल देखने को मिल रहा है। मथुरा, वृंदावन से लेकर पूरा देश होली के रंग से रंगमय (Happy Holi 2023) है। प्रत्येक वर्ष फाल्गुन मास की शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि को होली का पर्व मनाया (Happy Holi 2023 Wishes In Hindi) जाता है। इस मौके पर लोग एक दूसरे को शानदार विशेज, कोट्स और शायरी भेज होली की शुभकामनाएं देते हैं।
हम आपके लिए होली पर एक बड़ी ही शानदार कविता लेकर आए हैं, जिसमें होली के महत्व व इतिहास का जिक्र किया (Happy Holi Wishes Images) गया है। तथा रंगों के महत्व को बताया (Happy Holi 2023 Quotes) गया है। इसे अपनों संग साझा कर आप होली की खुशियां बांट सकते हैं और रंगों के महत्व का जिक्र कर सकते हैं।
Happy Holi 2023 Wishes, Quotes, Poems In Hindi
आओ रंग दूँ तुम्हें, श्याम रंग से...
होली, रंगों का ही त्यौहार नहीं,त्यौहार है, मन में जमी जड़ता को दूर करने का,
उस कलुषिता को ममटाने का,
जो आ जमती है,
किन्हीं सन्देहों के कारण, तन से अधिक तो होली,
मन को रंगने का त्यौहार है, निश्छल प्रेम से, उमंग से, तरंग से, इस बार जब गले लगाएं, तो पहले मिटा लेना
सारे गिले- शिकवे, ममता लेना, उन कड़वी यादों को,
जिनके कारण मन भर गया है, निराशा, हताशा, उदासी से, हां, आज भी खेलते हैं श्याम,
होली राधा संग, श्याम क्या है- श्यामल मन, और
राधा उस मन की गहराई में छिपा,
आह्लाद, आनन्द, तो पकड़ लो हाथ,
अपनी राधा का, और रंग लो अपने, मन को आनन्द से
पीला रंग उत्साह का, उमंग का, हरा रंग सृजन का,
गुलाबी रंग रुमानी प्यार का, लाल रंग ऊष्मा का,
नीला रंग प्रेम के विस्तार का, जिसमें समा जाए सारी सृष्टि,
श्वेत रंग शान्ति का, भक्ति का, इन सब रंगों से आज रंग लो मन को
खेल लो, दिव्य होली, अपने विस्तार से,
जो कोई और नहीं, आपके ही मन का प्रतिरूप है,
इस बार जब बांह पकड़ो, तो छूटे ना, गले मिलो तो मिट जाएं सारे वहम,
आओ स्वागत है तुम्हारा, मेरे घर-मन-आंगन-द्वार,
रंगने तुम्हें, भर लिए मैंने सारे रंग,
सराबोर करने शिख से नख तक,
श्याम रंग से, जो एक बार लगे, तो फिर कभी नहीं छूटता।
डॉ. श्याम अनन्त
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आदित्य सिंह author
मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान राम की नगरी अयोध्या का रहने वाला हूं। लिखने-पढ़ने का शौकीन, राजनीति और श...और देखें
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