Women's Day: महिलाओं के हक की बुलंद आवाज रहीं कमलादेवी चट्टोपाध्याय के जीवन से रूबरू करवाती किताब, जानिए क्या है खास
Kamladevi Chattopadhyay Biography: इस किताब में बताया गया है कि कैसे बिना किसी सरकारी पद पर रहते हुए भी कमलादेवी ने कैसे 30,000 शरणार्थियों के लिए दिल्ली के पास पूरा एक शहर बसा दिया।
इंडियन लाइव्स (Indian Lives), हार्पर कॉलिन्स की ओर से प्रकाशित होने वाली बायोग्राफीज की एक सीरीज है। इस सीरीज में दुनियाभर के जाने माने इतिहासकार और लेखक भारत के निर्माण में अहम योगदान देने वाली हस्तियों और उनकी विरासत से लोगों को रूबरू करवाते हैं। इंडियन लाइव्स नाम की इस सीरीज का निर्देशन और संपादन रामचंद्र गुहा द्वारा किया गया है। इस सीरीज की तीसरी किताब कमलादेवी चट्टोपाध्याय की बायोग्राफी है। 365 पन्नों की इस किताब का हर पन्ना पर कमलादेवी के जीवन के संघर्ष, मेहनत, लगन, राष्ट्रप्रेम और दूरदर्शिता का नया रूप दिखाता है।
कौन थीं कमलादेवी चट्टोपाध्याय
कमलादेवी चट्टोपाध्याय- एक ऐसा नाम जिसे आज की युवा पीढ़ी कम ही जानती होगी। यह कहना बिल्कुल भी गलत ना होगा कि कमलादेवी निर्विवाद रूप से 20वीं सदी की सबसे उल्लेखनीय भारतीय महिला थीं। उनका जीवन और कार्यक्षेत्र राष्ट्रवादी और समाजवादी राजनीति से लेकर नारीवादी राजनीति, शरणार्थी पुनर्वास, थिएटर और मॉडर्न आर्ट तक फैला हुआ है। निको स्लेट की यह किताब कमलादेवी चट्टोपाध्याय के बहुआयामी और बुलंद सार्वजनिक करियर को गहराई से समझाने की कोशिश करती है।
कैसे बसा फरीदाबाद
यूं तो कमला देवी चट्टोपाध्याय किसी परिचय की मोहताज नहीं हैं, लेकिन यह उस महिला का है नाम जिसके नाम चुनाव लड़ने वालीं पहली महिला का रिकॉर्ड दर्ज है। कमलादेवी ने ना सिर्फ आजाद भारत के निर्माण में महत्वपूर्ण योगदान दिया बल्कि भारतीय सिनेमा में भी अहम भूमिका निभाई है। कमलादेवी द्वारा किये गए तमाम क्रांतिकारी औऱ सराहनीय कामों में से एक था 1947 में बंटवारे के बाद पाकिस्तान से आए शरणार्थियों का बसाव। KamlaDevi Chattopadhyay - The Art Of Freedom में इनके इस काम पर भी फोकस किया गया है। इस किताब में बताया गया है कि कैसे बिना किसी सरकारी पद पर रहते हुए भी कमलादेवी ने कैसे 30,000 शरणार्थियों के लिए दिल्ली के पास पूरा एक शहर बसा दिया। यह शहर आज फरीदाबाद के नाम से जाना जाता है।
कौन हैं ऑथर
निको स्लेट अमेरिका में कार्नेगी मेलन विश्वविद्यालय में इतिहास के प्रोफेसर और इतिहास विभाग के प्रमुख हैं। उनके रिसर्च संयुक्त राज्य अमेरिका और दक्षिण एशिया में सामाजिक आंदोलनों के अंतरराष्ट्रीय इतिहास पर केंद्रित है, जिसमें नस्लवाद और साम्राज्यवाद के खिलाफ संघर्ष के इतिहास पर विशेष ध्यान दिया गया है। इंडियन लाइव्स में कमलादेवी चट्टोपाध्याय की जीवनी लिखने से पहले भी निक चार बेहद शानदार किताबें लिख चुके हैं।
क्यों पढ़ें यह किताब
अगर आपको जानना है कि कैसे एक लड़की जो 14 की उम्र में शादी के दो साल बाद ही विधवा हो गई उसने महिला उत्थान के लिए कितने बड़े-बड़े सुधारों को अंजाम दिया। अगर आपको जानना है कि लंदन में खुशहाल जिंदगी जीने वाली एक महिला महात्मा गांधी के असहयोग आंदोलन से जुड़ने के लिए भारत चली आई। अगर आपको जानना है कि गांधीजी के साथ जुड़ने के बाद 1927-28 में ऑल इंडिया कांग्रेस कमेटी की सदस्य बनने वालीं कमलादेवी ने कैसे आजादी के बाद राजनीतिक पद लेने से मना कर दिया और आजीवन मुद्दों के लिए संघर्ष करती रहीं। तो आपको यह किताब जरूर पढ़नी चाहिए।
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मैं टाइम्स नाऊ नवभारत के साथ बतौर डिप्टी न्यूज़ एडिटर जुड़ा हूं। मूल रूप से उत्तर प्रदेश में बलिया क...और देखें
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