शहजादा, सिपाही और तवायफ: अकबर के दरबार का वह बाइसेक्सुअल लव ट्रायंगल, जिसने हिला कर रख दी थी मुग़ल सोसायटी

Mughal History: मुग़ल शासकों की अय्याशी तो सबको पता ही है, लेकिन उनके दरबारी अमीर भी कम अय्याश न थे। मुगल बादशाहों की तरह उनका भी लंबा-चौड़ा हरम होता। जब वे अपने घर से बाहर जाते, तो स्थानीय रखैलों से भरपूर अपना एक अस्थायी हरम साथ लेकर चलते।

प्रतीकात्मक तस्वीर (सोर्स - सोशल मीडिया)

हिंदुस्तान के इतिहास में मुगल काल वो पन्ना है जिसकी ना जाने कितनी ही कहानियां हैं जो सदियों से लोगों के बीच चर्चा का विषय बनी हुई हैं। बाबर से बहादुर शाह जफर तक, तमाम मुगल सुल्तानों की ना सिर्फ वीरता बल्कि मोहब्बत और अय्याशी के भी कई किस्से इतिहास के पन्नों में दर्ज हैं। मुगल हरम हमेशा से चर्चा में रहे। जितना बड़ा सुल्तान होता, उसका हरम भी उतना ही बड़ा होता। कुछ मुग़ल अमीर बाइसेक्सुअल भी थे और अपने हरम में खूबसूरत, कोमल और कामुक युवकों को रखते। कई सूफी साहित्यकारों ने मुगलों के समलैंगिक प्रेम को ही असली इश्क भी माना। इस बात की तस्दीक करता है मध्यकाल के सूफी कवि का ये शेर। इस शेर में सूफी कवि सैफी लिखते हैं-

"किसी की ज़िंदगी तभी होगी पूरी और ख़ुद में कामयाब,

पास में हो सुंदर लड़का और अच्छी शायरी की किताब।"

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