#MannSeMaa: नोएडा की इस महिला ने दी सैंकड़ों बच्चों को ममता की छांव, सारे प्यार से कहते हैं मम्मी - पढ़ें मातृत्व को समर्पित ये कहानी

Mothers Day Special: क्या जन्म देने से ही महिलाओं को मां बनने का अधिकार मिलता है ? मां की निष्ठा, समर्पण, त्याग और ममता की मिसाल हैं नोएडा की अंजना राजगोपाल जिनको सैंकड़ों बच्चे मां कहते हैं। मदर्स डे पर पढ़ें ये कहानी।

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मदर्स डे पर पढ़ें अंजना राजगोपाल की कहानी

Mothers Day Special: जिंदगी में किसी को भी अपनाना हर किसी के बस की बात नहीं। जो ऐसा करते हैं वो दूसरों के लिए सिर्फ सहारा ही नहीं बल्कि समाज के लिए प्रेरणा भी बनते हैं। ऐसी ही एक मिसाल बनीं हैं अंजना राजगोपाल, जो असहाय बच्चों के लिए सहारा हैं। बता दें, केरल की रहने वाली 70 वर्षीय महिला अब तक सैकड़ों बच्चे की मम्मी बन चुकी हैं। दरअसल, अंजना नोएडा में साई कृपा बाल कुटीर आश्रम संभालती हैं, जहां वो बड़ी संख्या में बेसहारा बच्चों की वो परवरिश करती हैं। उनके कई बच्चे आज जॉब भी कर रहे हैं।

जॉब को छोड़, आश्रम चलाने का लिया निर्णय

अंजना अपनी पढ़ाई पूरी करके जब जॉब के लिए दिल्ली आई थीं तब दिल्ली की सड़कों पर बच्चों की हालत देख उनका मन बदल गया। तब से वो हर बेसहारा बच्चों के लिए सहारा और उनकी मम्मी बन गईं। साल 1988 में उन्होंहे एक ऑर्फेनेज खोला, जिसमें बच्चों की खाने-पीने से लेकर पढ़ाई-लिखाई की भी व्यवस्था है।

कब आया था आश्रम संभालने का ख्याल

अंजना बताती हैं - जब मैं 10 साल की थी और स्कूल में पढ़ती थी, तब कुछ बच्चों को नोटबुक हाथ में लिए झुंड में घर-घर चंदा इकट्ठा करते देखती थी। मुझे तब भी उनके लिए बहुत बुरा लगता था। सबसे पहले उसी समय मेरे मन में ख्याल आया था। लेकिन, जब मैं दिल्ली आई तो बच्चों की कंडीशन बहुत खराब देखी। कुछ बच्चे सड़कों पर भीख मांगते थे तो कुछ होटल में मजदूरी। तब मैंने बच्चों के लिए काम करना शुरू कर दिया।

बच्चों का फ्यूचर ब्राइट चाहती हैं अंजना

आश्रम को संभालते हुए आज 35 साल हो गए। अंजना हमेशा ही अपने बच्चे को आगे बढ़ता देखना चाहती हैं। अंजना कहती हैं - मैं आजीवन अपने बच्चों या बेसहारा बच्चों की मदद करना चाहती हूं। हालांकि, अनाथालय में रहने वाले बच्चों की पढ़ाई उच्च स्तर तक की नहीं हो पाती। लेकिन, मैं अपने बच्चों के लिए प्रायर एजुकेशन देने से लेकर हायर एजुकेशन और जॉब तक के बारे में भी ख्याल रखती हैं। मेरा मकसद है- बच्चों को सक्सेज होते हुए और हमेशा खुश देखना।
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