Hasrat Mohani Shayari: हमको अब तक आशिकी का वो जमाना याद है.., पढ़ें इश्क और इंकलाब की स्याही से लिखे हसरत मोहानी के बेहतरीन शेर
Hasrat Mohani Shayari (हसरत मोहानी की शायरी): हिंदुस्तानी सरजमीं को अपना महबूब मानने वाले हसरत मोहानी ने ही चुपके-चुपके रात-दिन आंसू बहाना याद है जैसी मशहूर ग़ज़ल भी लिखी है। आज भी उनकी लिखी ग़ज़लें और शायरी बहुत लोकप्रिय हैं। इरशाद के आज के अंक में आइए पढ़ें उनकी कलम से निकले कुछ मशहूर शेर।
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Hasrat Mohani Shayari in Urdu, Hindi (हसरत मोहानी शायरी): हसरत मोहानी ऐसे शायर रहे जिनकी कलम इश्क और इंकलाब के बीच खूब चली। उन्होंने मोहब्बत की स्याही से चुपके चुपके रात दिन आंसू बहाना याद है लिखा तो वहीं जब अपनी कलम में इंकलाब की स्याही डाली तो मादर-ए-वतन के लिए एक से बढ़कर एक नगमें लिख डाले। वो हसरत मोहानी ही थे जिन्होंने देश को इंकलाब जिंदाबाद का नारा दिया था। हसरत मोहानी को छोटी उम्र में ही शायरी का शौक चढ़ गया था। बीतते समय के साथ यह शौक जुनून बन गया। उन दिनों जब हिंदुस्तान पर अंग्रेज जुल्म कर रहे थे हसरत ने अपनी शायरी इस सितम के ख़िलाफ़ मुकम्मल आवाज़ बना लिया। आइए पढ़ते हैं हसरत मोहानी के कुछ मशहूर शेर:
Hasrat Mohani Shayari in Hindi | Maulana Hasrat Mohani Sher
1. चोरी चोरी हम से तुम आ कर मिले थे जिस जगह
मुद्दतें गुज़रीं पर अब तक वो ठिकाना याद है
2. ऐसे बिगड़े कि फिर जफ़ा भी न की
दुश्मनी का भी हक़ अदा न हुआ
3. छुप नहीं सकती छुपाने से मोहब्बत की नज़र
पड़ ही जाती है रुख़-ए-यार पे हसरत की नज़र
4. देखा किए वो मस्त निगाहों से बार बार
जब तक शराब आई कई दौर हो गए
5. जो और कुछ हो तिरी दीद के सिवा मंज़ूर
तो मुझ पे ख़्वाहिश-ए-जन्नत हराम हो जाए
6. आप को आता रहा मेरे सताने का ख़याल
सुलह से अच्छी रही मुझ को लड़ाई आप की
7. चुपके चुपके रात दिन आँसू बहाना याद है
हम को अब तक आशिक़ी का वो ज़माना याद है
8. इक़रार है कि दिल से तुम्हें चाहते हैं हम
कुछ इस गुनाह की भी सज़ा है तुम्हारे पास
9. मालूम सब है पूछते हो फिर भी मुद्दआ'
अब तुम से दिल की बात कहें क्या ज़बाँ से हम
10. वफ़ा तुझ से ऐ बेवफ़ा चाहता हूँ
मिरी सादगी देख क्या चाहता हूँ
11. शेर दर-अस्ल हैं वही 'हसरत'
सुनते ही दिल में जो उतर जाएँ
12. आईने में वो देख रहे थे बहार-ए-हुस्न
आया मेरा ख़याल तो शर्मा के रह गए
13. छुप नहीं सकती छुपाने से मोहब्बत की नज़र
पड़ ही जाती है रुख़-ए-यार पे हसरत की नज़र
14.आरज़ू तेरी बरक़रार रहे
दिल का क्या है रहा रहा न रहा
15. उस ना-ख़ुदा के ज़ुल्म ओ सितम हाए क्या करूँ
कश्ती मिरी डुबोई है साहिल के आस-पास
16. शाम हो या कि सहर याद उन्हीं की रखनी
दिन हो या रात हमें ज़िक्र उन्हीं का करना
17. हम क्या करें अगर न तिरी आरज़ू करें
दुनिया में और भी कोई तेरे सिवा है क्या
18. देखा किए वो मस्त निगाहों से बार बार
जब तक शराब आई कई दौर हो गए
19. फिर और तग़ाफ़ुल का सबब क्या है ख़ुदाया
मैं याद न आऊँ उन्हें मुमकिन ही नहीं है
20. बरसात के आते ही तौबा न रही बाक़ी
बादल जो नज़र आए बदली मेरी नीयत भी
21. आप को आता रहा मेरे सताने का ख़याल
सुलह से अच्छी रही मुझ को लड़ाई आप की
बता दें कि उत्तर प्रदेश के उन्नाव जिले के मोहान गांव में 1 जनवरी, 1875 को पैदा हुये हसरत मोहानी का असली नाम था सय्यद फ़ज़ल-उल-हसन। उन्होंने मशहूर शायर तसलीम लखनवी और नसीम देहलवी से शायरी के हुनर को चमकाया। इश्क़ और इंक़लाब की शायरी करने वाले हसरत मोहानी सच्चे मुसलमान तो थे ही, भगवान कृष्ण के भी बड़े भक्त थे। मोहानी कृष्ण को पैगंबर मानते थे। कई बार हज कर चुके मोहानी हर साल जन्माष्टमी के दिन मथुरा जरूर जाया करते थे।
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Suneet Singh author
मैं टाइम्स नाऊ नवभारत के साथ बतौर डिप्टी न्यूज़ एडिटर जुड़ा हूं। मूल रूप से उत्तर प्रदेश में बलिया क...और देखें
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