Happy Jitiya Vrat 2024 Wishes Images in Sanskrit: आस्था के रंग में रंगे इन संस्कृत श्लोक से अपनों को दें जितिया की बधाई, यहां देखें विशेज, कोट्स, मंत्र
Happy Jitiya Vrat 2024 Wishes Images in Sanskrit, Jivitputrika Vrat Ki Hardik Shubh Shubhkamnaye Sandesh: हर साल की तरह इस साल भी आश्विन माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को जितिया या जिवित्पुत्रिका का व्रत रखा जा रहा है। ऐसे में इन संस्कृत श्लोक को शेयर कर आप अपनो को जितिया की बधाई दे सकते हैं। यहां देखें जिवित्पुत्रिका व्रत बधाई संदेश-
Happy Jitiya Vrat 2024 Wishes Images in Sanskrit,Shubhkamnaye Sandesh: महिलाएं अपने बच्चों की लंबी आयु के लिए जितिया का व्रत रखती हैं। इस व्रत को जिवित्पुत्रिका व्रत के नाम से जाना ही जाता है। इस व्रत में माताएं निर्जला उपवास करती हैं। जितिया या जिवित्पुत्रिका हर साल आश्विन माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाया जाता है। धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक जो मां ये व्रत रखती हैं उनके संतान संतान तेजस्वी और ओजस्वी होते हैं। इतना ही नहीं, नवविवाहित महिलाएं भी संतान प्राप्ति के लिए जितिया व्रत रखती है। इस त्योहार को उत्तर भारत के कई राज्यों में बड़े धूम धाम के साथ मनाया जाता है। ऐसे में जब इस त्योहार को इतनी अच्छी तरह मनाया जाता है तो लोग इस खास मौके पर आपस में शुभकामनाएं और श्लोक शेयर करते हैं। आज हम आपके लिए जितिया व्रत के चुनिंदा संस्कृत के कुछ श्लोक लेकर आए हैं जिसे आप अपनों के साथ शेयर कर सकते हैं।
Happy Jitiya Vrat 2024 Wishes Images in Sanskrit
आदौ देवकी देव गर्भजननं, गोपी गृहे वद्र्धनम्।
माया पूज निकासु ताप हरणं गौवद्र्धनोधरणम्।
कंसच्छेदनं कौरवादिहननं, कुंतीसुपाजालनम्।
एतद् श्रीमद्भागवतम् पुराण कथितं श्रीकृष्ण लीलामृतम्।।
अच्युतं केशवं रामनारायणं कृष्ण:दामोदरं वासुदेवं हरे।
श्रीधरं माधवं गोपिकावल्लभं जानकी नायकं रामचन्द्रं भजे।
Happy Jitiya Vrat 2024
कर्पूरगौरं करुणावतारं संसारसारं भुजगेन्द्रहारम्।
सदा बसन्तं हृदयारविन्दे भवं भवानीसहितं नमामि।।
Happy Jitiya Vrat 2024
ओम जय कश्यप नन्दन, प्रभु जय अदिति नन्दन।
त्रिभुवन तिमिर निकंदन, भक्त हृदय चन्दन॥ ओम जय कश्यप…
सप्त अश्वरथ राजित, एक चक्रधारी।
दु:खहारी, सुखकारी, मानस मलहारी॥ ओम जय कश्यप….
अघ-दल-दलन दिवाकर, दिव्य किरण माली॥ ओम जय कश्यप…
सकल सुकर्म प्रसविता, सविता शुभकारी।
विश्व विलोचन मोचन, भव-बंधन भारी॥ ओम जय कश्यप…
कमल समूह विकासक, नाशक त्रय तापा।
सेवत सहज हरत अति, मनसिज संतापा॥ ओम जय कश्यप…
नेत्र व्याधि हर सुरवर, भू-पीड़ा हारी।
वृष्टि विमोचन संतत, परहित व्रतधारी॥ ओम जय कश्यप
सूर्यदेव करुणाकर, अब करुणा कीजै।
हर अज्ञान मोह सब, तत्वज्ञान दीजै॥ ओम जय कश्यप…
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