Hasrat Mohani Shayari: आरज़ू तेरी बरक़रार रहे, दिल का क्या है रहा रहा न रहा.., पढ़ें मौलाना हसरत मोहानी के 21 मशहूर शेर
Hasrat Mohani Shayari: मौलाना हसरत मोहानी- यही वह नाम है जिसने हिंदोस्तां को इंकलाब जिंदाबाद का नारा दिया। नगमागारी की दुनिया में हसरत मोहानी का नाम बेहद अदब से लिया जाता है। आज भी उनकी लिखी ग़ज़लें और शायरी बहुत लोकप्रिय हैं।
Hasrat Mohani Shayari in Hindi, Urdu (हसरत मोहानी की शायरी)
Hasrat Mohani Shayari in Urdu, Hindi:उर्दू अदब की दुनिया में हसरत मोहानी वह शख्स है जो एक लाजवाब शायर, एक महान मगर नाकाम सियासतदां, एक सूफ़ी, दरवेश और योद्धा, एक पत्रकार, आलोचक और शोधकर्ता रहे। यही वह नाम है जिसने हिंदोस्तां को इंकलाब जिंदाबाद का नारा दिया। नगमागारी की दुनिया में हसरत मोहानी का नाम बेहद अदब से लिया जाता है। हसरत मोहानी ने अपनी शायरी से लोगों के बीच आजादी की अलख जगाई थी। मादर-ए-वतन अपना महबूब मानने वाले हसरत मोहानी ने ही चुपके-चुपके रात-दिन आंसू बहाना याद है जैसी मशहूर ग़ज़ल भी लिखी है। आज भी उनकी लिखी ग़ज़लें और शायरी बहुत लोकप्रिय हैं। आइए पढ़ें उनकी कलम से निकले कुछ मशहूर कलाम:
ऐसे बिगड़े कि फिर जफ़ा भी न की
दुश्मनी का भी हक़ अदा न हुआ
चोरी चोरी हम से तुम आ कर मिले थे जिस जगह
मुद्दतें गुज़रीं पर अब तक वो ठिकाना याद है
छुप नहीं सकती छुपाने से मोहब्बत की नज़र
पड़ ही जाती है रुख़-ए-यार पे हसरत की नज़र
जो और कुछ हो तिरी दीद के सिवा मंज़ूर
तो मुझ पे ख़्वाहिश-ए-जन्नत हराम हो जाए
देखा किए वो मस्त निगाहों से बार बार
जब तक शराब आई कई दौर हो गए
चुपके चुपके रात दिन आँसू बहाना याद है
हम को अब तक आशिक़ी का वो ज़माना याद है
आईने में वो देख रहे थे बहार-ए-हुस्न
आया मेरा ख़याल तो शर्मा के रह गए
आप को आता रहा मेरे सताने का ख़याल
सुलह से अच्छी रही मुझ को लड़ाई आप की
आरज़ू तेरी बरक़रार रहे
दिल का क्या है रहा रहा न रहा
इक़रार है कि दिल से तुम्हें चाहते हैं हम
कुछ इस गुनाह की भी सज़ा है तुम्हारे पास
उस ना-ख़ुदा के ज़ुल्म ओ सितम हाए क्या करूँ
कश्ती मिरी डुबोई है साहिल के आस-पास
छुप नहीं सकती छुपाने से मोहब्बत की नज़र
पड़ ही जाती है रुख़-ए-यार पे हसरत की नज़र
देखा किए वो मस्त निगाहों से बार बार
जब तक शराब आई कई दौर हो गए
फिर और तग़ाफ़ुल का सबब क्या है ख़ुदाया
मैं याद न आऊँ उन्हें मुमकिन ही नहीं है
बरसात के आते ही तौबा न रही बाक़ी
बादल जो नज़र आए बदली मेरी नीयत भी
मालूम सब है पूछते हो फिर भी मुद्दआ'
अब तुम से दिल की बात कहें क्या ज़बाँ से हम
वफ़ा तुझ से ऐ बेवफ़ा चाहता हूँ
मिरी सादगी देख क्या चाहता हूँ
शेर दर-अस्ल हैं वही 'हसरत'
सुनते ही दिल में जो उतर जाएँ
शाम हो या कि सहर याद उन्हीं की रखनी
दिन हो या रात हमें ज़िक्र उन्हीं का करना
हम क्या करें अगर न तिरी आरज़ू करें
दुनिया में और भी कोई तेरे सिवा है क्या
बता दें कि मौलाना हसरत मोहानी का असली नाम सैयद फ़ज़ल-उल-हसन था। उनका जन्म उत्तर प्रदेश में उन्नाव जिले के मोहान कस्बे में हुआ था। मोहान से ताल्लुक रखने के कारण ही उनके नाम में 'मोहानी' जुड़ गया। उनके इंतकाल के साथ उनका सियासी संघर्ष इतिहास के पन्नों में दर्ज हो गया लेकिन शायरी उनको आज भी पहले की तरह ज़िंदा रखे हुए है।
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मैं टाइम्स नाऊ नवभारत के साथ बतौर डिप्टी न्यूज़ एडिटर जुड़ा हूं। मूल रूप से उत्तर प्रदेश में बलिया के रहने वाला हूं और साहित्य, संगीत और फिल्मों में म...और देखें
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