Kumar Vishwas Shayari Love: कोई दीवाना कहता है.., दिल में मोहब्बत के फूल खिला देंगी कुमार विश्वास की ये 30+ शायरी, देखें प्रेम पर कविता कुमार विश्वास
Kumar Vishwas Love Shayari (कुमार विश्वास शायरी हिंदी pdf): कुमार विश्वास ने अपनी शायरी में इश्क के हर रंग को बारीकी से पेश किया। उन्होंने ना सिर्फ दिलों में तूफान का सबब बने मोहब्बत को अपने जज्बातों से संवारा बल्कि उन्होंने कई ऐसी कविताएं (Kumar Vishwas Poetry) भी लिखीं कि पढ़ने वाला अपने आप प्यार की ओर खिंचा चला जाए। आज 'इरशाद' में डालते हैं कुमार विश्वास के चुनिंदा शेरों पर एक नजर:
Kumar Vishwas Shayari (कुमार विश्वास शायरी हिंदी pdf)
Kumar Vishwas Shayari in Hindi: कुमार विश्वास भारत के लोकप्रिय कवि हैं। युवाओं के बीच उन्हें खूब पसंद किया जाता है। हालांकि कुमार विश्वास के कद्रदान हर वर्ग के लोग हैं लेकिन युवाओं पर उनका जादू सिर चढ़कर बोलता है। कुमार विश्वास के सोशल मीडिया हैंडल्स देखकर ही उनकी लोकप्रियता का अंदाजा कोई भी लगा सकता है। कुमार विश्वास ने प्रेम पर काफी कुछ लिखा पढ़ा। प्रेम के रंग में रंगी उनकी नज्मों ने लोगों के दिल जीत लिये। आइए देखें कुमार विश्वास के कुछ पॉपुलर शेर:
Kumar Vishwas Shayari in Hindi | Kumar Vishwas Shayari Koi Deewana Kehta Hai
कोई दीवाना कहता है कोई पागल समझता है
मगर धरती की बैचेनी को बस बादल समझता है
मै तुझसे दूर कैसा हुँ तू मुझसे दूर कैसी है
यह तेरा दिल समझता है या मेरा दिल समझता है
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ज़ख्म भर जाएंगे, तुम मिलो तो सही
दिन सँवर जाएंगे, तुम मिलो तो सही
रास्ते में खड़े दो अधूरे सपन
एक घर जाएंगे, तुम मिलो तो सही
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मैं ज़माने की ठोकर ही खाता रहूँ
तुम ज़माने को ठोकर लगाती रहो
जि़ंदगी के कमल पर गिरूँ ओस-सा
रोष की धूप बन तुम सुखाती रहो
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एक दो दिन में वो इकरार कहाँ आएगा
हर सुबह एक ही अखबार कहाँ आएगा
आज जो बाँधा है इनमें तो बहल जायेंगे
रोज़ इन बाँहों का त्यौहार कहाँ आएगा
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तुम्हारा ख्वाब जैसे ग़म को अपनाने से डरता है
हमारी आँख का आँसू, खुशी पाने से डरता है
अजब है लज़्ज़ते ग़म भी जो मेरा दिल अभी, कल तक
तेरे जाने से डरता था, वो अब आने से डरता है..!
Love Shayari of Dr Kumar Vishwas
मैं अपने गीत-ग़ज़लों से उसे पैग़ाम करता हूँ
उसी की दी हुई दौलत उसी के नाम करता हूँ
हवा का काम है चलना, दिए का काम है जलना
वो अपना काम करती है, मैं अपना काम करता हूँ
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हर एक कपड़े का टुकड़ा माँ का आंचल हो नहीं सकता,
जिसे दुनिया को पाना है वो पागल हो नहीं सकता,
जफाओं की कहानी जब तलक इसमें न शामिल हो,
मुहब्बत का कोई किस्सा मुकम्मल हो नहीं सकता..।
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जो किए ही नहीं कभी मैंने
वो भी वादे निभा रहा हूँ मैं
मुझसे फिर बात कर रही है वो
फिर से बातों में आ रहा हूँ मैं
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नज़र अक्सर शिकायत आजकल करती है दर्पण से,
थकन भी चुटकियाँ लेने लगी है तन से और मन से,
कहाँ तक हम संभाले उम्र का हर रोज़ गिरता घर,
तुम अपनी याद का मलबा हटाओ दिल के आँगन से..!
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"इक अधूरी जवानी का क्या फ़ायदा?
बिन कथानक कहानी का क्या फ़ायदा?
जिसमें धुलकर नज़र भी न पावन बनें,
आँख में ऐसे पानी का क्या फ़ायदा...!
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गीत ढला जब पोर-पोर ने पीड़ा को जपना समझा
ख़ुद का दर्द सहज गया तो दुनिया ने अपना समझा
शाल-दुशालों में लिपटा यह अक्षर जीवन कविता का
हमने नींद बेचकर पाया दुनिया ने सपना समझा
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आप की दुनिया के बेरंग अँधेरों के लिए
रात भर जाग कर एक चॉंद चुराया मैंने
रंग धुँधले हैं तो इनका भी सबब मैं ही हूँ
एक तस्वीर को क्यूँ इतना सजाया मैंने
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बात करनी है बात कौन करे
दर्द से दो-दो हाथ कौन करें
हम सितारे तुम्हें बुलाते हैं
चांद ना हो तो रात कोंन करें
जिंदगी भर की कमाई तुम थे
इससे ज्यादा जकात कोन करें
Kumar Vishwas Shayari Love
महफ़िल महफ़िल मुस्काना तो पड़ता है
ख़ुद ही ख़ुद को समझाना तो पड़ता है
उसकी आँखों से हो कर दिल तक जाना
रस्ते में ये मयख़ाना तो पड़ता है
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चाँद को इतना तो मालूम है, तू प्यासी है,
तू भी अब उसके निकलने का इंतज़ार न कर,
भूख गर ज़ब्त से बाहर हो तो कैसा रोज़ा,
इन गवाहों की ज़रुरत पे मुझे प्यार न कर...!
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तुम्हारे पास हूँ लेकिन जो
दूरी है, समझता हूँ,
तुम्हारे बिन मेरी हस्ती
अधूरी है, समझता हूँ,
तुम्हें मैं भूल जाऊँगा ये
मुमकिन है नहीं, लेकिन
तुम्हीं को भूलना सबसे
ज़रूरी है, समझता हूँ
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नेकियों का सिला बदी में मिले,
और शोहरत की कमाई क्या है,
इस बुलंदी पे आ के जाना है,
अच्छा होने में बुराई क्या है
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एक ख़ामोश हलचल बनी ज़िंदगी
गहरा ठहरा हुआ जल बनी ज़िंदगी
तुम बिना जैसे महलों में बीता हुआ
उर्मिला का कोई पल बनी ज़िंदगी
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चंद चेहरे लगेंगे अपने से,
ख़ुद को पर बेक़रार मत करना,
आख़िर में दिल्लगी लगी दिल पर,
हम न कहते थे प्यार मत करना
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अब कोई और न धोखा देगा
इतनी उम्मीद तो वापस कर दे
हम से हर ख़्वाब छीनने वाले
हमारी नींद तो वापस कर दे
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सारे गुलशन में तुझे ढूँढ के मैं नाकारा,
अब हर इक फूल को ख़ुद अपना पता देता हूँ,
कितने चेहरों में झलक तेरी नज़र आती है,
कितनी आँखों को मैं बेबात जगा देता हूँ
*****
तुम्हीं पे मरता है ये दिल, अदावत क्यों नहीं करता
"कई जन्मों से बंदी है, बग़ावत क्यों नहीं करता
कभी तुमसे थी जो, वो ही शिकायत है ज़माने से
मेरी तारीफ़ करता है, मुहब्बत क्यों नहीं करता
*****
नहीं कहा जो कभी, ख़ामख़ा समझती है
जो चाहता हूँ मैं कहना कहाँ समझती है?
सब तो कहते थे ताल्लुक में इश्क़ के अक्सर
आँख को आँख, ज़बाँ को ज़बाँ समझती है
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कितना मुश्किल है ख़ुद को ही ख़ुद के
दिल की सीपी में ढाल कर रखना
आप के पास तो लाखों होंगे
मेरे वाला सँभाल कर रखना...!
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हमें क्या ग़म है ये ग़म को पता न चला,
हमारी चश्म-ए-नम को पता न चला,
किसी के आने की हम को ख़बर न हुई,
किसी के जाने का हम को पता न चला
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ये तेरी बेरुख़ी की हम से आदत ख़ास टूटेगी,
कोई दरिया न ये समझे कि मेरी प्यास टूटेगी,
तेरे वादे का तू जाने मेरा वो ही इरादा है,
कि जिस दिन साँस टूटेगी उसी दिन आस टूटेगी
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पुराने दोस्त जमे हैं मुंडेर पर छत की,
ये शाम रात से पहले ढली-ढली सी लगे,
तुम्हारा ज़िक्र मिला है नरम हवा के हाथ,
हमें ये जाड़े की आमद भली-भली सी लगे
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दूर है तू मगर मैं तेरे पास हूँ
दिल है गर तू तो दिल का मैं एहसास हूँ
प्रार्थना या इबादत या पूजा कोई
भावना है अगर तू मैं विश्वास हूँ
कुमार विश्वास की दीवाना शायरी
तुम्हारा प्यार लड्डुओं का थाल है
जिसे मैं खा जाना चाहता हूँ
तुम्हारा प्यार एक लाल रूमाल है
जिसे मैं झंडे-सा फहराना चाहता हूँ
तुम्हारा प्यार एक पेड़ है
जिसकी हरी ओट से मैं तारों को देखता हूँ
तुम्हारा प्यार एक झील है
जहाँ मैं तैरता हूँ और डूबा रहता हूँ
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ताल को ताल की झंकृति तो मिले
रूप को भाव की अनुकृति तो मिले
मैं भी सपनों में आने लगूँ आपके
पर मुझे आपकी स्वीकृति तो मिले
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एक-दो रोज़ में हर आँख ऊब जाती है
मुझ को मंज़िल नहीं, रस्ता समझने लगते हैं
जिन को हासिल नहीं वो जान देते रहते हैं
जिन को मिल जाऊँ वो सस्ता समझने लगते हैं
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रंग दुनिया ने दिखाया है निराला, देखूँ
हो अँधेरे में उजाला, तो उजाला देखूँ
आईना रख दे मेरे हाथ में, आख़िर मैं भी
कैसा लगता है तेरा चाहने वाला देखूँ
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तिरे माथे पे ये आँचल बहुत ही ख़ूब है लेकिन
तू इस आँचल से इक परचम बना लेती तो अच्छा था
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फिर मेरी याद आ रही होगी
फिर वो दीपक बुझा रही होगी
फिर मेरे फेसबुक पर आकर वो
खुद को बेनर बना रही होगी
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मेरी आँखों में रोशन है जो वीरानी, तुम्हारी है
बिछुड़ कर तुम से जिंदा हूँ ये हैरानी, तुम्हारी है
मेरी हर सांस में लय है तुम्हारे दर्द की मुश्किल,
मगर इस दर्द की हर एक आसानी, तुम्हारी है
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मॉंग मुझ से है ख़ास दुनिया की
लफ़्ज़ मेरे हैं आस दुनिया की
क़तरा-क़तरा है शायरी मेरी
दरिया-दरिया है प्यास दुनिया की
बता दें कि कुमार विश्वास पर मां सरस्वती की काफी कृपा है। वह हिंदी के प्रसिद्ध कवि होने के साथ ही, वक्ता, रामकथा वाचक और सामाजिक-राजनीतिक कार्यकर्ता भी हैं। 10 फरवरी, 1970 को उत्तर प्रदेश के पिलखुआ में जन्मे कुमार विश्वास भारतीय सभ्यता और संस्कृति को आसान शब्दों में लोगों तक पहुंचाने के लिए भी जाने जाते हैं।
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मैं टाइम्स नाऊ नवभारत के साथ बतौर डिप्टी न्यूज़ एडिटर जुड़ा हूं। मूल रूप से उत्तर प्रदेश में बलिया क...और देखें
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