World's Most Expensive Coffee: दुनिया की सबसे महंगी कॉफी बनने का तरीका जानकर आप कहेंगे, उफ्फ!
World's Most Expensive Coffee : कर्नाटक के कूर्ग जनपद में सिवेट बिल्ली के मल ( Poop ) से दुनिया की सबसे महंगी कॉफी बन रही है। इसे सिवेट या फिर लुर्वाक कॉफी भी कहा जाता है। इसके महंगे होने का कारण है इसे बनाने का हाइली प्रोसेस और कॉफी का भारी मात्रा में पौष्टिक गुणों से भरपूर होना। सिवेट कॉफी अरब के खाड़ी देशों सहित यूरोप में बड़े पैमाने पर हाई क्लास परिवारों द्वारा पसंद की जाती है।
कर्नाटक के इस जिले में ऐसे बनती है दुनिया की सबसे महंगी कॉफी सिवेट।( प्रतीकात्मक तस्वीर)
मुख्य बातें
- कर्नाटक में बनती है दुनिया की सबसे महंगी सिवेट कॉफी
- सिवेट बिल्ली के मल से तैयार की जाती है ये कॉफी
- इसकी कीमत पर केजी 20 से 25 हजार तक है
World's Most Expensive Coffee: आपने कई तरह की कॉफी की काफी का स्वाद चखा होगा। चाहे फिर घरेलू फंक्शन हो या फिर शादी समरोह। इसके अलावा कई शहरों के होट्ल्स व रेस्टोरेंट में भी अलग- अलग तरीके से काफी बनाई जाती है। इनका स्वाद भी लजीज होता है। पर क्या आपने कभी सुना है किसी जंगली जानवर के मल ( Poop ) से कॉफी बनाने के बारे में, नहीं ना। तो आज जानिए एक जानवर के मल ( Poop ) से बनीं दुनियां की सबसे कॉफी बनने की कहानी।
जिसके स्वाद को लेकर आपके मुंह से निकलेगा उफ्फ...। बता दें कि भारत एशिया का तीसरा सबसे बड़ा कॉफी का निर्यात करने वाला उत्पादक देश है। कर्नाटक के कूर्ग जनपद में सिवेट बिल्ली के मल ( Poop ) से दुनिया की सबसे महंगी कॉफी बन रही है। इसे सिवेट या फिर लुर्वाक कॉफी भी कहा जाता है। हालांकि इसके महंगे होने के पीछे का तर्क ये दिया जा रहा है कि, इसे बनाने की विधि काफी कठिन है।
ऐसे बनती है ये लग्जरी कॉफी
जानकारी के मुताबिक सबसे पहले कॉफी बीन्स को सिवेट बिल्ली खाती है। इसके बाद सिवेट बिल्ली द्वारा डाइजेस्ट करने के बाद मल को इकट्ठा किया जाता है। इसके बाद इसे संशोधित कर कॉफी का प्रोडक्शन किया जाता है। इसके महंगे होने का कारण है इसे बनाने का हाइली प्रोसेस और कॉफी का भारी मात्रा में पौष्टिक गुणों से भरपूर होना।
कीमत जान रह जाएंगे हैरान
लुर्वाक या सिवेट कॉफी अरब के खाड़ी देशों सहित यूरोप में बड़े पैमाने पर हाई क्लास परिवारों द्वारा पसंद की जाती है। इसकी विदेशों में कीमत 20 से 25 हजार रूपए प्रति किलोग्राम है। हालांकि कर्नाटक में हाल ही के वर्षों में इसका उत्पादन छोटे स्तर पर किया गया है। शुरूआती तौर पर इसका प्रोडक्षन 2015-16 में करीब 20 किलोग्राम से किया गया था, जो अब बढकर 2 सौ किलोग्राम तक पहुंच गया है। अब इसका उत्पादन करने वाली कई कंपनियां देश में भी इसके आउटलेट खोलने की तैयारी में हैं।
सिवेट का यह एंजाइम बनाता है कॉफी का खास स्वाद
इस कारोबार से जुड़े लोगों के मुताबिक जंगलों में सिवेट बिल्लियां पके कॉफी बीन्स चेरी खाती हैं। वे चेरी बीन्स का पल्प खाती हैं, जबकि बीज छोड़ देती हैं। सिवेट के आमाशय में मौजूद कई एंजाइम सेम का टेस्ट बढा देते हैं। यही वजह है कि सिवेट कॉफी का स्वाद लजीज हो जाता है।
डिस्क्लेमर: प्रस्तुत लेख में सुझाए गए टिप्स और सलाह केवल आम जानकारी के लिए हैं और इसे पेशेवर सलाह के रूप में नहीं लिया जा सकता।
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