Munawwar Rana Shayari: ज़िंदगी तू कब तलक दर-दर फिराएगी हमें, टूटा-फूटा ही सही घर-बार होना चाहिए.., पढ़ें मुनव्वर राना के 20+ बेहतरीन शेर
Munawwar Rana Shayari in Hindi: मुनव्वर राना ने इश्क़ को प्रेमी और प्रेमिका के रंग से ऐसा सराबोर किया कि पढ़ने सुनने वाला बस उसी में खोकर रह गए। मुनव्वर राना ने हिंदी और उर्दू दोनों पर समान अधिकार रखते हुए शायरी (Munawwar Rana Famous Shayari) की शक्ल में अपना कलेजा उतार कर रख दिया। 'इरशाद' में आज आइए देखें महबूब शायर मुनव्वर राना की कलम से निकले कुछ बेहतरीन शेर।
Munawwar Rana Shayari in Hindi Urdu (मुनव्वर राना शायरी हिंदी में)
Munawwar ana Shayari in Hindi (मुनव्वर राना की शायरी), Munawwar Rana Poetry: मुनव्वर राना उर्दू अदब के एक मक़बूल नाम रहे हैं। मुनव्वर राना नज्मों की दुनिया का वो चमकता सितारा थे जिन्होंने इंसानी रिश्तों की अतल गहराईयों में उतर कर शेर लिखे। इन रिश्तों पर ना सिर्फ उन्होंने बड़ी खूबसूरती से कलम चलाई, बल्कि उसे एक अलग मुकाम तक ले गए। मां की ममता हो या बेटी का निश्छल प्रेम, उसके इर्द गिर्द बुने शेरों में मुनव्वर राणा हमेशा महकते रहेंगे। जब बात इश्क की हो तो उनकी कलम का जादू अपने शबाब पर रहा। उन्होंने इश्क़ को प्रेमी और प्रेमिका के रंग से ऐसा सराबोर किया कि पढ़ने सुनने वाला बस उसी में खोकर रह गए। मुनव्वर राना ने हिंदी और उर्दू दोनों पर समान अधिकार रखते हुए शायरी की शक्ल में अपना कलेजा उतार कर रख दिया। आइए देखें उनकी कलम से निकले कुछ बेहतरीन शेर:
- तो अब इस गांव से रिश्ता हमारा खत्म होता है
फिर आंखें खोल ली जाएं कि सपना खत्म होता है।
- तुम्हें भी नींद सी आने लगी है, थक गए हम भी
चलो हम आज ये क़िस्सा अधूरा छोड़ देते हैं।
- आप को चेहरे से भी बीमार होना चाहिए
इश्क़ है तो इश्क़ का इज़हार होना चाहिए
- ज़िंदगी तू कब तलक दर-दर फिराएगी हमें
टूटा-फूटा ही सही घर-बार होना चाहिए
- तुम्हारी महफ़िलों में हम बड़े-बूढ़े ज़रूरी हैं।
अगर हम ही नहीं होंगे तो पगड़ी कौन बांधेगा।
- बरसों से इस मकान में रहते हैं चंद लोग
इक दूसरे के साथ वफ़ा के बग़ैर भी
- मिट्टी का बदन कर दिया मिट्टी के हवाले,
मिट्टी को कहीं ताज-महल में नहीं रक्खा।
- एक क़िस्से की तरह वो तो मुझे भूल गया
इक कहानी की तरह वो है मगर याद मुझे
- भुला पाना बहुत मुश्किल है सब कुछ याद रहता है
मोहब्बत करने वाला इस लिए बरबाद रहता है
- ताज़ा ग़ज़ल ज़रूरी है महफ़िल के वास्ते
सुनता नहीं है कोई दोबारा सुनी हुई
- हम कुछ ऐसे तेरे दीदार में खो जाते हैं
जैसे बच्चे भरे बाज़ार में खो जाते हैं
- अँधेरे और उजाले की कहानी सिर्फ़ इतनी है
जहाँ महबूब रहता है वहीं महताब रहता है
- कभी ख़ुशी से ख़ुशी की तरफ़ नहीं देखा
तुम्हारे बाद किसी की तरफ़ नहीं देखा
- किसी को घर मिला हिस्से में या कोई दुकाँ आई
मैं घर में सब से छोटा था मेरे हिस्से में माँ आई
- मैं इस से पहले कि बिखरूँ इधर उधर हो जाऊँ
मुझे सँभाल ले मुमकिन है दर-ब-दर हो जाऊँ
- मसर्रतों के ख़ज़ाने ही कम निकलते हैं
किसी भी सीने को खोलो तो ग़म निकलते हैं
- मिट्टी में मिला दे कि जुदा हो नहीं सकता
अब इस से ज़यादा मैं तेरा हो नहीं सकता
- मुख़्तसर होते हुए भी ज़िंदगी बढ़ जाएगी
माँ की आँखें चूम लीजे रौशनी बढ़ जाएगी
- वो बिछड़ कर भी कहाँ मुझ से जुदा होता है
रेत पर ओस से इक नाम लिखा होता है
- मैं भुलाना भी नहीं चाहता इस को लेकिन
मुस्तक़िल ज़ख़्म का रहना भी बुरा होता है
- तेरे एहसास की ईंटें लगी हैं इस इमारत में
हमारा घर तेरे घर से कभी ऊँचा नहीं होगा
- ये हिज्र का रस्ता है ढलानें नहीं होतीं
सहरा में चराग़ों की दुकानें नहीं होतीं
- ये सर-बुलंद होते ही शाने से कट गया
मैं मोहतरम हुआ तो ज़माने से कट गया
- उस पेड़ से किसी को शिकायत न थी मगर
ये पेड़ सिर्फ़ बीच में आने से कट गया
- वर्ना वही उजाड़ हवेली सी ज़िंदगी
तुम आ गए तो वक़्त ठिकाने से कट गया
बता दें कि मुनव्वर राना अब हमारे बीच नहीं हैं। 14 जनवरी 2024 को उन्होंने इस दुनिया को अलविदा कह दिया। उनके इस फानी दुनिया से कूच करने के बाद भी उनके शेर फिजाओं में महकते रहेंगे। अपनी कलम से निकली नज्मों में वह हमेशा अमर रहेंगे। उम्मीद करते हैं आपको इस महबूब शायर की ये शायरियां जरूर पसंद आई होंगी।
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मैं टाइम्स नाऊ नवभारत के साथ बतौर डिप्टी न्यूज़ एडिटर जुड़ा हूं। मूल रूप से उत्तर प्रदेश में बलिया के रहने वाला हूं और साहित्य, संगीत और फिल्मों में म...और देखें
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