Kaifi Azmi Shayari: झुकी झुकी सी नज़र बे-क़रार है कि नहीं.., दिल को सुकून देने के लिए पढ़ें कैफी आज़मी के 22 मशहूर शेर

Kaifi Azmi Shayari ( कैफी आज़मी शायरी): कैफी आज़मी उन चुनिंदा शायरों में से हैं जिन्होंने जीवन के लगभग हर रंग को कागज पर उतारा। इन्होंने रूमानियत के साथ-साथ सामाजिक सरोकार को भी अपनी कलम से आवाज दी। कैफी आज़मी की सबसे खास बात ये थी कि उनके लफ़्ज़ बेहद आसान हुआ करते थे।

Kaifi Azmi

Kaifi Azmi Shayari ( कैफी आज़मी शायरी)

Kaifi Azmi Shayari in Hindi: शेर-ओ-शायरी और नज़्म गजल की दुनिया में कैफी आज़मी का नाम बड़े अदब से लिया जाता है। उनका असली नाम अख्तर हुसैन रिजवी था। वह मूल रूप से उत्तर प्रतदेश के आजमगढ़ के रहने वाले थे। कैफी आज़मी बचपन से ही लिखने लगे थे। 11 साल की उम्र में उन्होंने अपनी पहली गज़ल लिख डाली थी। कैफी आज़मी ने फिल्मों के लिए भी खूब लिखा। उन्हें फिल्मों के गीत लिखने के लिए ना राष्ट्रीय पुरस्कार और कई बार फिल्मफेयर पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया था। आइए डालते हैं कैफी आज़मी के लिए चंद मशहूर शेर पर एक नजर:

Kaifi Azmi Shayari in Hindi | Kaifi Azmi Famous Poems| Kaifi Azmi poems in Hindi

बस इक झिजक है यही हाल-ए-दिल सुनाने में

कि तेरा ज़िक्र भी आएगा इस फ़साने में

झुकी झुकी सी नज़र बे-क़रार है कि नहीं

दबा दबा सा सही दिल में प्यार है कि नहीं

इंसाँ की ख़्वाहिशों की कोई इंतिहा नहीं

दो गज़ ज़मीं भी चाहिए दो गज़ कफ़न के बाद

बस्ती में अपनी हिन्दू मुसलमाँ जो बस गए

इंसाँ की शक्ल देखने को हम तरस गए

रहने को सदा दहर में आता नहीं कोई

तुम जैसे गए ऐसे भी जाता नहीं कोई

तुम इतना जो मुस्कुरा रहे हो

क्या ग़म है जिस को छुपा रहे हो

अब जिस तरफ़ से चाहे गुज़र जाए कारवाँ

वीरानियाँ तो सब मिरे दिल में उतर गईं

मेरा बचपन भी साथ ले आया

गाँव से जब भी आ गया कोई

मुद्दत के बा'द उस ने जो की लुत्फ़ की निगाह

जी ख़ुश तो हो गया मगर आँसू निकल पड़े

पेड़ के काटने वालों को ये मालूम तो था

जिस्म जल जाएँगे जब सर पे न साया होगा

गर डूबना ही अपना मुक़द्दर है तो सुनो

डूबेंगे हम ज़रूर मगर नाख़ुदा के साथ

कोई तो सूद चुकाए कोई तो ज़िम्मा ले

उस इंक़लाब का जो आज तक उधार सा है

जिस तरह हँस रहा हूँ मैं पी पी के गर्म अश्क

यूँ दूसरा हँसे तो कलेजा निकल पड़े

रोज़ बढ़ता हूँ जहाँ से आगे

फिर वहीं लौट के आ जाता हूँ

कोई कहता था समुंदर हूँ मैं

और मिरी जेब में क़तरा भी नहीं

बहार आए तो मेरा सलाम कह देना

मुझे तो आज तलब कर लिया है सहरा ने

बेलचे लाओ खोलो ज़मीं की तहें

मैं कहाँ दफ़्न हूँ कुछ पता तो चले

ग़ुर्बत की ठंडी छाँव में याद आई उस की धूप

क़द्र-ए-वतन हुई हमें तर्क-ए-वतन के बाद

इतना तो ज़िंदगी में किसी के ख़लल पड़े

हँसने से हो सुकून न रोने से कल पड़े

जो इक ख़ुदा नहीं मिलता तो इतना मातम क्यूँ

यहाँ तो कोई मिरा हम-ज़बाँ नहीं मिलता

की है कोई हसीन ख़ता हर ख़ता के साथ

थोड़ा सा प्यार भी मुझे दे दो सज़ा के साथ

रोज़ बस्ते हैं कई शहर नए

रोज़ धरती में समा जाते हैं

कैफी आज़मी उन चुनिंदा शायरों में से हैं जिन्होंने जीवन के लगभग हर रंग को कागज पर उतारा। इन्होंने रूमानियत के साथ-साथ सामाजिक सरोकार को भी अपनी कलम से आवाज दी। कैफी आज़मी की सबसे खास बात ये थी कि उनके लफ़्ज़ बेहद आसान हुआ करते थे। यही कारण है कि उनकी नज़्में सीधे लोगों के दिलों तक पहुंची। उम्मीद करते हैं कि आपको कैफी साहब के ये शेर पसंद आए होंगे।

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Suneet Singh author

मैं टाइम्स नाऊ नवभारत के साथ बतौर डिप्टी न्यूज़ एडिटर जुड़ा हूं। मूल रूप से उत्तर प्रदेश में बलिया के रहने वाला हूं और साहित्य, संगीत और फिल्मों में म...और देखें

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