Mehndi Shayari: चुरा के मुट्ठी में दिल को छुपाए बैठे हैं, बहाना ये है कि मेहंदी लगाए बैठे हैं.., पढ़ें मेहंदी पर 15 मशहूर शेर

Mehndi Shayari 2 lines in Hindi ( मेहंदी पर शायरी दो लाइन ): मेहंदी सिर्फ रंग ही नहीं, बल्कि संस्कृति का हिस्सा भी है। यह एक ऐसी परम्परा है जिसका सुहागिन महिलाओं के जीवन में विशेष महत्व होता है। शादी-ब्याह और त्योहार पर अक्सर महिलाएं अपने हाथों पर मेहंदी रचाती हैं। लेकिन यह सिर्फ श्रृंगार का साधन नहीं बल्कि खुशियों का प्रतीक भी है। इसी खुशियों के प्रतीक पर बात कई शायरों ने बेहतरीन शेर (Mehndi Shayari Love) लिखें हैं।

Mehndi Shayari

Mehndi Shayari (मेहंदी पर शायरी दो लाइन)

Mehndi Shayari in Hindi, Urdu: प्यार इश्क और मोहब्बत से लेकर जुदाई, गम और बेवफाई तक पर लाखों शेर लिखे गए हैं। दुनिया में शायद हर चीज पर शायरी और नज्में लिखी गई हैं। इसी कड़ी में सुहागिनों के सोलह श्रृंगार में से एक मेहंदी पर भी बड़े खूबसूरत शेर कहे गए हैं। दरअसल मेहंदी सिर्फ रंग ही नहीं, बल्कि संस्कृति का हिस्सा भी है। यह एक परम्परा है और खासकर सुहागिन महिलाओं के जीवन में इसका विशेष महत्व है। शादी-ब्याह और त्योहार पर अक्सर महिलाएं अपने हाथों पर मेहंदी रचाती हैं। लेकिन यह सिर्फ श्रृंगार का साधन नहीं बल्कि खुशियों का प्रतीक भी है। इस मेहंदी का जितना खास महत्व है उतने ही बेहतरीन इसपर शेर भी लिखे गए हैं। आइए देखें मेहंदी पर लिखे कुछ शेर:

हम गुनहगारों के क्या ख़ून का फीका था रंग

मेहंदी किस वास्ते हाथों पे रचाई प्यारे

- मिर्ज़ा अज़फ़री

मल रहे हैं वो अपने घर मेहंदी

हम यहाँ एड़ियाँ रगड़ते हैं

- लाला माधव राम जौहर

लब-ए-नाज़ुक के बोसे लूँ तो मिस्सी मुँह बनाती है

कफ़-ए-पा को अगर चूमूँ तो मेहंदी रंग लाती है

- आसी ग़ाज़ीपुरी

मेहंदी लगाए बैठे हैं कुछ इस अदा से वो

मुट्ठी में उनकी दे दे कोई दिल निकाल के

-रियाज़ ख़ैराबादी

मेहंदी लगाने का जो ख़याल आया आप को

सूखे हुए दरख़्त हिना के हरे हुए

-हैदर अली आतिश

मेहंदी ने ग़ज़ब दोनों तरफ़ आग लगा दी

तलवों में उधर और इधर दिल में लगी है

-अज्ञात

कुश्ता-ए-रंग-ए-हिना हूँ मैं अजब इस का क्या

कि मिरी ख़ाक से मेहंदी का शजर पैदा हो

-मुसहफ़ी ग़ुलाम हमदानी

लब-ए-नाज़ुक के बोसे लूँ तो मिस्सी मुँह बनाती है

कफ़-ए-पा को अगर चूमूँ तो मेहंदी रंग लाती है

-आसी ग़ाज़ीपुरी

मल रहे हैं वो अपने घर मेहंदी

हम यहाँ एड़ियाँ रगड़ते हैं

-माधव राम जौहर

मेहंदी के धोके मत रह ज़ालिम निगाह कर तू

ख़ूँ मेरा दस्त-ओ-पा से तेरे लिपट रहा है

-मुसहफ़ी ग़ुलाम हमदानी

अल्लाह-रे नाज़ुकी कि जवाब-ए-सलाम में

हाथ उस का उठ के रह गया मेहंदी के बोझ से

-रियाज़ ख़ैराबादी

चुरा के मुट्ठी में दिल को छुपाए बैठे हैं

बहाना ये है कि मेहंदी लगाए बैठे हैं

-क़ैसर हैदरी देहलवी

दोनों का मिलना मुश्किल है दोनों हैं मजबूर बहुत

उस के पाँव में मेहंदी लगी है मेरे पाँव में छाले हैं

-अमीक़ हनफ़ी

मेहंदी के धोके मत रह ज़ालिम निगाह कर तू

ख़ूँ मेरा दस्त-ओ-पा से तेरे लिपट रहा है

- मुसहफ़ी ग़ुलाम हमदानी

उम्मीद करते हैं आपके मेहंदी पर ये शेर जरूर पसंद आए होंगे। आप इन शायरियों को अपने किसी खास को भेज भी सकते हैं। आप चाहें तो इन शायरियों को अपने सोशल मीडिया अकाउंट से भी शेयर कर सकते हैं।

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Suneet Singh author

मैं टाइम्स नाऊ नवभारत के साथ बतौर डिप्टी न्यूज़ एडिटर जुड़ा हूं। मूल रूप से उत्तर प्रदेश में बलिया के रहने वाला हूं और साहित्य, संगीत और फिल्मों में म...और देखें

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