Happy New Year Poems: नववर्ष पर उल्लास से भर देंगी इन कवियों की कविताएं, WhatsApp पर दोस्तों को भी करें शेयर
Happy New Year Poems: नववर्ष 2023 का आगमन होने वाला है। देश के तमाम प्रसिद्ध कवियों ने नए साल पर कविताएं लिखी हैं। ये कविताए आपको नए उल्लास से भरने का काम करती हैं। आप इन्हें अपने फेसबुक और इंस्टाग्राम पर लगा सकते हैं, साथ ही वाट्सऐप पर दोस्तों को भेज सकते हैं।
Happy New Year 2023 Poems: नववर्ष 2023 का आगमन होने वाला है। लोगों ने न्यू ईयर पार्टी प्लान कर ली हैं। कोई घूमने निकल गया है तो कोई जाने वाला है। नए साल पर एक दूसरे को Happy New Year Wishes और Happy New Year 2023 Shayari भेजता है। देश के तमाम प्रसिद्ध कवियों ने नए साल पर कविताएं लिखी हैं। ये कविताएं आपको नए उल्लास से भरने का काम करती हैं। सुमित्रानंदन पंत, हरिवंश राय बच्चन जैसे कवियों ने नववर्ष पर कविता लिखी हैं। Happy New Year 2023 Quotes के साथ आप इन कविताओं को अपने फेसबुक और इंस्टाग्राम पर लगा सकते हैं, साथ ही वाट्सऐप पर दोस्तों को भेज सकते हैं।
सुमित्रानंदन पंत की कविता- नवल हर्षमय नवल वर्ष यह
नवल हर्षमय नवल वर्ष यह,
कल की चिन्ता भूलो क्षण भर;
लाला के रँग की हाला भर
प्याला मदिर धरो अधरों पर!
फेन-वलय मृदु बाँह पुलकमय
स्वप्न पाश सी रहे कंठ में,
निष्ठुर गगन हमें जितने क्षण
प्रेयसि, जीवित धरे दया कर!
केदारनाथ अग्रवाल की कविता- गए साल की
गए साल की
ठिठकी ठिठकी ठिठुरन
नए साल के
नए सूर्य ने तोड़ी।
देश-काल पर,
धूप-चढ़ गई,
हवा गरम हो फैली,
पौरुष के पेड़ों के पत्ते
चेतन चमके।
दर्पण-देही
दसों दिशाएँ
रंग-रूप की
दुनिया बिम्बित करतीं,
मानव-मन में
ज्योति-तरंगे उठतीं।
हरिवंशराय बच्चन की कविता- आओ, नूतन वर्ष मना लें
आओ, नूतन वर्ष मना लें!
गृह-विहीन बन वन-प्रयास का
तप्त आँसुओं, तप्त श्वास का,
एक और युग बीत रहा है, आओ इस पर हर्ष मना लें!
आओ, नूतन वर्ष मना लें!
उठो, मिटा दें आशाओं को,
दबी छिपी अभिलाषाओं को,
आओ, निर्ममता से उर में यह अंतिम संघर्ष मना लें!
आओ, नूतन वर्ष मना लें!
हुई बहुत दिन खेल मिचौनी,
बात यही थी निश्चित होनी,
आओ, सदा दुखी रहने का जीवन में आदर्श बना लें!
आओ, नूतन वर्ष मना लें!
सोहनलाल द्विवेदी की कविता- नववर्ष
स्वागत! जीवन के नवल वर्ष
आओ, नूतन-निर्माण लिये,
इस महा जागरण के युग में
जाग्रत जीवन अभिमान लिये;
दीनों दुखियों का त्राण लिये
मानवता का कल्याण लिये,
स्वागत! नवयुग के नवल वर्ष!
तुम आओ स्वर्ण-विहान लिये।
संसार क्षितिज पर महाक्रान्ति
की ज्वालाओं के गान लिये,
मेरे भारत के लिये नई
प्रेरणा नया उत्थान लिये;
मुर्दा शरीर में नये प्राण
प्राणों में नव अरमान लिये,
स्वागत!स्वागत! मेरे आगत!
तुम आओ स्वर्ण विहान लिये!
युग-युग तक पिसते आये
कृषकों को जीवन-दान लिये,
कंकाल-मात्र रह गये शेष
मजदूरों का नव त्राण लिये;
श्रमिकों का नव संगठन लिये,
पददलितों का उत्थान लिये;
स्वागत!स्वागत! मेरे आगत!
तुम आओ स्वर्ण विहान लिये!
सत्ताधारी साम्राज्यवाद के
मद का चिर-अवसान लिये,
दुर्बल को अभयदान,
भूखे को रोटी का सामान लिये;
जीवन में नूतन क्रान्ति
क्रान्ति में नये-नये बलिदान लिये,
स्वागत! जीवन के नवल वर्ष
आओ, तुम स्वर्ण विहान लिये!
सर्वेश्वरदयाल सक्सेना की कविता- नए साल की शुभकामनाएं !
नए साल की शुभकामनाएँ!
खेतों की मेड़ों पर धूल भरे पाँव को
कुहरे में लिपटे उस छोटे से गाँव को
नए साल की शुभकामनाएं!
जाँते के गीतों को बैलों की चाल को
करघे को कोल्हू को मछुओं के जाल को
नए साल की शुभकामनाएँ!
इस पकती रोटी को बच्चों के शोर को
चौंके की गुनगुन को चूल्हे की भोर को
नए साल की शुभकामनाएँ!
वीराने जंगल को तारों को रात को
ठंडी दो बंदूकों में घर की बात को
नए साल की शुभकामनाएँ!
इस चलती आँधी में हर बिखरे बाल को
सिगरेट की लाशों पर फूलों से ख़याल को
नए साल की शुभकामनाएँ!
कोट के गुलाब और जूड़े के फूल को
हर नन्ही याद को हर छोटी भूल को
नए साल की शुभकामनाएँ!
उनको जिनने चुन-चुनकर ग्रीटिंग कार्ड लिखे
उनको जो अपने गमले में चुपचाप दिखे
नए साल की शुभकामनाएँ!
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