Jigar Moradabadi Shayari: हम इश्क़ के मारों का इतना ही फ़साना है.., मोहब्बत और मायूसी के हर रंग को बयां करते हैं जिगर मुरादाबादी के ये 21 शेर

Jigar Moradabadi Shayari: 'इरशाद' के आज के अंक में हम बात करेंगे जिगर मिरादाबादी की। जिगर मुरादाबादी का जन्म 8 अप्रैल 1890 को उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद में हुआ था। उनका असली नाम सिकंदर अली था। उन्हें 1958 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया था।

Jigar Moradabadi Shayari

Jigar Moradabadi Shayari (जिगर मुरादाबादी की गजलें): नग़मों की दुनिया में जब भी इश्क और हुस्न की बात होती है तो जिगर मुरादाबादी का नाम जरूर आता है। मोहब्बत और मोहब्बत में मायूसी के एहसास पर जिगर मुरादाबादी ने ऐसी-ऐसी शानदार नज्में लिखी हैं कि पढ़ने वाला बस उसी में खोकर रह जाता है। इश्क को आग का दरिया बताने वाले जिगर मुरादाबादी ने प्यार के ऐसे-ऐसे रंगों से लोगों को रूबरू करवाया जिनके बारे में दूसरे किसी शायर ने शायद ही कल्पना की हो। आइए पढ़ते हैं जिगर मुरादाबादी के कुछ मशहूर शेर:

ये हुस्न ये शोख़ी ये करिश्मा ये अदाएँ

दुनिया नज़र आई मुझे तो क्या नज़र आया

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