Independence Day Poetry: स्वतंत्रता दिवस पर वीर रस की कविताएं, यहां देखें देशभक्ति की Poems in Hindi
Independence Day Poetry (स्वतंत्रता दिवस पर वीर रस की कविताएं) : देश में हर साल 15 अगस्त को स्वतंत्रता दिवस मनाया जाता है। ये दिन प्रतीक है उन करोड़ों कुर्बानियों और बलिदानों का जिनके दम पर हम गुलामी की जंजीरें तोड़ने में सफल रहे थे। यहां आप स्वतंत्रता दिवस पर वीर रस की कविताएं देख सकते हैं। साथ ही देखें इंडिपेंडेंस डे की शायरी, स्वतंत्रता दिवस पर कविता हिंदी में लिखित।
Independence Day Poetry
Independence Day Poetry (स्वतंत्रता दिवस पर वीर रस की कविताएं) : 15 अगस्त 1947 को भारत देश आजाद हुआ था और इस आजादी को हासिल करने के लिए ना जाने कितने ही क्रांतिकारियों ने अपना लहू बहाया था। हर साल 15 अगस्त को स्वतंत्रता दिवस मनाकर आजादी का जश्न मनाया जाता है। इस मौके पर लोग एक-दूसरे को स्वतंत्रता दिवस की शुभकामनाएं (Independence Day 2023 Wishes, Quotes) भी भेजते हैं। देशभर में आजादी के कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। इन कार्यक्रमों में भाषण होते हैं, क्रांतिकारियों के संस्मरण सुनाए जाते हैं और कविताओं का पाठ होता है। इस स्वतंत्रता दिवस हम आपके लिए लाए हैं स्वतंत्रता दिवस पर वीर रस की कविता, जिन्हें पढ़कर आपके रोंगटे खड़े हो जाएंगे। यहां आप स्वतंत्रता दिवस पर वीर रस की कविताएं देख सकते हैं। साथ ही देखें इंडिपेंडेंस डे की शायरी, स्वतंत्रता दिवस पर कविता हिंदी में लिखित।
स्वतंत्रता दिवस पर वीर रस की कविताएं
1- आह्वान (अशफाकउल्ला खां)
कस ली है कमर अब तो, कुछ करके दिखाएंगे,
आजाद ही हो लेंगे, या सर ही कटा देंगे
हटने के नहीं पीछे, डरकर कभी जुल्मों से
तुम हाथ उठाओगे, हम पैर बढ़ा देंगे
बेशस्त्र नहीं हैं हम, बल है हमें चरख़े का,
चरख़े से ज़मीं को हम, ता चर्ख़ गुंजा देंगे
परवाह नहीं कुछ दम की, ग़म की नहीं, मातम की।
है जान हथेली पर, एक दम में गंवा देंगे
उफ़ तक भी जुबां से हम हरगिज़ न निकालेंगे
तलवार उठाओ तुम, हम सर को झुका देंगे
सीखा है नया हमने लड़ने का यह तरीका
चलवाओ गन मशीनें, हम सीना अड़ा देंगे
दिलवाओ हमें फांसी, ऐलान से कहते हैं
ख़ूं से ही हम शहीदों के, फ़ौज बना देंगे
मुसाफ़िर जो अंडमान के, तूने बनाए, ज़ालिम
आज़ाद ही होने पर, हम उनको बुला लेंगे।
2- आजादी (राम प्रसाद बिस्मिल)
इलाही ख़ैर! वो हरदम नई बेदाद करते हैं,
हमें तोहमत लगाते हैं, जो हम फ़रियाद करते हैं
कभी आज़ाद करते हैं, कभी बेदाद करते हैं
मगर इस पर भी हम सौ जी से उनको याद करते हैं
असीराने-क़फ़स से काश, यह सैयाद कह देता
रहो आज़ाद होकर, हम तुम्हें आज़ाद करते हैं
रहा करता है अहले-ग़म को क्या-क्या इंतज़ार इसका
कि देखें वो दिले-नाशाद को कब शाद करते हैं
यह कह-कहकर बसर की, उम्र हमने कै़दे-उल्फ़त में
वो अब आज़ाद करते हैं, वो अब आज़ाद करते हैं।
सितम ऐसा नहीं देखा, जफ़ा ऐसी नहीं देखी,
वो चुप रहने को कहते हैं, जो हम फ़रियाद करते हैं
यह बात अच्छी नहीं होती, यह बात अच्छी नहीं करते
हमें बेकस समझकर आप क्यों बरबाद करते हैं?
कोई बिस्मिल बनाता है, जो मक़तल में हमें ‘बिस्मिल’
तो हम डरकर दबी आवाज़ से फ़रियाद करते हैं।
3- सबने वीरो की गाथा गायी
लाल रक्त से धरा नहाई
लाल रक्त से धरा नहाई,
श्वेत नभ पर लालिमा छायी,
आजादी के नव उद्घोष पे,
सबने वीरो की गाथा गायी,
गाँधी, नेहरु, पटेल, सुभाष की,
ध्वनि चारो और है छायी,
भगत, राजगुरु और सुखदेव की
क़ुरबानी से आँखे भर आई,
ऐ भारत माता तुझसे अनोखी
और अद्भुत माँ न हमने पाय,
हमारे रगों में तेरे क़र्ज़ की,
एक एक बूँद समायी
माथे पर है बांधे कफ़न
और तेरी रक्षा की कसम है खायी,
सरहद पे खड़े रहकर
आजादी की रीत निभाई!
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