Kuttu Flour: क्या होता है कुट्टू? कैसे बनता है कुट्टू का आटा? व्रत में क्यों खाते हैं यह आटा

Kuttu Flour: कुट्टू की फसल कटने के बाद इसे सुखाया जाता है और सूखने के बाद इसके बीजों या फल को छांटा जाता है। इन्हीं फलों या बीजों को पीस कर कुट्टू का आटा तैयार होता है।

Kuttu ka Atta

कुट्टू का आटा

कुट्टु का आटा(Kuttu Ka Atta): चैत्र नवरात्रि (Chaitra Navratri) शुरू होने वाले हैं। इस साल 8 अप्रैल से नवरात्रे (Chaitra Navratri 2024 Date) शुरू हो रहे हैं। नवरात्रों (Navratri 2024) में कई लोग ऐसे होते हैं जो व्रत रखते हैं। कुछ नवरात्रि के पहले और आखिरी दिन व्रत रखते हैं तो कुछ पूरे नौ दिन तक उपवास रखते हैं और मां दुर्गा की उपासना करते हैं। व्रत रखने वाले भी कई तरह से व्रत रखते हैं। कुछ फलाहार व्रत रखते हैं तो कुछ एक वक्त खाकर। कुछ लोग व्रत में सेंधा नमक खाते हैं तो कुछ किसी भी तरह के नमक का उपयोग नहीं करते हैं। किसी भी तरह के व्रत में एक आटे का जिक्र जरूर होता है। ये आटा है कुट्टू (Kuttu) का आटा।

क्या होता है कुट्टूकुट्टू एक तरह का पौधा होता है जिसे अंग्रेजी में बक व्हीट कहते हैं। इस पौधे का वैज्ञानिक नाम फैगोपाइरम एस्कुलेंटा है। भारत में इसे कुट्टू कहते हैं। कुट्टू के अंग्रेजी नाम में भले व्हीट आता हो लेकिन यह किसी प्रकार का कोई अनाज नहीं है। कुट्टू एक तरह का फल है। दो-से चार फीट तक की ऊंचाई वाले कुट्टू के पौधे में फल और फूल लगते हैं। फूल सफेद तो फल चने की तरह भूरे रंग के होते हैं। इसके गहरे हरे रंग के पत्ते तिकोने होते हैं।

कहां से आया कुट्टूइंटरनेट पर मौजूद जानकारियों के मुताबिक कुट्टू सबसे पहले उत्तरी चीन और साइबेरिया के इलाकों में उगाया गया। वहां से यह दुनिया के तमाम हिस्सों में फैला। भारत में कुट्टू जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, दक्षिण भारत और उत्तर पूर्वी राज्यों के पर्वतीय हिस्सों में उगाया जाता है। कुट्टू की कई प्रजातियां हैं। इसकी जंगली प्रजाति यूनान में भी पाई जाती है।

कैसे बनता है कुट्टू का आटा कुट्टू की खेती रबी सीजन में की जाती है, जिसके लिए इसके फसल की बुवाई मध्य सितम्बर से लेकर मध्य अक्टूबर महीने में की जाती है। फसल लगने से कटने तक के बीच करीब 70 दिनों का समय लगता है। पौधे जब करीब 4 फीट के हो जाते हैं तो इन्हें काट लिया जाता है। कुट्टू के पौधों में बीजों का झड़ना भी आम समस्या है। इसलिए 70-80 प्रतिशत तक पक जाने पर ही कटाई कर ली जाती है। कुट्टू की फसल कटने के बाद इसे सुखाया जाता है और सूखने के बाद इसके बीजों या फल को छांटा जाता है। इन्हीं फलों या बीजों को पीस कर कुट्टू का आटा तैयार होता है।

व्रत में क्यों खाते हैं कुट्टू का आटाऊपर आपको पता तो चल ही गया होगा कि कुट्टू किसी तरह का कोई अनाज नहीं बल्कि एक फल है। फल से तैयार होने के कारण ही इसका उपयोग व्रत या उपवास में आसानी से किया जा सकता है। व्रत में कुट्टू के आटे का हलवा, पूड़ी या फिर पकौड़ी बनाई जा सकती है। यह स्वादिष्ट होने के साथ ही काफी पौष्टिक भी होता है।

कितना पौष्टिक है कुट्टू का आटाकुट्टू का आटा कई मायनों में साधारण आटे से ज्यादा फायदेमंद है। सबसे पहले तो यह ग्लूटेन फ्री होता है। इस कारण वजन कम करने में यह सहायक है। पथरी के मरीजों को भी इस आटे से फायदा पहुंचता है। कुट्टू के आटे में प्रचुर मात्रा में कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन, विटामिन और फाइबर होता है। इसके साथ ही 100 ग्राम कुट्टू के आटे में 7 मिलीग्राम विटामिन B-3, 282 mg फास्फोरस, 231 mg मैग्नीशियम और 13.2 mg आयरन होता है।

कितने रुपये किलो बिकता है कुट्टूकुट्टू का आटा, गेहूं के आटे मुकाबले दो-तीन गुना महंगा बिकता है। आज कुट्टू के आटे की कीमत बाजार में करीब 140 रुपए से लेकर 150 रुपए प्रति किलोग्राम है। नवरात्रों या फिर किसी खास व्रत वाले त्योहारों के समय कुट्टू के आटे की कीमत बढ़ भी जाती है।

कैसे करें सही कुट्टू के आटे की पहचानकुट्टू के आटे का रंग आमतौर पर गहरा भूरा होता है। लेकिन जब इस आटे में कोई मिलावट हो या फिर आटा खराब हो तो इसका रंग बदलकर हल्की भूरा या हरे रंग का जाता है। आटा खरीदते समय उसके रंग को देखकर ही आप पता कर सकते हैं कि ये खराब है या ठीक। खराब कुट्टू के आटे को गूंथने में भी दिक्कत होती है। यह आटा बिखर जाता है। इसके अलावा आटा खरीदते वक्त ध्यान दें कि अगर वो खुरदरा लग रहा है और बीच बीच में काले दाने नजर आ रहे हैं तो समझ जाएं कि आटा खराब है।

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Suneet Singh author

मैं टाइम्स नाऊ नवभारत के साथ बतौर डिप्टी न्यूज़ एडिटर जुड़ा हूं। मूल रूप से उत्तर प्रदेश में बलिया के रहने वाला हूं और साहित्य, संगीत और फिल्मों में म...और देखें

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