Happy Independence Day Hindi Poem, Shayari: Kumar Vishwas की इन देशभक्ति कविताओं से शहीदों को करें नमन, दोस्तों को भेजें ये शायरी
Kumar Vishwas Happy Independence Day 2023 Poem, Kavita, Shayari in Hindi, Swatantrata Diwas ki Hardik Shubhkamnaye Sandesh in Hindi: 15 अगस्त को हर वर्ष आजादी का पर्व मनाया जाता है। इस अवसर पर देश के अमर शहीदों को याद करने के लिए देश के सबसे लोकप्रिय कवि डॉ. कुमार विश्वास की कविताएं सुन सकते हैं!
Happy Independence Day Poems by Kumar Vishwas
Kumar Vishwas Happy Independence Day 2023 Poem, Kavita, Shayari in Hindi: 15 अगस्त को हर वर्ष आजादी का पर्व मनाया जाता है। इस दिन जगह-जगह तिरंगा झंडा फहराया जाता है। कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है। इसके अलावा स्कूल-कॉलेजों में भाषणों और निबंध प्रतियोगिताओं का आयोजन होता है। इतना ही नहीं लोग एक-दूसरे को आजादी की शुभकामनाएं भी भेजते हैं। यह दिन आजादी के आंदोलन में शहीद हुए क्रांतिकारियों को याद करने का दिन है। आज स्वतंत्रता दिवस के इस अवसर पर देश के अमर शहीदों को याद करने के लिए देश के सबसे लोकप्रिय कवि डॉ. कुमार विश्वास की कविताएं सुन सकते हैं और एक दूसरे को डॉ. कुमार विश्वास की देशभक्ति कविताएं भेज सकते हैं। पढ़ें कुमार विश्वास देशभक्ति कविताएं।
Kumar Vishwas Desh Bhakti Kavita on Independence Day 2023
'होंठों पर गंगा हो, हाथों में तिरंगा हो'
दौलत न अता करना मौला
शोहरत न अता करना मौला
बस इतना अता करना, चाहे
जन्नत न अता करना मौला
शम्मा-ए-वतन की लौ पर जब कुरबान पतंगा हो
होंठों पर गंगा हो, हाथों में तिरंगा हो
बस एक सदा ही सुनें सदा
बर्फीली मस्त हवाओं में
बस एक दुआ ही उठे सदा
जलते-तपते सहराओं में
जीते जी इसका मान रखें
मर कर मर्यादा याद रहे
हम रहें कभी ना रहें, मगर
इसकी सज-धज आबाद रहे
गोधरा न हो, गुजरात न हो, इंसान न नंगा हो
होंठों पर गंगा हो, हाथों में तिरंगा हो
गीता का ज्ञान सुनें न सुनें
इस धरती का यश-गान सुनें
हम सबद-कीर्तन सुन न सकें
भारत मां का जयगान सुनें
परवरदिगार, मैं तेरे द्वार पर ले पुकार ये आया हूं
चाहे अज़ान ना सुनें कान, पर
जय-जय हिन्दुस्तान सुनें
जन मन में उच्छल देश प्रेम का जलधि तरंगा हो
होंठों पर गंगा हो, हाथों में तिरंगा हो।
है नमन उनको कि जो देह को अमरत्व देकर
है नमन उनको कि जो देह को अमरत्व देकर
इस जगत में शौर्य की जीवित कहानी हो गये हैं
है नमन उनको कि जिनके सामने बौना हिमालय
जो धरा पर गिर पड़े पर आसमानी हो गये हैं
पिता जिनके रक्त ने उज्जवल किया कुलवंश माथा
मां वही जो दूध से इस देश की रज तौल आई
बहन जिसने सावनों में हर लिया पतझर स्वयं ही
हाथ ना उलझें कलाई से जो राखी खोल लाई
बेटियां जो लोरियों में भी प्रभाती सुन रहीं थीं
पिता तुम पर गर्व है चुपचाप जाकर बोल आये
है नमन उस देहरी को जहां तुम खेले कन्हैया
घर तुम्हारे परम तप की राजधानी हो गये हैं
है नमन उनको कि जिनके सामने बौना हिमालय ....
हमने लौटाये सिकन्दर सर झुकाए मात खाए
हमसे भिड़ते हैं वो जिनका मन धरा से भर गया है
नर्क में तुम पूछना अपने बुजुर्गों से कभी भी
उनके माथे पर हमारी ठोकरों का ही बयां है
सिंह के दाँतों से गिनती सीखने वालों के आगे
शीश देने की कला में क्या अजब है क्या नया है
जूझना यमराज से आदत पुरानी है हमारी
उत्तरों की खोज में फिर एक नचिकेता गया है
है नमन उनको कि जिनकी अग्नि से हारा प्रभंजन
काल कौतुक जिनके आगे पानी पानी हो गये हैं
है नमन उनको कि जिनके सामने बौना हिमालय
जो धरा पर गिर पड़े पर आसमानी हो गये हैं
लिख चुकी है विधि तुम्हारी वीरता के पुण्य लेखे
विजय के उदघोष, गीता के कथन तुमको नमन है
राखियों की प्रतीक्षा, सिन्दूरदानों की व्यथाओं
देशहित प्रतिबद्ध यौवन के सपन तुमको नमन है
बहन के विश्वास भाई के सखा कुल के सहारे
पिता के व्रत के फलित माँ के नयन तुमको नमन है
है नमन उनको कि जिनको काल पाकर हुआ पावन
शिखर जिनके चरण छूकर और मानी हो गये हैं
कंचनी तन, चन्दनी मन, आह, आँसू, प्यार, सपने
राष्ट्र के हित कर चले सब कुछ हवन तुमको नमन है
है नमन उनको कि जिनके सामने बौना हिमालय
जो धरा पर गिर पड़े पर आसमानी हो गये।
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