पलंगतोड़ पान: ये चीजें मिलाते ही 'पलंग तोड़' बन जाता है पान, वियाग्रा की तरह इस्तेमाल करते थे मुगल, कामसूत्र में भी है जिक्र
How Palangtod Paan Made (पलंगतोड़ पान कैसे बनाते हैं): तीसरी सदी में लिखे ग्रंथ कामसूत्र में इस बात का वर्णन है कि शारीरिक संबंध बनाने के दौरान एक दूसरे को पान खिलाना उसके आनंद को बढ़ा देता है।
कैसे बनता है पलंगतोड़ पान
Palangtod Pan: पान जिसे कुछ लोग खाने के बाद खाते हैं, कुछ स्वाद के लिए खाते हैं, कुछ दवा के रूप में खाते हैं, तो वहीं कुछ पूजा के लिए इस्तेमाल करते हैं। सदियों से पान लोगों की अलग-अलग जरूरतें पूरी कर रहा है। आज तक कोई इसकी जगह नहीं ले पाया है। पान की शुरुआत आज से कई हज़ार सालों पहले की मानी जाती है, धारणाओं की मानें, तो खुद भगवान शिव और माता पार्वती ने मिलकर पान का पहला बीज बोया था। उन्होंने हिमालय में मौजूद एक पहाड़ पर इसका बीज बोया था और उस दिन के बाद से ही पान की असली शुरुआत हुई थी। इसके बाद से ही पान के पत्ते को एक पवित्र पत्ते के रूप में जाना गया और हिन्दू रस्मों में इसका इस्तेमाल शुरू हुआ। पूजा हो या फिर कोई शुभ काम पान के पत्तों को उसमें जगह जरूर मिली।
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आयुर्वेद में पान का महत्व
आयुर्वेद में भी पान का अहम किरदार रहा है। हजारों सालों से पाने के पत्तों को आयुर्वेदिक औषधि के रूप में इस्तेमाल किया जाता रहा है। मान्यता है कि भगवान धन्वन्तरि के साथ मिलकर कुछ और आयुर्वेदिक विद्वानों ने पान की खूबियां जानी थीं। सबसे पहले उन्होंने इसका इस्तेमाल एक चूहे पर करके देखा। जब उन्हें यह विश्वास हो गया कि मनुष्य भी इसे खा सकते हैं, तब उन्होंने मनुष्यों पर इसके प्रभाव देखे। इसमें सबसे पहला प्रभाव जो उन्होंने देखा वह था अच्छी पाचन शक्ति। इतना ही नहीं चिकित्साशास्त्री सुश्रुत का भी मानना था कि पान खाने से आवाज़ साफ रहती है, मुंह से दुर्गंध नहीं आती और जीभ भी ठीक रहती है। यही कारण है कि पान इतने लंबे समय से आयुर्वेदिक दवाई के रूप में प्रसिद्ध है।ये चीजें मिलाकर 'पलंगतोड़' बन जाता है पान
बहुत कम लोगों को पता होगा कि पान का संबंध यौन संबंधों से भी जुड़ा है। इसका जिक्र कामसूत्र और भर्तृहरि संहिता में भी है। तीसरी सदी में लिखे ग्रंथ कामसूत्र में इस बात का वर्णन है कि शारीरिक संबंध बनाने के दौरान एक दूसरे को पान खिलाना उसके आनंद को बढ़ा देता है। इस बात का भी जिक्र है कि पान में कुछ खास चीजें डालकर खाने से यौन शक्ति बढ़ती है। यह आज कल कि टैबलेट वियाग्रा की तरह काम करता है। एक जमाने में 'पलंग तोड़ पान' भी काफी प्रचलित थे।Source: Social Media
मुगल इतिहास लिखने वाले कई इतिहासकारों ने लिखा है कि मुगल बादशाह हरम की रानियों को खुश करने के लिए संबंध बनाने से पहले पलंग तोड़ पान खाया करते थे। कुछ पुराने नीम-हकीम और आयुर्वेद के जानकारों की मानें तो पान के पत्ते पर कुछ खास चीजें डालकर उन्हें पलंगतोड़ बनाया जाता था। महिलाओं और पुरुषों, दोनों के लिए पलंगतोड़ पान तैयार किया जाता था। पुरुषों के पान में सुगंधित समुद्री घास का रस, गुलाब, कश्मीरी केसर और कलकत्ता के पान के पत्तों में लिपटी कुछ सामग्री मिलाई जाती है। वहीं सहवास से पहले महिलाओं के लिए जो पान बनाया जाता था उसमें सफेद मुस्ली, केसर और गुलाब जैसी चीजें मिलाई जाती थीं।
आज कैसे बनता है पलंगतोड़ पान
पलंगतोड़ पान का जिक्र सदियों से होता चला आ रहा है, लेकिन इसके असर के पुख्ता प्रमाण क लेकर आज के सेक्सोलॉजिस्ट संशय में हैं। विशेषज्ञ कहते हैं कि पान पाचन को बेहतर बनाने में सहायक है। यह मुंह की बदबू दूर करता है और इसमें कुछ पदार्थ ऐसे होते है जो कामेच्छा बढ़ाने में योगदान देते हैं। कई बार पान का लाल रंग कुछ लोगों के आकर्षण में इजाफा कर सकता है। पान के इसी गुण और लोगों की कामेच्छा का फायदा आज कई दुकानदार उठा रहे हैं।Source: Freepik
पलंगतोड़ पान का सेवन कई लोग सुहागरात में इस इरादे से करते हैं कि सहवास के दौरान इतनी ताकत पैदा होगी कि वे छा जाएंगे। हकीकत यह है कि इसमें नशीली दवा मिली होती है जिसके सेवन से पुरुष अपनी इंद्रियों के वश में नहीं रहता। उसे पता ही नहीं चलता है कि उसने कितनी देर सहवास किया। नशा उतरने पर उसे लगता है कि मैंने काफी लंबे समय तक सहवास किया, जबकि ऐसा नहीं होता है।
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Suneet Singh author
मैं टाइम्स नाऊ नवभारत के साथ बतौर डिप्टी न्यूज़ एडिटर जुड़ा हूं। मूल रूप से उत्तर प्रदेश में बलिया क...और देखें
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