National Girl Child Day 2023: राष्ट्रीय बालिका दिवस किसकी याद में क्यों मनाया जाता है, जानें इतिहास और इस साल की थीम

National Girl Child Day 2023- Date, Theme, History, Significance: हर साल 24 जनवरी को राष्ट्रीय बालिका दिवस मनाया जाता है। जानें राष्ट्रीय बालिका दिवस यानी नेशनल गर्ल चाइल्ड से क्यों मनाया और किसकी याद में मनाया जाता है। क्या है राष्ट्रीय बालिका दिवस का इतिहास और महत्व।

National Girl Child Day 2023: राष्ट्रीय बालिका दिवस किसकी याद में क्यों मनाया जाता है, जानें इतिहास और इस साल की थीम

National Girl Child Day 2023- Date, Theme, History, Significance in Hindi:बेटी है तो कल है, वाकई बेटियां किसी सौगात से कम नहीं होती। लेकिन अक्सर लोग ये बात भूल जाते है, और नन्ही बेटियों को लिंग के आधार पर होने वाले भेदभाव की बेड़ियां पहना देते हैं। हालांकि बदलते जमाने के साथ स्थिति में कई सारे सकारात्मक बदलाव आए हैं। जिसमें बड़ा हाथ सरकार का भी है, जो लगातार देश की बेटियों के गौरवशाली भविष्य, सफल जीवन, और पढ़े लिखे बेहतर कल को सुनिश्चित करने हेतु लगातार प्रयास कर रही है।

ऐसे ही बेटियों के सम्मान में, हर साल 24 जनवरी (National Girl Child Day Date in Hindi) के दिन नेशनल गर्ल चाइल्ड डे मनाया जाता है। महिला एवं बाल विकास मंत्रालय द्वारा शुरू किए गए इस दिन का मूल उद्देश्य लड़कियों की झोली में बहुत सारा समर्थन तथा बेहतरीन अवसर प्रदान करने का है। बालिकाओं के उज्जवल भविष्य के सपने को पूरा करने के लिए सरकार और पूरा देश तेजी से अग्रसर है।

National Girl Child Day 2023 Facts

राष्ट्रीय बालिका दिवस कब मनाते हैं24 जनवरी को प्रत्येक वर्ष
राष्ट्रीय बालिका दिवस क्यों मनाते हैंकन्या भ्रूण हत्या रोकने और बेटियों को आगे बढ़ने के मौके देने को
राष्ट्रीय बालिका दिवस कौन सा मंत्रालय मनाता हैमहिला एवं बाल विकास मंत्रालय
राष्ट्रीय बालिका दिवस 2023 थीम डिजिटल जनरेशन, आवर जनरेशन, ऑवर टाइम इस नाउ जैसे थीम रखे जा चुके हैं
राष्ट्रीय बालिका दिवस किसकी याद में मनाया जाता है

हर साल 24 जनवरी का दिन देश की बेटियों को समर्पित किया जाता है। इस दिन की शुरुआत साल 2008 में महिला एवं बाल विकास मंत्रालय द्वारा की गई थी। ताकि महिलाओं और बच्चियों के साथ हो रहे अन्यायों के प्रति जनता को जागरूक किया जा सके। और लिंग के आधार पर होने वाले भेदभावों को जड़ से खत्म किया जाए। मनमोहन सरकार के दौरान, रेणुका चौधरी के नेतृत्व में इस गर्ल चाइल्ड डे की पहल की गई थी। साल दर साल आती जाती सरकारों ने लड़कियों के बेहतर कल के लिए कई बड़े कदम उठाए हैं। जिनमें पढ़ाई, पोषण और स्वास्थ्य को सबसे ऊंचा दर्जा दिया गया है। इन्हीं क्षेत्रों में और सुधार हेतु, बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ, बेटी है तो कल है, सेव गर्ल चाइल्ड जैसे अभियानों को लॉन्च किया गया है।

National Girl Child Day 2023 Theme in Hindi

हालांकि भारत सरकार द्वारा आधिकारिक तौर पर इस साल की थीम की घोषणा नहीं की गई है। लेकिन बता दें कि पहले डिजिटल जनरेशन, आवर जनरेशन, ऑवर टाइम इस नाउ – ऑवर राइट्स ऑवर फ्यूचर जैसे स्लोगन का उपयोग किया जा चुका है।

National Girl Child Day Significance

राष्ट्रीय बालिका दिवस की शुरुआत भारतीय समाज में लगातार बढ़ते फीमेल फेटिसाइड यानी कि कन्या भ्रूण हत्या के मामलों को देखते हुए किया गया था। लिंग जांच करवाकर कन्याओं को पेट में ही मार डालने के बढ़ते मामलों पर रोक लगाने हेतु। साल 2003 में भारत सरकार द्वारा लिंग जांच की प्रक्रिया पर पूरी तरह से बैन लगा दिया गया था।

बेटियों के बेहतर भविष्य के लिए सरकार द्वारा कन्या शिक्षा को गहरा महत्व दिया जाने लगा। यही नहीं सरकार द्वारा बच्चियों की पढ़ाई के लिए आर्थिक समर्थन भी दिया जाता है। जिसके अनुसार लड़कियों की प्राथमिक शिक्षा का खर्च सरकार उठाती है।

बच्चियों की शिक्षा को हमेशा से लिंग के आधार पर होने वाले भेदभावों की सूली चढ़ना पड़ा है। इसलिए कन्या शिक्षा के क्षेत्र में सरकार द्वारा उठाए गए कदम बेहद जरूरी थे। आज लड़कियों के हित के लिए सरकार स्कूल और कॉलेज की छात्रवृत्ति, स्वास्थ्य सेवाएं और आर्थिक सेवाएं प्रदान करती हैं।

स्कूल, कॉलेजों से लेकर सरकारी और प्राइवेट नौकरियों में भी लड़कियों के लिए सीट रिजर्व की जाती है। ताकि इस तरह के संस्थानों में लड़का और लड़की के बीच के फर्क को मिटाया जा सके।

राष्ट्रीय बालिका दिवस का महत्व क्या है

इसलिए 24 जनवरी का दिन लड़कियों पर होने वाले इन सारे अत्याचारों के प्रति जनता को जागरूक करता है। साथ ही इनके खिलाफ आवाज उठाने का प्रयास करता है। ताकि देश की बेटियों की स्थिति बेहतर होती चली जाए। सरकार द्वारा लागू किए गए अभियानों की बदौलत ही आज महिला शिक्षा और स्वास्थ्य के लेवल में सकारात्मक बदलाव आया है।

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मेधा चावला author

हरियाणा की राजनीतिक राजधानी रोहतक की रहने वाली हूं। कई फील्ड्स में करियर की प्लानिंग करते-करते शब्दों की लय इतनी पसंद आई कि फिर पत्रकारिता से जुड़ गई।...और देखें

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