Parenting Tips: रणबीर कपूर की फिल्म 'एनिमल' का ट्रेलर रिलीज हो चुका है। 3 मिनट 33 सेकेंड के इस ट्रेलर में बाप-बेटे के युनिक रिश्ते को देखा जा सकता है। काम में बिजी पिता बेटे को समय नहीं देता, उसपर चिल्लाता है। लेकिन बेटे के मन में उसके लिए नफरत नहीं बल्कि बेइंतहा प्यार है। बेटे के प्यार की हद भी कुछ इस कदर पार हुई है कि वो पिता की खातिर क्रिमिनल बन चुका है। वैसे तो कोई भी मां-बाप अपने बच्चे को गलत राह पर नहीं जाने देना चाहते, लेकिन पेरेंट्स से कुछ ऐसी गलतियां हो जाती हैं जो उनके बच्चे को जिद्दी और मगरूर बना देती हैं। जिद्दी बच्चों को संभालना खुद माता-पिता के लिए एक चुनौती बन जाती है। बच्चे की पर्सनैलिटी को शेप देने में पेरेंट्स अहम भूमिका निभाते हैं। माता-पिता अपने बच्चे के साथ किस तरह व्यवहार करते हैं, इसी बात पर निर्भर करता है कि बच्चा जिद्दी बना रहेगा या वो अपनी इस आदत को छोड़ देगा। तो अगर आपका बच्चा भी जिद्दी होता जा रहा है, तो यहां हम आपको बच्चे के साथ कैसे डील की जाए, इसके लिए कुछ आसान तरीके बता रहे हैं।
बच्चों को कोई एक चीज पसंद आ जाए तो उसे लेने के लिए जिद पकड़ लेते हैं और जब तक उन्हें वो चीज नहीं मिलती, वो अपने पेरेंट्स को चैन की सांस नहीं लेने देते हैं। ऐसे बच्चों को जिद्दी कहा जाता है और ये बिलकुल भी को-ऑपरेटिव नहीं होते हैं। अगर आप इन्हें कुछ समझाते हैं या कोई गलती करने से रोकने की कोशिश करते हैं, तो ये आपकी बात को इग्नोर कर देते हैं क्योंकि इन्हें अपनइ मनमर्जी करनी होती है और इन्हें बस अपनी सोच ठीक लगती है। जिद्दी बच्चों की आदत पेरेंट्स को बहुत परेशान करती है।
बात सुनें
अक्सर माता-पिता अपनी व्यस्त जीवनशैली के कारण बच्चों की बातें इग्नोर कर देते हैं, लेकिन ऐसा करने से बच्चा अपनी बात सुनाने के लिए जिद्द करने लगता है। धीरे-धीरे यह उसकी आदत में शुमार हो जाता है। इसीलिए जरूरी है कि आप अपने बच्चे की बात को अच्छे से सुने। बढ़ती उम्र के बच्चों के पास अपनी बात सुनाने के लिए माता-पिता के अलावा कोई भी नहीं होता। इसलिए वे अपनी बातें अपने माता-पिता के साथ शेयर करना चाहते हैं।
सही-गलत का दिलाएं एहसास
बढ़ती उम्र के बच्चों को सही और गलत का कोई एहसास नहीं होता है। ऐसे में जब बच्चे कोई गलती करते हैं तो माता-पिता उन्हें चिल्लाकर या डांट कर चुप करा देते हैं। ऐसा करने से बच्चे के अंदर एक गुस्सा बढ़ता है। पेरेंट्स, खासतौर से मां के लिए जरूरी है कि वो बच्चे को बिठाकर प्यार से गलत-सही का फर्क समझाए।
हिंसा करने से बचें
बढ़ती उम्र के बच्चे बहुत ज्यादा शैतानी करते हैं। ऐसे में माता-पिता उन पर गुस्सा हो जाते हैं और कई बार तो उन्हें मार भी देते हैं, लेकिन ऐसा करने से बच्चे के अंदर गुस्सा और चिड़चिड़ापन बढ़ जाता है। इसलिए जरूरी है कि मां-बाप अपने ऊपर संयम रखें और बच्चे पर गुस्सा ना करें। कम से कम बच्चे को उनकी बात बोलने का एक मौका दें। साथ ही माता-पिता के लिए जरूरी है कि वह बच्चे की बात समझें और उसे डांटने मारने की जगह बात का सही जवाब दें।
परेशानी समझें
कई बार पेरेंट्स अपने काम में इतने ज्यादा बिजी होते हैं कि बच्चे की प्रॉब्लम को ठीक करने की बजाय उसे इग्नोर कर देते हैं। जब बच्चे को इस बात का एहसास होता है तो वो धीरे-धीरे माता-पिता को अपनी प्रॉब्लम ही बताना बंद कर देता है और खुद अपना बॉस बन जाता है। ऐसे बच्चों में जिद्द और बद्तमीजी बढ़ती है।