Josh Malihabadi Shayari: हद है अपनी तरफ़ नहीं मैं भी, और उन की तरफ़ ख़ुदाई है.., सीधे दिल में उतरते हैं जोश मलीहाबादी के ये चुनिंदा शेर

Josh Malihabadi Shayari in Hindi: जोश मलीहाबादी को साल 1954 में भारत सरकार ने ‘पद्मभूषण’ से नवाजा था। उनकी मौत के कई साल बाद साल 2012 में पाकिस्तान की हुकूमत ने उन्हें ‘हिलाल-ए-इम्तियाज’ दिया। आज 'इरशाद' में बात शब्बीर अहमद हसन खां उर्फ जोश मलीहाबादी की।

Josh Malihabadi Shayari in Hindi 2 line (जोश मलीहाबादी की शायरी)

"वो करें भी तो किन अल्फ़ाज़ में तेरा शिकवा

जिन को तेरी निगह-ए-लुत्फ़ ने बर्बाद किया"

ये खूबसूरत शेर लिखा है शब्बीर अहमद हसन खां ने। शब्बीर अहमद हसन खां का जन्म 5 दिसंबर, 1898 को लखनऊ से सटे मलीहाबाद में हुआ था। इन्हें पूरी दुनिया जोश मलीहाबादी के नाम से जानती है। दरअसल जोश उनका तखल्लुस था और मलीहाबाद में पैदा होने के कारण वह जोश मलीहाबादी कहलाए। जोश मलीहाबादी को शायरी का हुनर विरासत में मिला था। उनके पिता और दादा, दोनों बेहतरीन नग़मानिगार थे। जोश मलीहाबादी ने अपनी नज़्मों में जीवन के हर रंग को बखूबी जगह दिया। उनके लिखे शेर आज भी खूब पढ़ और सुने जाते हैं। आइए पढ़ें जोश मलीहाबादी की कलम से निकले कुछ चुनिंदा शेर:

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