Shailendra Death Anniversary: हिंदी सिनेमा को अनगिनत सदाबहार गीत देने वाला शैलेंद्र की आज पुण्यतिथि है। आज ही के दिन वह इस दुनिया से रुख़सत हो गए थे। शैलेन्द्र ने अपना पहला गीत वर्ष 1949 में प्रदर्शित राजकपूर की फिल्म 'बरसात' के लिए 'बरसात में तुमसे मिले हम सजन' लिखा था। इसके बाद शैलेन्द्र ने जीवन के हर फलसफे पर गीत लिखे।
1955 में आई फिल्म श्री 420 के लिए उन्होंने लिखा- मेरा जूता है जापानी.... इस गाने की दो लाइनें हैं, जो हर उस इंसान को प्रेरित करती हैं जो हुनर के दम पर फर्श से अर्श तक पहुंचना चाहता है-
होंगे राजे राज कुँवर,हम बिगड़े दिल के शहज़ादे है
हम सिंहासन पर जा बैठे,जब जब करे इरादे है...!
1959, फिल्म-अनाड़ी
किसी की मुस्कराहटों पे हो निसार
किसी का दर्द मिल सके तो ले उधार
किसी के वास्ते हो तेरे दिल में प्यार
जीना इसी का नाम है
माना अपनी जेब से फकीर हैं
फिर भी, यारो ! दिल के हम अमीर हैं
लुटे जो प्यार के लिए, वो ज़िन्दगी
जले बहार के लिए, वो ज़िन्दगी
किसी को हो न हो, हमें है एतबार
जीना इसी का नाम है
रिश्ता दिल से दिल के एतबार का
ज़िन्दा है हमीं से नाम प्यार का
कि मर के भी किसी के काम आएंगे
किसी के आँसुओं में मुस्कुराएंगे
कहेगा फूल हर कली से बार-बार
जीना इसी का नाम है
फ़िल्म: तीसरी कसम
पान खाये सैंयाँ हमारो
साँवली सूरतिया होंठ लाल-लाल
हाय-हाय मलमल का कुरता
मलमल के कुरते पे छींट लाल-लाल
पान खाये सैंयाँ हमारो
(हमने मँगाई सुरमेदानी
ले आया ज़ालिम बनारस का ज़रदा)
आ
अपनी ही दुनिया में खोया रहे वो
हमरे दिल की न पूछे बेदर्दा
पूछे बेदर्दा
1955, फिल्म सीमा
तू प्यार का सागर है, तेरी इक बूंद के प्यासे हम
लौटा जो दिया तुमने, चले जायेंगे जहां से हम
तू प्यार का सागर है ...
घायल मन का, पागल पंछी उड़ने को बेक़रार
पंख हैं कोमल, आंख है धुंधली, जाना है सागर पार
जाना है सागर पार
अब तू ही इसे समझा, राह भूले थे कहां से हम
तू प्यार का सागर है
इधर झूमती गाए ज़िंदगी, उधर है मौत खड़ी
कोई क्या जाने कहां है सीमा, उलझन आन पड़ी
उलझन आन पड़ी
कानों में ज़रा कह दे, कि आएं कौन दिशा से हम
तू प्यार का सागर है
फिल्म-श्री 420
प्यार हुआ इक़रार हुआ है
प्यार से फिर क्यों डरता है दिल
कहता है दिल, रस्ता मुश्किल
मालूम नहीं है कहाँ मंज़िल
प्यार हुआ इक़रार हुआ ...
कहो कि अपनी प्रीत का, गीत न बदलेगा कभी
तुम भी कहो इस राह का, मीत न बदलेगा कभी
प्यार जो टूटा, साथ जो छूटा
चाँद न चमकेगा कभी
प्यार हुआ इक़रार हुआ ...
रातों दसों दिशाओं से, कहेंगी अपनी कहानीयाँ
प्रीत हमारे प्यार की, दोहराएंगी जवानीयाँ
मैं न रहूँगी, तुम न रहोगे
फिर भी रहेंगी निशानीयाँ
प्यार हुआ इक़रार हुआ ...
फिल्म: तीसरी कसम
चलत मुसाफ़िर मोह लियो रे पिंजड़े वाली मुनिया –
उड़ उड़ बैठी हलवइया दुकनिया
हे रामा!
उड़ उड़ बैठी हलवइया दुकनिया
आरे!
(बरफ़ी के सब रस ले लियो रे
पिंजड़े वाली मुनिया) –
अ हे अ हे… हे रामा
उड़ उड़ बैठी बजजवा दुकनिया –
आहा
उड़ उड़ बैठी बजजवा दुकनिया
आरे!
(कपड़ा के सब रस ले लियो रे
पिंजड़े वाली मुनिया)
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