Hindi Diwas 2024: हिंदी दिवस पर पढ़ें पंडित जवाहर लाल नेहरू का वो ऐतिहासिक भाषण जो बिना सुने सोने चले गए थे महात्मा गांधी, देखें ट्रिस्ट विद डेस्टिनी स्पीच हिंदी में

Hindi Diwas 2024: 14 सितंबर का दिन हमारी राजकीय भाषा हिंदी को समर्पित है। भाषा से ही एक व्यक्ति की पहचान होती है। बात जब हिंदी की आती है तो यह इस भाषा का ही प्रभाव है जो देश के विभिन्न धर्मों और संस्कृतियों के लोगों को एकता के सूत्र में पिरोई हुई है।

Hindi Diwas 2024, Tryst With Destiny in Hindi

Hindi Diwas 2024 Speech: हर साल की तरह इस बार भी 14 सितंबर को हिंदी दिवस मनाया जा रहा है। ये दिन हम हिंदुस्तानियों के लिए सबसे खास है। बता दें कि राजकीय भाषा हिंदी दुनिया की सबसे पुरानी भाषाओं में से है। भारतीय तो न जाने कितने सालों से हिंदी को ही अपनी राष्ट्रभाषा कहते हैं। हिंदी सैकड़ों साल से बोली जा रही है, हालांकि कुछ ऐतिहासिक भाषण ऐसे हैं जो अंग्रेजी या फिर किसी दूसरी क्षेत्रीय भाषा में दिये गए। ऐसी ही एक मशहूर स्पीच है जिसे हम ट्रिस्ट विद डेस्टिनी (Tryst With Destiny) के नाम से जानते हैं।

भारत की आजादी के ऐलान के लिए 14 अगस्त 1947 की मध्यरात्रि पंडित जवाहर लाल नेहरू ने वायसराय लॉज (मौजूदा राष्ट्रपति भवन) से ऐतिहासिक भाषण 'ट्रिस्ट विद डेस्टिनी' दिया था। इस भाषण को पूरी दुनिया ने सुना था लेकिन महात्मा गांधी ने नहीं सुनी। भारत को आजाद करवाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले महात्मा गांधी उस दिन रात 9 बजे ही सोने चले गए थे। आइए हिंदी में पढ़ें पंडित नेहरू की वह ऐतिहासिक स्पीच:

कई साल पहले हमने भाग्य को बदलने का प्रयास किया था और अब वो समय आ गया है जब हम अपनी प्रतिज्ञा से मुक्त हो जाएंगे। पूरी तरह से नहीं लेकिन ये महत्वपूर्ण है। आज रात 12 बजे जब पूरी दुनिया सो रही होगी तब भारत स्वतंत्र जीवन के साथ नई शुरुआत करेगा।ये ऐसा समय होगा जो इतिहास में बहुत कम देखने को मिलता है। पुराने से नए की ओर जाना, एक युग का अंत हो जाना,अब वर्षों से शोषित देश की आत्मा अपनी बात कह सकती है। यह संयोग है कि हम पूरे समर्पण के साथ भारत और उसकी जनता की सेवा के लिए प्रतिज्ञा ले रहे हैं। इतिहास की शुरुआत के साथ ही भारत ने अपनी खोज शुरू की और न जाने कितनी सदियां इसकी भव्य सफलताओं और असफलताओं से भरी हुई हैं।समय चाहे अच्छा हो या बुरा, भारत ने कभी इस खोज से नजर नहीं हटाई, कभी अपने उन आदर्शों को नहीं भुलाया जिसने आगे बढ़ने की शक्ति दी। आज एक युग का अंत कर रहे हैं लेकिन दूसरी तरफ भारत खुद को खोज रहा है। आज जिस उपलब्धि की हम खुशियां मना रहे हैं, वो नए अवसरों के खुलने के लिए केवल एक कदम है। इससे भी बड़ी जीत और उपलब्धियां हमारा इंतजार कर रही हैं। क्या हममे इतनी समझदारी और शक्ति है जो हम इस अवसर को समझें और भविष्य में आने वाली चुनौतियों को स्वीकार करें? हमें आराम नहीं करना है और न चैन से बैठना है बल्कि लगातार कोशिश करनी है। जिससे हम जो बात कहते हैं या कह रहे हैं उसे पूरा कर सकें। भारत की सेवा का मतलब है करोड़ों पीड़ितों की सेवा करना। इसका अर्थ है अज्ञानता और गरीबी को मिटाना, बीमारियों और अवसर की असमानता को खत्म करना। हमारी पीढ़ी के सबसे महान व्यक्ति की यही इच्छा रही है कि हर आंख से आंसू मिट जाएं।

- जवाहर लाल नेहरू

14 अगस्त की शाम जब सूरज डूब रहा था, तब आखिरी बार ब्रिटिश राज का झंडा यूनियन जैक उतार लिया गया और देश की संविधान सभा ने देश की सत्ता भारतीयों के हाथों में आने का ऐलान किया। 7 दशक बाद भी संविधान सभा में जवाहर लाल नेहरू के इस ऐतिहासिक भाषण 'ट्रिस्ट विद डेस्टिनी' की गूंज सुनाई देती है।

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