Parenting Tips : बात-बात पर नाराज होते हैं बच्चे, कुछ सुनने को नहीं हैं तैयार, कहीं ये कारण तो नहीं

Generation gap : बढ़ती उम्र के साथ बच्चों में शारीरिक ही नहीं मानसिक तौर पर भी कई बदलाव होते हैं। वे दोस्तों को ज्यादा समय देने लगते हैं। उन्हें अकसर माता-पिता का समझाना पसंद नहीं आता, वे पेरेंट्स के साथ कहीं जाने से बचते हैं। इस दौरान कई बार पेरेंट्स और बच्चे दोनों ही इन परिस्थितियों को सही तरीके से डील नहीं कर पाते। ऐसे में समय से इन बातों को समझना जरूरी है।

Parenting Tips : बात-बात पर नाराज होते हैं बच्चे, कुछ सुनने को नहीं हैं तैयार, कहीं ये कारण तो नहीं
मुख्य बातें
कुछ कदम आप बढ़ें, कुछ कदम उन्हें आगे बढ़ने का हौसला दें कम्युनिकेशन से बेहतर और कोई विकल्प नहीं माता-पिता के साथ बच्चों का दोस्त बनना भी है जरूरी

parenting tips: जैसे-जैसे आपका बच्चा यंग ऐज में पहुंचता है, आपकी और उसकी सोच में अंतर आने लगता है। ये फर्क आना भी जायज है, इसी को कहा जाता है जनरेशन गैप। इस जनरेशन गैप को कम करने के लिए और अपने टीनएजर बच्चे को सही गाइडेंस देने के लिए आपको इस गैप को भरना होगा। हम अकसर विदेशी पेरेंट्स को काफी एडवांस मानते हैं और सोचते हैं कि शायद उन्हें खुलेपन के कारण इस तरह की परेशानियां नहीं होती होंगी। लेकिन ऐसा नहीं है। जनरेशन गैप की समस्या वहां भी है। प्यू रिसर्च सेंटर की ओर से किए गए एक अध्ययन में सामने आया कि 79 प्रतिशत अमरीकी वयस्क मानते हैं कि दुनिया देखने का उनका नजरिया युवाओं से अलग है। ऐसे में हर देश के पेरेंट्स के सामने यह समस्या एक जैसी है। शायद ही कोई पेरेंट इस समस्या से अछूता रहा हो। सबसे पहले आपको इस जनरेशन गैप को कम करने की कोशिश करनी चाहिए। इसके लिए आपको जीवन के बदलाव को अपनाना होगा।

1- कम्युनिकेशन को बेहतर बनाए रखना

बच्चों के साथ कम्युनिकेशन गैप कभी ना आने दें। अपने बच्चों से प्यार से बातचीत करें। उनकी दिनभर की बातें सुनें, पढ़ाई की, स्कूल की, दोस्तों की, खेल की। इसकी के साथ उनसे फैशन ट्रेंड, गैजेट्स, मोबाइल, व्हीकल्स को लेकर बातें करें। ये टाॅपिक्स आजकल के लगभग सभी बच्चों को पसंद है। आपके बच्चे किसी परेशानी में तो नहीं हैं, ये जानने की कोशिश जरूर करें।

2- खुली और माॅडर्न विचार रखें

अपने बढ़ते और समझदार बच्चों के साथ आपको अपने दिमाग को खुला रखना चाहिए। पुराने विचारों को त्याग कर मॉडर्न थिंकिंग को अपनाना चाहिए। वैसे भी कहते हैं कि समय के साथ चलने में कोई बुराई नहीं है। इसलिए अपने बच्चे से दिल खोलकर बात करें। बजाए उसे बाता-बात पर डराने के।

3- बच्चों के मन की इच्छा को जानना जरूरी

अगर आपका बच्चा बड़ा हो रहा है तो उसकी बात मानने या उसकी सलाह लेने में कोई परेशानी नहीं होनी चाहिए। अगर बच्चा कुछ ऐसा करना चाहता है जो आपकी नजर में गलत न हो तो उसको वो करने देना चाहिए। बच्चे को ये बात बताएं कि आप उसकी राय को महत्व देते हैं। आप विश्वास करते हैं कि वो सही निर्णय लेगा।

4- बदलाव को अपनाएं

टाइम के साथ बदलावों को अपनाना सीखें। जो नई बातें आपको पता हैं वो बच्चों को बताएं। इतना ही नहीं जो नई चीजें वो जानते हैं, उनसे जानने की कोशिश करें। ऐसा करने से बच्चा जरूर समझ पाएगा कि आप समय के साथ चलने वालों में से एक हैं। बच्चों को कपड़े पसंद करने में, गेम्स पसंद करने में आजादी दें। हां, ये जरूर है कि आप अपनी सही राय दें, लेकिन दबाव न बनाएं।

5- बच्चों पर भरोसा करना सीखें

अपने बच्चों पर भरोसा करना भी जरूरी है। साथ ही बच्चों को यह एहसास करवाएं कि आपको उन पर पूरा भरोसा है, वे जो भी करेंगे सही करेंगे। जब पूरे प्यार और भरोसे के साथ आप बच्चे को अपनेपन का एहसास दिलाएंगे तो वह खुद से जिम्मेदार बनेगा और आपके विश्वास को ठेस नहीं लगने देगा।

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