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चर्चा में रहती थी महाराजा भूपिंदर सिंह की नाइट पार्टी, विदेशी वेटरों से परोसवाते शराब, खूब होता धमाल

जब मुगलों ने भारत पर राज किया तो उनके शाही हरम की चर्चा हर ओर होती थी। लेकिन भूपिंदर सिंह ने अपने जमाने में अय्याशी और विलासिता की ऐसी इबारत लिखी कि मुगलों की चमक ही फीकी पड़ गई। महाराजा सर भूपिंदर सिंह काफी रंगीन मिजाज के महाराज थे। साल में जितने दिन होते हैं उतनी ही रानियां उनके हरम में थीं, मतलब कि 365 रानियां।

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पटियाला रियासत के सातवें महाराज भूपिंदर सिंह (Maharaja Bhupinder Singh of Patiala)

जब भी भारत के गौरवशाली इतिहास का जिक्र होता है तो यहां के राजा-महाराजाओं की शौर्यगाथा जरूर याद की जाती है। भारत भूमि एक से बढ़कर एक वीर योद्धा पैदा हुए जिन्होंने भारत के इतिहास को अपने खून से सींचा। जहां कुछ राजा और शहंशाह अपनी वीरता के लिए इतिहास के पन्नों में दर्ज हुए तो वहीं कुछ अपनी विलासिता के लिए पूरी दुनिया में जाने गए। 1947 में जब देश अंग्रेजों के गुलामी की जंजीरें तोड़कर आजाद हुआ तो उस वक्त भारत में 550 से ज्यादा देसी रियासतें हुआ करती थीं। सबके अपने राजा, महाराजा, नवाब और निजाम थे। इन राजाओं के शौक भी अनूठे थे, लेकिन इन सबमें पटियाला रियासत के सातवें महाराजा और नरेंद्र मंडल के अध्यक्ष सर भूपेंद्र सिंह की बात ही कुछ अलग थी।

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फोटो सोर्स - फेसबुक

भूपिंदर सिंह की विलासिता

पटियाला के महाराजा भूपिंदर सिंह का जन्म पटियाला के मोती बाग पैलेस में हुआ और उनकी पढ़ाई लाहौर पाकिस्तान के एचिसन कॉलेज में हुई। अपने पिता महाराजा राजिंदर सिंह के निधन के बाद नौ साल के भूपिंदर सिंह को पटियाला का राज संभालने का सौभाग्य प्राप्त हुआ। एक अक्टूबर 1909 को महाराजा भूपिंदर सिंह के 18 वर्ष के होने के बाद तीन नवंबर 1910 को तत्कालीन वायसराय ने उन्हें मान्यता दी। महाराजा भूपिंदर सिंह अपनी विलासिता और शानो-शौकत से भरी जिंदगी के लिए जाने जाते थे। वह पहले भारतीय थे जिनके पास हवाई जहाज था और वह कारों के भी शौकीन थे। उनके पास 20 रॉल्स रॉयस गाड़ियों का एक काफिला था।

फोटो सोर्स - फेसबुक

जब मुगलों ने भारत पर राज किया तो उनके शाही हरम की चर्चा हर ओर होती थी। लेकिन भूपिंदर सिंह ने अपने जमाने में अय्याशी और विलासिता की ऐसी इबारत लिखी कि मुगलों की चमक ही फीकी पड़ गई। पटियाला दरबार में मिनिस्टर रहे दीवान जरमनी दास के मुताबिक हिज हाइनेस महाराजा सर भूपिंदर सिंह काफी रंगीन मिजाज के महाराज थे। साल में जितने दिन होते हैं उतनी ही रानियां उनके हरम में थीं, मतलब कि 365 रानियां।

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