Majaz Lakhnavi Shayari: मोहब्बत का हर भेद पाना भी है, मगर अपना दामन बचाना भी है.., ताजी हवा के झोंके से हैं मजाज़ लखनवी के ये 21 शेर

Majaz Lakhnavi Shayari: ' इरशाद' के आज के अंक में हम नजर डालेंगे मजाज़ लखनवी की शायरी पर। मजाज़ के पिता इंजीनियर बनाना चाहते थे, लेकिन मजाज़ तो मुहब्बत और इन्किलाब के लिए पैदा हुए थे। उनका व्यक्तित्व और शायरी में ऐसा आकर्षण था कि हर महफिल में छा जाते थे। मजाज़ ने कम लिखा लेकिन ऐसा लिखा कि उसे सदियों तक पढ़ा जाएगा।

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Majaz Lakhnavi Shayari (मजाज़ की नज्में): मजाज़ लखनवी का नाम शेर-ओ-शायरी की दुनिया में काफी अदब से लिया जाता है। महज 44 साल तक जीने वाले मजाज़ ने एख से बढ़कर एक कलाम लिखे। मजाज़ का असली नाम असरार उल हक़ था। उनकी पैदाइश लखनऊ के करीब बाराबंकी शहर में हुई थी। वह आगरा में पले-बढ़े और वहीं तालीम हासिल की। पिता इंजीनियर बनाना चाहते थे, लेकिन मजाज़ तो मुहब्बत और इन्किलाब के लिए पैदा हुए थे। उन्होंने साइंस छोड़ दी और फिर से आर्ट लेकर अलीगढ़ से इंटरमीडिएट का इम्तिहान पास किया। उनका व्यक्तित्व और शायरी में ऐसा आकर्षण था कि हर महफिल में छा जाते थे। मजाज़ ने कम लिखा लेकिन ऐसा लिखा कि उसे सदियों तक पढ़ा जाएगा। आइए डालते हैं एक नजर उनके लिखे चंद मशहूर शेरों पर:

मोहब्बत का हर भेद पाना भी है

मगर अपना दामन बचाना भी है

हुस्न का ग़म भी हसीं फ़िक्र हसीं दर्द हसीं

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