सावन में पढ़ें कुमार विश्वास की ये प्रेम भरी कविताएं

कवि डॉ. कुमार विश्वास जब मंच पर होते हैं तो उनकी एक झलक पाने को लोग बेताब नजर आते हैं। वहीं जब वह प्रेमभरी कविताएं सुनाते हैं तो युवा मंत्रमुग्ध हो जाते हैं। ऐसे में सावन के रोमांचक मौसम में उनकी ये कवितााएं आपका दिन बना देंगी।

Kumar Vishwas Poems during Sawan 2023 Monsoon, Koi deewana kehta hai

Kumar Vishwas Poems during Sawan 2023 Monsoon, Koi deewana kehta hai

Kumar Vishwas Poems during Sawan 2023 Monsoon, Koi deewana kehta hai: देश के जाने माने कवि डॉ. कुमार विश्वास युवाओं के अत्यन्त प्रिय कवि हैं। कुमार विश्वास की प्रेमभरी कविताएं युवाओं के लिए लव एंथम हैं। वह जब मंच पर होते हैं तो उनकी एक झलक पाने को लोग बेताब नजर आते हैं। वहीं जब वह प्रेमभरी कविताएं सुनाते हैं तो युवा मंत्रमुग्ध हो जाते हैं। सावन का मौसम है और इसे प्रे का महीना कहा जाता है। ऐसे रोमांचक मौसम में कुमार विश्वास की कविताएं आपको रोमांचित कर देंगे। उनकी फेमस कविता- कोई दीवाना कहता है, कोई पागल समझता है... तो सावन में खूब गाई जाती है। मानसून के इस मौसम में यहां पढ़ें कुमार विश्वास की प्रेमभरी हिंदी कविताएं-

Koi deewana kehta hai

कोई दीवाना कहता है, कोई पागल समझता है
मगर धरती की बेचैनी को बस बादल समझता है !!
मैं तुझसे दूर कैसा हूँ, तू मुझसे दूर कैसी है
ये तेरा दिल समझता है या मेरा दिल समझता है !!

Kumar Vishwas Sawan Poems

जो धरती से अम्बर जोड़े , उसका नाम मोहब्बत है,
जो शीशे से पत्थर तोड़े, उसका नाम मोहब्बत है,
कतरा कतरा सागर तक तो, जाती है हर उम्र मगर,
बहता दरिया वापस मोड़े, उसका नाम मोहब्बत है

Kumar Vishwas Monsoon Shayari

नेह के सन्दर्भ बौने हो गए होंगे मगर,
फिर भी तुम्हारे साथ मेरी भावनायें हैं,
शक्ति के संकल्प बोझिल हो गये होंगे मगर,
फिर भी तुम्हारे चरण मेरी कामनायें हैं,
हर तरफ है भीड़ ध्वनियाँ और चेहरे हैं अनेकों,
तुम अकेले भी नहीं हो, मैं अकेला भी नहीं हूँ

Kumar Vishwas Hindi Poems

जब भी मुँह ढंक लेता हूँ
तेरे जुल्फों की छाँव में
कितने गीत उतर आते हैं
मेरे मन के गाँव में
एक गीत पलकों पर लिखना
एक गीत होंठों पर लिखना
यानि सारी गीत हृदय की
मीठी-सी चोटों पर लिखना
जैसे चुभ जाता है कोई काँटा नंगे पांव में
ऐसे गीत उतर आते हैं, मेरे मन के गाँव में

Kumar Vishwas Poems in Hindi

प्यार जब जिस्म की चीखों में दफ़न हो जाए,
ओढ़नी इस तरह उलझे कि कफ़न हो जाए,
घर के एहसास जब बाजार की शर्तो में ढले,
अजनबी लोग जब हमराह बन के साथ चले,
लबों से आसमां तक सबकी दुआ चुक जाए,
भीड़ का शोर जब कानो के पास रुक जाए,
सितम की मारी हुई वक्त की इन आँखों में,
नमी हो लाख मगर फिर भी मुस्कुराएंगे,
अँधेरे वक्त में भी गीत गाये जायेंगे...
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