Republic Day Poem: 'है नमन उनको कि जिनके सामने बौना हिमालय...', गणतंत्र दिवस पर पढ़ें डॉ. कुमार विश्वास की ये कविता

Happy Republic Day 2023 Poem: देशभर में आज 74वां गणतंत्र दिवस समारोह मनाया जा रहा है। जाने माने कवि डॉ. कुमार विश्वास ने भी देश के अमर शहीदों के प्रति एक कविता लिखी है जोकि गणतंत्र दिवस पर जरूर पढ़ी जानी चाहिए।

Republic Day Poem: 'है नमन उनको कि जिनके सामने बौना हिमालय...', गणतंत्र दिवस पर पढ़ें डॉ. कुमार विश्वास की ये कविता

Happy Republic Day 2023 Poem Dr. Kumar Vishwas: :देशभर में आज 74वां गणतंत्र दिवस समारोह मनाया जा रहा है। 26 जनवरी 1950 को हमारे देश का संविधान लागू हुआ था और तब से इस दिन को गणतंत्र दिवस के रूप में मनाया जाता है। इस दिन राजपथ (अब कर्तव्य पथ) पर परेड का आयोजन होता है और देश की तीनों सेनाएं अपने शौर्य और पराक्रम का परिचय देती हैं। वहीं संस्थानों में तिरंगा फहराया जाता है। इस दिन देशभक्ति के गीत सुनाई देते हैं। तमाम कविओं ने गणतंत्र दिवस पर कविताएं लिखी हैं। जाने माने कवि डॉ. कुमार विश्वास ने भी देश के अमर शहीदों के प्रति एक कविता लिखी है जोकि गणतंत्र दिवस पर जरूर पढ़ी जानी चाहिए।

Dr Kumar Vishwas Poem on Republic Day

है नमन उनको कि जो देह को अमरत्व देकर

इस जगत में शौर्य की जीवित कहानी हो गये हैं

है नमन उनको कि जिनके सामने बौना हिमालय

जो धरा पर गिर पड़े पर आसमानी हो गये हैं

पिता जिनके रक्त ने उज्जवल किया कुलवंश माथा

मां वही जो दूध से इस देश की रज तौल आई

बहन जिसने सावनों में हर लिया पतझर स्वयं ही

हाथ ना उलझें कलाई से जो राखी खोल लाई

बेटियां जो लोरियों में भी प्रभाती सुन रहीं थीं

पिता तुम पर गर्व है चुपचाप जाकर बोल आये

है नमन उस देहरी को जहां तुम खेले कन्हैया

घर तुम्हारे परम तप की राजधानी हो गये हैं

है नमन उनको कि जिनके सामने बौना हिमालय ....

हमने लौटाये सिकन्दर सर झुकाए मात खाए

हमसे भिड़ते हैं वो जिनका मन धरा से भर गया है

नर्क में तुम पूछना अपने बुजुर्गों से कभी भी

उनके माथे पर हमारी ठोकरों का ही बयां है

सिंह के दाँतों से गिनती सीखने वालों के आगे

शीश देने की कला में क्या अजब है क्या नया है

जूझना यमराज से आदत पुरानी है हमारी

उत्तरों की खोज में फिर एक नचिकेता गया है

है नमन उनको कि जिनकी अग्नि से हारा प्रभंजन

काल कौतुक जिनके आगे पानी पानी हो गये हैं

है नमन उनको कि जिनके सामने बौना हिमालय

जो धरा पर गिर पड़े पर आसमानी हो गये हैं

लिख चुकी है विधि तुम्हारी वीरता के पुण्य लेखे

विजय के उदघोष, गीता के कथन तुमको नमन है

राखियों की प्रतीक्षा, सिन्दूरदानों की व्यथाओं

देशहित प्रतिबद्ध यौवन के सपन तुमको नमन है

बहन के विश्वास भाई के सखा कुल के सहारे

पिता के व्रत के फलित माँ के नयन तुमको नमन है

है नमन उनको कि जिनको काल पाकर हुआ पावन

शिखर जिनके चरण छूकर और मानी हो गये हैं

कंचनी तन, चन्दनी मन, आह, आँसू, प्यार, सपने

राष्ट्र के हित कर चले सब कुछ हवन तुमको नमन है

है नमन उनको कि जिनके सामने बौना हिमालय

जो धरा पर गिर पड़े पर आसमानी हो गये।

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कुलदीप राघव author

कुलदीप सिंह राघव 2017 से Timesnowhindi.com ऑनलाइन से जुड़े हैं।पॉटरी नगरी के नाम से मशहूर यूपी के बुलंदशहर जिले के छोटे से कस्बे खुर्जा का रहने वाला ह...और देखें

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