Shaheed Diwas 2024: क्यों मनाते हैं शहीद दिवस? जानें क्या है इस खास दिन का इतिहास और महत्व
23 मार्च 1931 को भगत सिंह (Bhagat Singh), शिवराम राजगुरु और सुखदेव थापर को ब्रिटिश राज में फांसी दी गई थी। तब से हर साल 23 मार्च को शहीद दिवस के रूप में सेलिब्रेट किया जाता है।
हर साल 23 मार्च को शहीद दिवस मनाया जाता है। 23 मार्च 1931 को भगत सिंह (Bhagat Singh), शिवराम राजगुरु और सुखदेव थापर को ब्रिटिश राज में फांसी दी गई थी। तब से हर साल 23 मार्च को शहीद दिवस के रूप में सेलिब्रेट किया जाता है। इस साल देश 93वां शहीद दिवस सेलिब्रेट करने जा रहा है।
शहीद दिवस का इतिहास - History of Shaheed Diwas
'साइमन, वापस जाओ' के नारे के साथ, लाला लाजपत राय ने 30 अक्टूबर, 1928 को सर जॉन साइमन की लाहौर यात्रा के खिलाफ एक अहिंसक प्रदर्शन किया था। हालांकि प्रदर्शन शांतिपूर्ण था, लेकिन फिर भी पुलिस अधीक्षक जेम्स ए स्कॉट ने पुलिस को लाठी चार्ज का आदेश दिया था। इस झड़प में लाला लाजपत राय बुरी तरह से घायल हो गए थे और बाद में उनकी मृत्यु हो गई थी।
उनकी मृत्यु के बाद, तीन युवा क्रांतिकारी स्वतंत्रता सेनानियों - भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव - ने जेम्स स्कॉट की हत्या करने की योजना बनाई, लेकिन गलत पहचान के कारण, उन्होंने एक अन्य पुलिस अधीक्षक, जॉन पी. सॉन्डर्स की हत्या कर दी।
लाला लाजपत राय की हत्या का बदला लेने के लिए, उन्होंने केंद्रीय विधानसभा पर एक और हमले की योजना बनाई थी। उनका इरादा सार्वजनिक सुरक्षा विधेयक और व्यापार विवाद अधिनियम के पारित होने को रोकने का भी था। उन्होंने 8 अप्रैल, 1929 को केंद्रीय विधानसभा पर बमबारी करने का प्रयास किया था, लेकिन उन्हें पकड़ लिया गया था। सिंह, सुखदेव और राजगुरु सभी को मृत्युदंड दिया गया। 23 मार्च, 1931 को तीनों को लाहौर जेल में फांसी दे दी गई थी।
शहीद दिवस का महत्व
हर साल 23 मार्च को भगत सिंह, शिवराम राजगुरु और सुखदेव थापर के सम्मान में शहीद दिवस मनाया जाता है। यह उन स्वतंत्रता योद्धाओं को याद करने का दिन है जिन्होंने अपने देश की आजादी के लिए अपनी जान दे दी थी।
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