Nida Fazli Shayari: थोड़ी बहुत तो इस जहान में नाराजगी रहे.., सीधे दिल तक उतरेंगे, यहां देखें निदा फाज़ली के 20+ शेर

Nida Fazli Shayari in Hindi: 'इरशाद' में आज हम आपको रूबरू करवा रहे निदा फाज़ली की शायरी से। निदा फाजॉली को पता था कि शायर को ज़िंदा रहने के लिए लोगों के दिल में घर करना होता है। शायरी के जरिए सीधे-सादे लफ़्ज़ों में अपनी बात कहने की उनकी कला ने लोगों के दिलों में हमेशा के लिए अमर कर दिया।

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Nida Fazli Poetry in Hindi: निदा फाजली का नाम गिनती हिंदी और उर्दू फनकारी की दुनिया में बड़े अदब से लिया जाता है। निदा ज़मीन और जिंदगी के मुख्तलिफ रंगों के शायर थे। आधुनिक दौर में यदि किसी शायर ने अपनी लेखनी में कबीर के फलसफे को पूरी तरह आत्मसात किया है तो वह है निदा फ़ाज़ली। निदा फाजली ने अपने शब्दों में ना सिर्फ दुनिया के अफसानों को पिरोया बल्कि ज़िंदगी के फलसफों को और लोगों के दर्द को महसूस कर के भी लिखा। निदा फाजली ने दूसरे शायरों की तरह अपनी शायरी के लिए माशूका के हुस्न की टेक नहीं ली बल्कि वो सूफियों से मुतासिर दिखाई दिए। निदा फ़ाज़ली की गजलें आज भी प्रासंगिक बनकर बेबाकी से अपना रुख रखती हैं। निदा फाजली ने अपनी सादगी और कमाल की लिखाई के कारण लोगों के दिलों में कयामत तक ज़िंदा रहने का हक़ पा लिया है। यहां देखें निदा फाज़ली के चुनिंदा शेर:

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1. कहीं कहीं से हर चेहरा अब तुम जैसा ही लगता है

तुमको भूल न पाएंगे अब हम ऐसा लगता है

2. घर से मस्जिद है बहुत दूर चलो यूं कर लें

किसी रोते हुए बच्चे को हंसाया जाए

3. दुनिया न जीत पाओ तो हारो न खुदको तुम

थोड़ी बहुत तो इस जहान में नाराजगी रहे

4. दिल में न हो जुअर्त तो मुहब्बत नहीं मिलती

खैरात में इतनी बड़ी दौलत नहीं मिलती

5. बच्चा बोला देखकर मस्जिद आलीशान

अल्लाह तेरे एक को,इतना बड़ा मकान

6. उसके दुश्मन हैं बहुत, आदमी अच्छा होगा

वो भी मेरी ही तरह शहर में तन्हा होगा

7. मुंह की बात सुने हर कोई, दिल के दर्द को जाने कौन

आवाजों के बाजारों में, .खामोशी पहचाने कौन

8. हर आदमी में होते हैं, दस-बीस आदमी

जिसको भी देखना हो, कई बार देखना

9. जब किसी से कोई गिला रखना

सामने अपने आईना रखना

10. धूप में निकलो घटाओं में नहा कर देखो

ज़िंदगी क्या है किताबों को हटा कर देखो

11. दुश्मनी लाख सही, खत्म न कीजे रिश्ता

दिल मिले न मिले, हाथ मिलाते रहिए

12. हर तरफ हर जगह बेशुमार आदमी

फिर भी तन्हाइयों का शिकार आदमी

13. कुछ तबीयत ही मिली थी ऐसी, चैन से जीने की सूरत नहीं हुई

जिसको चाहा उसे अपना न सके, जो मिला उससे मुहब्बत न हुई

14. किसी को टूट के चाहा, किसी से खिंच के रहे

दुखों की राहतें झेलीं, खुशी के दर्द सहे

15. मुमकिन है सफर हो आसां, अब साथ भी चल कर देखें

कुछ तुम भी बदल कर देखो, कुछ हम भी बदल कर देखें

16. तू इस तरह से मेरी जिदिगी में शामिल है

जहां भी जाऊं, ये लगता है, तेरी मह.फल है

17. कभी किसी को मुकम्मल जहां नहीं मिलता

कहीं जमीन, कहीं आस्मां नहीं मिलता

18. सफर में धूप तो होगी जो चल सको तो चलो

सभी हैं भीड़ में तुम भी निकल सको तो चलो

यहां किसी को कोई रास्ता नहीं देता

मुझे गिराकर जो तुम आगे निकल सको तो चलो

19. बच्चों के छोटे हाथों को चाँद सितारे छूने दो

चार किताबें पढ़ कर ये भी हम जैसे हो जाएँगे

20. जो हो इक बार, वह हर बार हो ऐसा नहीं होता

हमेशा एक ही से प्यार हो ऐसा नहीं होता

21. सब की पूजा एक सी, अलग अलग हर रीत

मस्जिद जाये मौलवी, कोयल गाये गीत

बता दें कि निदा फाजली का जन्म 12 अक्तूबर 1938 को दिल्ली में हुआ था। उनके पिता मुर्तजा हसन बैदी भी एक शायर थे। निदा फ़ाज़ली को साहित्य अकादमी पुरस्कार, पद्म श्री, और पद्म भूषण जैसे पुरुस्कारों से सम्मानित किया गया। 8 फ़रवरी 2016 को निदा फाजली इस दुनिया को अलविदा कह गए थे।

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Suneet Singh author

मैं टाइम्स नाऊ नवभारत के साथ बतौर डिप्टी न्यूज़ एडिटर जुड़ा हूं। मूल रूप से उत्तर प्रदेश में बलिया के रहने वाला हूं और साहित्य, संगीत और फिल्मों में म...और देखें

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