Majaz Lakhnavi Shayari: तू इस आंचल से इक परचम बना लेती तो अच्छा था.., मोहब्बत और इंकलाब की मिसाल हैं मजाज़ लखनवी के ये शेर

Majaz Lakhnavi Shayari: मजाज़ का असली नाम असरार उल हक़ था। उनकी पैदाइश लखनऊ के करीब बाराबंकी शहर में हुई थी। वह आगरा में पले-बढ़े और वहीं तालीम हासिल की। पिता इंजीनियर बनाना चाहते थे, लेकिन मजाज़ तो मुहब्बत और इन्किलाब के लिए पैदा हुए थे।

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Majaz Lakhnavi Shayari, Majaz ki Shayari

Majaz Lakhnavi Shayari (मजाज़ की नज्में): उर्दू अदब की दुनिया में मजाज़ लखनवी का नाम बड़ी इज्जत से लिया जाता है। शेर-ओ-शायरी के शहगर में मजाज़ ने ऐसी लोकप्रियता हासिल की जो हर किसी को नसीब नहीं होती है। मजाज़ को ये दुनिया रास ना आई। उन्होंने 44 साल की उम्र में इसे अलविदा कह फानी दुनिया का सफर कर लिया। लेकिन जाने से पहले वो एक से बढ़कर एक नज्म औक कलाम लिख गए। मजाज़ की शख्सियत और शायरी में ऐसा आकर्षण था कि वह हर महफिल में छा जाते थे। मजाज़ ने कम लिखा लेकिन ऐसा लिखा कि उसे सदियों तक पढ़ा जाएगा। आइए डालते हैं एक नजर उनके लिखे चंद मशहूर शेरों पर:

हमेशा ख़ून पीकर हड्डियों के रथ में चलती है

ज़माना चीख़ उठता है ये जब पहलू बदलती है

कब किया था इस दिल पर हुस्न ने करम इतना

मेहरबाँ और इस दर्जा कब था आसमाँ अपना

तेरे माथे पे ये आँचल तो बहुत ही ख़ूब है लेकिन

तू इस आँचल से इक परचम बना लेती तो अच्छा था

नूर ही नूर है किस सम्त उठाऊं आंखें

हुस्न ही हुस्न है ता हद्दे नजर आज की रात

आंख से आंख जब नहीं मिलती, दिल से दिल का कलाम होता है

हुस्न को शर्मसार करना ही इश्क़ का इन्तक़ाम होता है

दफ़्न कर सकता हूँ सीने में तुम्हारे राज़ को

और तुम चाहो तो अफ़्साना बना सकता हूँ मैं

ये महताब नहीं है कि आफ़ताब नहीं

सभी हैं हुस्न मगर इश्क़ का जवाब नहीं

मोहब्बत का हर भेद पाना भी है

मगर अपना दामन बचाना भी है

हुस्न का ग़म भी हसीं फ़िक्र हसीं दर्द हसीं

उन को हर रंग में हर तौर सँवर जाना था

दिल धड़क उठता है ख़ुद अपनी ही हर आहट पर

अब क़दम मंज़िल-ए-जानाँ से बहुत दूर नहीं

दफ़्न कर सकता हूं सीने में तुम्हारे राज़ को

और तुम चाहो तो अफ़्साना बना सकता हूं मैं

हाय वह वक्त कि बेपिये बेहोशी थी,

हाय यह वक्त कि पीकर भी मख्मूर नहीं।

बताऊँ क्या तुझे ऐ हम-नशीं किस से मोहब्बत है

मैं जिस दुनिया में रहता हूँ वो इस दुनिया की औरत है

ख़ुद दिल में रहके आंख से पर्दा करे कोई

हां लुत्फ जब है पा के ढूंढा करे कोई

वां इशारे में बहक जाना ही ऐने होश है

होश में रहना यक़ीनन सख़्त नादानी है आज

क्या-क्या हुआ है हमसे जुनूं में न पूछिए

उलझे कभी ज़मीं से, कभी आसमां से हम

छलकती है जो तेरे जाम से उस मय का क्या कहना

तेरे शादाब होठों की मगर कुछ और है साक़ी

तुम्हीं तो हो जिसे कहती है नाख़ुदा दुनिया

बचा सको तो बचा लो कि डूबता हूँ मैं

ये आना कोई आना है कि बस रस्मन चले आए

ये मिलना ख़ाक मिलना है कि दिल से दिल नहीं मिलता

जिगर और दिल को बचाना भी है

नज़र आप ही से मिलाना भी है

वो मुझको चाहती है, और मुझ तक आ नहीं सकती

मैं उसको पूजता हूं, और उसको पा नहीं सकता

बता दें कि मजाज़ का असली नाम असरार उल हक़ था। उनकी पैदाइश लखनऊ के करीब बाराबंकी शहर में हुई थी। वह आगरा में पले-बढ़े और वहीं तालीम हासिल की। पिता इंजीनियर बनाना चाहते थे, लेकिन मजाज़ तो मुहब्बत और इन्किलाब के लिए पैदा हुए थे। उम्मीद करते हैं आपको मजाज़ के ये चुनिंदा शेर जरूर पसंद आए होंगे।

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Suneet Singh author

मैं टाइम्स नाऊ नवभारत के साथ बतौर डिप्टी न्यूज़ एडिटर जुड़ा हूं। मूल रूप से उत्तर प्रदेश में बलिया के रहने वाला हूं और साहित्य, संगीत और फिल्मों में म...और देखें

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