Javed Akhtar Shayari in Hindi Urdu 2 lines
Javed Akhtar Famous Shayari in Hindi: कलमकारी की दुनिया में जावेद अख्तर किसी परिचय के मोहताज नहीं हैं। वह इस क्षेत्र के चमकते सितारे हैं। बात जब हिंदी साहित्य की होती है, तो वो हर ज़र्रा जावेद साहब के शब्दों की खुशबू से महकने लगता है, जिनमें कविताएं अपना घर बनाकर रहा करती हैं। जावेद अख़्तर उर्दू ग़ज़लों के मशहूर नामों में से एक हैं और उन्होंने कई फ़िल्मी गीत भी लिखे हैं। प्रसिद्ध गीतकार और शायर जावेद अख़्तर ने जो ग़ज़लें लिखी हैं उनमें इश्क़ के अफसाने और आशिकी कम बल्कि जीवन का दर्शन ज्यादा है। दरअसल जावेद फिल्मों की पटकथा भी लिखा करते थे लिहाजा उनकी ग़ज़लों में ख़्वाब के साथ ही गंभीरता और जीवन दर्शन का भी संगम होता है ।
जावेद अख्तर की कलम से निकले कुछ ऐसे शेरों से हम यहां आपका परिचय करा रहे हैं, जो आपको इश्क़ में मिले रंज को समझने में मददगार तो होंगी ही, आपको जीवन की धूप और छाया का दर्शन भी महसूस होगा। पेश हैं जावेद अख़्तर की कलम से निकले चंद मशहूर शेर:
1. कभी जो ख़्वाब था वो पा लिया है
मगर जो खो गई वो चीज़ क्या थी
2. जिधर जाते हैं सब जाना उधर अच्छा नहीं लगता
मुझे पामाल रस्तों का सफ़र अच्छा नहीं लगता
3. मुझे दुश्मन से भी ख़ुद्दारी की उम्मीद रहती है
किसी का भी हो सर क़दमों में सर अच्छा नहीं लगता
4. तब हम दोनों वक़्त चुरा कर लाते थे
अब मिलते हैं जब भी फ़ुर्सत होती है
5. डर हम को भी लगता है रस्ते के सन्नाटे से
लेकिन एक सफ़र पर ऐ दिल अब जाना तो होगा
6. ऊँची इमारतों से मकाँ मेरा घिर गया
कुछ लोग मेरे हिस्से का सूरज भी खा गए
7. तुम ये कहते हो कि मैं ग़ैर हूँ फिर भी शायद
निकल आए कोई पहचान ज़रा देख तो लो
8. इन चराग़ों में तेल ही कम था
क्यूँ गिला फिर हमें हवा से रहे
9. ग़लत बातों को ख़ामोशी से सुनना हामी भर लेना
बहुत हैं फ़ाएदे इस में मगर अच्छा नहीं लगता
10. धुआँ जो कुछ घरों से उठ रहा है
न पूरे शहर पर छाए तो कहना
11. हम तो बचपन में भी अकेले थे
सिर्फ़ दिल की गली में खेले थे
12. इसी जगह इसी दिन तो हुआ था ये एलान
अँधेरे हार गए ज़िंदाबाद हिन्दोस्तान
13. याद उसे भी एक अधूरा अफ़्साना तो होगा
कल रस्ते में उस ने हम को पहचाना तो होगा
14. मैं पा सका न कभी इस ख़लिश से छुटकारा
वो मुझ से जीत भी सकता था जाने क्यूँ हारा
15. इस शहर में जीने के अंदाज़ निराले हैं
होंटों पे लतीफ़े हैं आवाज़ में छाले हैं
16. ज़रा मौसम तो बदला है मगर पेड़ों की शाख़ों पर नए पत्तों के आने में अभी कुछ दिन लगेंगे
बहुत से ज़र्द चेहरों पर ग़ुबार-ए-ग़म है कम बे-शक पर उन को मुस्कुराने में अभी कुछ दिन लगेंगे
17. मुझे मायूस भी करती नहीं है
यही आदत तिरी अच्छी नहीं है
18. यही हालात इब्तिदा से रहे
लोग हम से ख़फ़ा ख़फ़ा से रहे
19. सब का ख़ुशी से फ़ासला एक क़दम है
हर घर में बस एक ही कमरा कम है
20. मैं बचपन में खिलौने तोड़ता था
मिरे अंजाम की वो इब्तिदा थी
21. बहाना ढूँडते रहते हैं कोई रोने का
हमें ये शौक़ है क्या आस्तीं भिगोने का
22. ग़ैरों को कब फ़ुर्सत है दुख देने की
जब होता है कोई हमदम होता है
23. अगर पलक पे है मोती तो ये नहीं काफ़ी
हुनर भी चाहिए अल्फ़ाज़ में पिरोने का
24. अक़्ल ये कहती है दुनिया मिलती है बाज़ार में
दिल मगर ये कहता है कुछ और बेहतर देखिए
25. उस की आँखों में भी काजल फैल रहा है
मैं भी मुड़ के जाते जाते देख रहा हूँ
26. कोई शिकवा न ग़म न कोई याद
बैठे बैठे बस आँख भर आई
27. नेकी इक दिन काम आती है हम को क्या समझाते हो
हम ने बे-बस मरते देखे कैसे प्यारे प्यारे लोग
28. इक मोहब्बत की ये तस्वीर है दो रंगों में
शौक़ सब मेरा है और सारी हया उस की है
29. इक खिलौना जोगी से खो गया था बचपन में
ढूँढता फिरा उस को वो नगर नगर तन्हा
30. कभी हम को यक़ीं था ज़ोम था दुनिया हमारी जो मुख़ालिफ़ हो तो हो जाए मगर तुम मेहरबाँ हो
हमें ये बात वैसे याद तो अब क्या है लेकिन हाँ इसे यकसर भुलाने में अभी कुछ दिन लगेंगे
31. ये ज़िंदगी भी अजब कारोबार है कि मुझे
ख़ुशी है पाने की कोई न रंज खोने का
बता दें कि जावेद अख्तर ने अपने इन शेरों में आम आदमी के जज़्बातों को ज़ुबान देने का काम किया है। अगर ये कहा जाए कि उन्होंने क्लिष्ट दिखने वाली विधा को आसान बनाया है और उस हर इंसान को साहित्य की दुनिया से जोड़ने का काम किया है, तो यह कहीं से भी गलत ना होगा। उम्मीद करते हैं आपको जावेद साहब की ये शायरियां जरूर पसंद आई होंगी।