Kabir Motivational Quotes: जीवन को सही दिशा दिखाने का काम करते हैं संत कबीर दास के 10 बेहतरीन दोहे, सफलता की राह हो जाएगी आसान
Kabir Motivational Quotes(कबीर के प्रेरक विचार): कबीर दास के अनमोल विचार आज भी युवाओं को प्रेरित करने और सही दिशा दिखाने का काम करते हैं। ऐसे में कबीर दास की जयंती के मौके पर यहां पढ़ें उनके कुछ प्रेरक विचार, कोट्स हिंदी में।
Kabir Das Jayanti
Kabir Motivational Quotes(कबीर के प्रेरक विचार): कबीर दास (Kabir Das) न केवल संत थे बल्कि एक समाज सुधारक, विचारक भी थे। उनकी गिनती हिंदी साहित्य के ऐसे कवि के तौर पर की जाती है जिन्होंने अपनी रचनाओं से समाज में बदलाव लाने का काम किया। उन्होंने अपने लेख से लोगों को जीवन जीने का नया नज़रिया दिया। आज भी संत कबिर दास के दोहे लोगों को काफी प्रभावित करते हैं और लगातार सही दिशा में आगे बढ़ाने का काम करते हैं। आज कबीर दास जयंती मनाई जा रही है। इस खास मौके पर हम आपके लिए कबीर दास के कुछ प्रेरक विचार (Kabir Das Motivational Quotes) लेकर आए हैं जिसे पढ़कर आप भी मोटिवेटेड फील करेंगे। यहां पढ़ें संत कबीर दास के अनमोल विचार, संत कबीर दास के प्रेरक विचार, संत कबीर दास के मोटिवेशनल कोट्स।
Kabir Motivational Quotes in Hindi
1. पोथी पढ़ि पढ़ि जग मुआ, पंडित भया न कोय,
ढाई आखर प्रेम का, पढ़े सो पंडित होय।
अर्थ- बड़ी-बड़ी किताबें पढ़ कर संसार में कितने लोग मृत्यु के द्वार पहुंच गए, लेकिन सभी विद्वान न हो सके। कबीर मानते हैं कि यदि कोई प्रेम या प्यार के केवल ढाई अक्षर ही अच्छी तरह पढ़ ले, अर्थात प्यार का वास्तविक रूप पहचान ले तो वही सच्चा ज्ञानी होगा।
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2. गुरु गोविंद दोउ खड़े, काके लागूं पांय
बलिहारी गुरु आपनो, गोविन्द दियो बताय।
अर्थ- गुरु और भगवान दोनों एक साथ खड़े हैं। पहले किसके चरण-स्पर्श करें। कबीरदास जी कहते हैं, पहले गुरु को प्रणाम करूंगा, क्योंकि उन्होंने ही गोविंद तक पहुंचने का मार्ग बताया है।
3. माला फेरत जुग भया, फिरा न मन का फेर,
कर का मनका डार दे, मन का मनका फेर।
अर्थ- कोई व्यक्ति लंबे समय तक हाथ में लेकर मोती की माला तो घुमाता है, पर उसके मन का भाव नहीं बदलता, उसके मन की हलचल शांत नहीं होती। कबीर की ऐसे व्यक्ति को सलाह है कि हाथ की इस माला को फेरना छोड़ कर मन के मोतियों को बदलो या फेरो।
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4. तन को जोगी सब करें, मन को बिरला कोई
सब सिद्धि सहजे पाइए, जे मन जोगी होइ।
अर्थ- शरीर में भगवे वस्त्र धारण करना सरल है, पर मन को योगी बनाना बिरले ही व्यक्तियों का काम है। यदि मन योगी हो जाए तो सारी सिद्धियां सहज ही प्राप्त हो जाती हैं।
5. जब मैं था तब हरी नहीं, अब हरी है मैं नाही
सब अँधियारा मिट गया, दीपक देखा माही
अर्थ- जब मैं अपने अहंकार में डूबा था, तब प्रभु को न देख पाता था। लेकिन जब गुरु ने ज्ञान का दीपक मेरे भीतर प्रकाशित किया तब अज्ञान का सब अंधकार मिट गया। ज्ञान की ज्योति से अहंकार जाता रहा और ज्ञान के आलोक में प्रभु को पाया।
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6. बड़ा हुआ तो क्या हुआ जैसे पेड़ खजूर
पंछी को छाया नहीं फल लागे अति दूर।
अर्थ- खजूर के पेड़ के समान बड़ा होने का क्या लाभ, जो ना ठीक से किसी को छाँव दे पाता है। और न ही उसके फल सुलभ होते हैं।
7. जाति न पूछो साधु की, पूछ लीजिये ज्ञान,
मोल करो तरवार का, पड़ा रहन दो म्यान।
अर्थ- सज्जन की जाति न पूछ कर उसके ज्ञान को समझना चाहिए। तलवार का मूल्य होता है न कि उसकी मयान का उसे ढकने वाले खोल का।
8. जीवन में मरना भला, जो मरि जानै कोय |
मरना पहिले जो मरै, अजय अमर सो होय ||
अर्थ- जीते जी ही मरना अच्छा है, यदि कोई मरना जाने तो। मरने के पहले ही जो मर लेता है, वह अजर-अमर हो जाता है। शरीर रहते-रहते जिसके समस्त अहंकार समाप्त हो गए, वे विजयी ही जीवन मुक्त होते हैं।
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9. शब्द विचारी जो चले, गुरुमुख होय निहाल |
काम क्रोध व्यापै नहीं, कबूँ न ग्रासै काल ||
अर्थ- गुरुमुख शब्दों का विचार कर जो आचरण करता है, वह कृतार्थ हो जाता है। उसको काम क्रोध नहीं सताते। वह कभी मन कल्पनाओं के मुख में नहीं पड़ता।
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Ritu raj author
शुरुआती शिक्षा बिहार के मुजफ्फरपुर से हुई। बाबासाहेब भीमराव अंबेडकर विश्वविद्यालय से ग्रेजुएशन पूरा ...और देखें
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