Pankaj Udhas: 'चिट्ठी आई है के साथ ही कब्र में चला जाऊंगा..', मौत से पहले ऐसा क्यों बोल रहे थे पंकज उधास
Pankaj Udhas Bollywood Songs: पंकज ने अपना पहला स्टेज परफॉर्मेंस भाई मनहर उधास के साथ भारत चीन युद्ध के दौरान दिया था। उन्होंने यहां कवि प्रदीप का लिखा पॉपुलर गीत 'ऐ मेरे वतन के लोगों' गाकर महफिल लूट ली थी। इसके बाद उन्हें फिल्म 'कामना' में गाने का ब्रेक मिला।
Pankaj Udhas Life: पंकज उधास ने सैकड़ों यादगार नज्में गाईं लेकिन 'चिट्ठी आई है' उनकी पहचान बन गया।
Pankaj Udhas Life Story: पंकज उधास अब हमारे बीच नहीं हैं। 26 फरवरी 2024 को पंकज उधास ने 72 साल की उम्र में आखिरी सांस ली। पंकज ने सैकड़ों शानदार गजलें और गीत गाए। उनके हर नज़्म पर लोगों ने दिल खोलकर प्यार लुटाया। पंकज की जिस नज्म को सबसे ज्यादा प्यार मिला वो थी 'चिट्ठी आई है'। लोगों ने इसे इतना पसंद किया कि यह पंकज उधास की पहचान बन गया था। पंकज ने अपने निधन से पहले इस गजल को लेकर ये तक कह दिया था कि लगता है मैं इसी गाने के साथ कब्र में चला जाऊंगा।
उर्दू और गज़लों से राब्ता (Pankaj Udhas Ghazals)पंकज उधास की शुरुआती गुजरात के भावनगर में बीती थी। बाद में परिवार मुंबई शिफ्ट हो गया। मुंबई के ही सेंट जेवियर्स कॉलेज से पंकज उधास ने ग्रेजुएशन किया और साथ ही मास्टर नवरंग से उन्होंने क्लासिकल इंडियन भी सीखा। पंकज के बड़े भाई मनहर उधास को बॉलीवुड के प्रख्यात संगीतकार कल्याणजी ने उर्दू सीखने की सलाह दी थी। मनहर को उर्दू सीखता देख पंकज ने भी इस भाषा की ओर आकर्षित हो गए। उर्दू सीखने के दौरान ही पंकज उधास का राब्ता शायरी की दुनिया से हुआ। उन्होंने मीर, खय्याम और ग़ालिब को ना सिर्फ पढ़ा और समझा बल्कि उनकी शायरी में वह डूब गए।
भारत चीन युद्ध के दौरान पहला स्टेज शो (Pankaj Udhas Stage Shows)पंकज ने अपना पहला स्टेज परफॉर्मेंस भाई मनहर उधास के साथ भारत चीन युद्ध के दौरान दिया था। उन्होंने यहां कवि प्रदीप का लिखा पॉपुलर गीत 'ऐ मेरे वतन के लोगों' गाकर महफिल लूट ली थी। इसके बाद उन्हें फिल्म 'कामना' में गाने का ब्रेक मिला। हालांकि पहली फिल्म के बाद भी पंकज बॉलीवुड में वो जगह नहीं बना पाए जिसके वह तलबगार थे।
पूरे देश ने सुनी पंकज उधास की 'आहट' (Pankaj Udhas Albums)फिल्मों में गाने के अवसर कम मिले तो पंकज ने म्यूजिक अल्बम की ओर अपना रुख कर लिया। 1980 में पंकज उधास का पहला म्यूजिक अल्बम रिलीज हुआ। अल्बम का नाम था 'आहट'। यह इतना पॉपुलर हुआ कि पंकज के करियर ने एक नया मोड़ ले लिया। पंकज की मखमली आवाज पूरे देश के दिल-ओ-दिमाग पर छा चुकी थी। उनकी पॉपुलैरिटी को भुनाया महेश भट्ट ने। महेश भट्ट ने साल 1986 में आई अपनी सुपरहिट फिल्म 'नाम' में उन्हें गाने का मौका दिया।
'नाम' की वह गजल ही बन गई पहचान (Pankaj Udhas Bollywood Songs)पंकज उधास ने महेश भट्ट की फिल्म 'नाम' में एक गजल गाया। गजल के बोल थे - चिट्ठी आई है। यह गाना रिलीज हुआ तो तहलका मच गया। हर इंसान की जुबां पर पंकज उधास की ये गजल बस गई। इस गाने के करीब 40 साल बाद भी इसे खूब सुना और गुनगुनाया जाता है। प्रवासी भारतीयों के लिए तो यह गीत मानो एंथम बन गया। इसके साथ ही यह गजल पंकज उधास की पहचान भी बन गई।
1986 के बाद शायद ही कोई स्टेज परफॉर्मेंस या कार्यक्रम ऐसा हो जिसमें पंकज उधास से 'चिट्ठी आई है' गाने की फरमाइश ना हुई हो। पंकज ने भी कभी अपने श्रोताओं को निराश नहीं किया। लेकिन बीतते साल के साथ पंकज के लिए यह गजल परेशानी का सबब बनने लगी। उन्होंने अपने करियर में सैकड़ों शानदार गजलें गाईं लेकिन लोग उन्हें 'चिट्ठी आई है' गाने वाले के तौर पर जानते और मानते रहे।
'चिट्ठी आई है' के साथ ही कब्र में चला जाऊंगा (Pankaj Udhas Chitthi Aai Hai)एक इंटरव्यू में 'चिट्ठी आई है' को लेकर पंकज उधास की खीझ भी देखने को मिली थी। किसी इंटरव्यू में पंकज उधास से पूछा गया कि 'चिट्ठी आई है' उनके लिए वरदान साबित हुआ या अभिशाप? इस सवाल के जवाब में पंकज कहा- हां भी और ना भी, क्योंकि ये मेरे करियर की हाइलाइट गजल है। मुझे हमेशा इसकी फमाइश मिलती है। मुझे लगता है मैं इसी गाने के साथ कब्र में चला जाऊंगा।
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मैं टाइम्स नाऊ नवभारत के साथ बतौर डिप्टी न्यूज़ एडिटर जुड़ा हूं। मूल रूप से उत्तर प्रदेश में बलिया के रहने वाला हूं और साहित्य, संगीत और फिल्मों में म...और देखें
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