Nida Fazli Poetry: जिंदगी की धूप में घने साये की तरह हैं निदा फाज़ली की ये गजलें, देखें निदा फाजली की बेहतरीन रचनाएं

Nida Fazli Ghazal, Shayari in Hindi: हिंदी-उर्दू साहित्य की अप्रतीम अनमोल मणियों में से एक निदा फ़ाज़ली अज़ीम शायर थे। उन्होंने कई फ़िल्मों के लिए भी गीत लिखे हैं। उनका लिखा गीत कभी किसी को मुकम्मल जहाँ नहीं मिलता, तू इस तरह से मेरी ज़िंदगी में शामिल है, होश वालों को ख़बर क्या आज भी लोग गुनगुनाते हैं।

Nida Fazli Poetry In Hindi

Nida Fazli Best Poetry in Hindi निदा फाज़ली की गजल, निदा फाज़ली की शायरी): निदा फ़ाज़ली उर्दू-हिन्दी के अज़ीम शायर थे। हिंदी-उर्दू साहित्य की अप्रतीम अनमोल मणियों में से एक निदा फ़ाज़ली की लेखनी आज भी युवाओं को प्रेरणा से भर देती है। 2 अक्तूबर 1938 को देश की राजधानी दिल्ली में जन्मे निदा फ़ाज़ली का पूरा मुक़्तदा हसन निदा फ़ाज़ली था। निदा फ़ाज़ली को शायरी विरास में मिली थी। उनके पिता मुर्तजा हसन बैदी भी एक मशहूर शायर थे। दिल्ली विश्वविद्यालय से पढ़ाई पूरी करने के बाद निदा फ़ाज़ली ने अपने साहित्य का सफ़र साल 1950 में शुरू किया। निदा फ़ाज़ली ने कई फ़िल्मों के लिए भी गीत लिखे हैं। उनका लिखा गीत कभी किसी को मुकम्मल जहाँ नहीं मिलता, तू इस तरह से मेरी ज़िंदगी में शामिल है, होश वालों को ख़बर क्या आज भी लोग गुनगुनाते हैं। आइए यहां पढ़ते हैं निदा फाजली की कुछ चुनिंदा रचनाएं जो आपको जरूर पसंद आएंगी:
1. गोटे वाली लाल ओढ़नी
साथ में चोली-घाघरा
उसी से मैचिंग करने वाला
छोटा-सा इक नागरा
छोटी-सी ये शॉपिंग थी
या कोई जादू-टोना
लंबा-चौड़ा शहर अचानक
बनकर एक खिलौना
इतिहासों का जाल तोड़ के
पगड़ी
दाढ़ी
ऊँट छोड़ के
आ से अम्माँ
ब से बाबा
बैठा बाँच रहा था
पाँच साल की बच्ची बनकर
जयपुर नाच रहा था...!
2. खेत उनके पास कब थे
जिनमें वो गल्ला उगाते
रूई चरख़ाें में कहाँ थी
जिससे वो कपड़ा बनाते
आग चूल्हों में कहाँ थी
जिस पे वो रोटी पकाते
नदियों में जल कहाँ था
जिससे वो धरती सजाते
हाथ वो बेकाम थे सब
जिनको दौलत से ख़रीदा जा रहा था
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