Maner Ke Laddoo: सैकड़ों साल पुराना इतिहास, मुगलों से कनेक्शन, नेता-अभिनेता सब दीवाने, जानिए कैसे बनता है यह मनेर का लड्डू

Maner Ke Laddoo: मनेर के लड्डू के चर्चे राजनीतिक गलियारों में भी खूब है। देश के तीन प्रधानमंत्री , अटल बिहारी वाजपेयी, चंद्रशेखर और वीपी सिंह, मनेर में आकर यहां के लड्डू का स्वाद चख चुके हैं।

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Maner Ke Laddoo: बिहार की राजधानी पटना के पास एक छोटा सा कस्बा है मनेर। मनेर दो चीजों के लिए फेमस है। पहली तो ये कि यहां सूफ़ी संत मखदूम दौलत ने सन 1608 में आखिरी सांस ली थी। उनके दरगाह पर देशभर से लोग सजदा करने आते हैं। मनेर दूसरी जिस चीज के लिए फेमस है वो है यहां के लड्डू। मनेर के लड्डू का स्वाद ऐसा कि एक बार मुंह को लग जाए तो बस फिर क्या ही कहने। मनेर के लड्डू इतने फेमस हैं कि एक चुनावी सभा के दौरान पीएम नरेंद्र मोदी ने भी उसका जिक्र किया।

मनेर के लड्डू का इतिहास (History Of Maner Ke Laddoo)

स्थानीय लोगों के मुताबिक एक बार मुगल बादशाह शाह आलम मनेर शरीफ इबादत करने आए। वो अपने साथ कुछ खानसामे और मिठाई के कारीगर भी ले आए थे। इन कारीगरों ने स्थानीय मिठाई विक्रेताओं को लड्डू बनाना सिखाया। बाद में यहां के कारीगर लड्डू बनाने में इतने निपुण हो गए कि यहां का लड्डू मनेर के लड्डू के नाम से मशहूर हो गए। मुगलों से लेकर ब्रिटिशर्स तक ने मनेर के लड्डू का भरपूर स्वाद लिया।

सबसे पहले बुलाकी साह फकीरा साह ने लड्डू मनेर में लड्डू का काम शुरू किया। उन लोगों के देहांत के बाद सुखदेव साह ने इस काम को संभाला। जो भी मनेर शरीफ दरगाह का दीदार करने आता वो यहां के लड्डू जरूर ले जाता। सदियों बाद भी ये सिलसिला बदस्तूर जारी है। मनेर के लड्डू को मिट्टी के हांडी में सुरक्षित ढंग से पैक कर भी बेचा जाता है।

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