Parenting Tips: क्या आपको भी अपने बच्चों को समझने में होती है दिक्कत, जानें जेनरेशन गैप को कम करने के तरीके

Parenting Tips: पेरेंट्स और बच्चों के बीच अक्सर छोटी छोटी बातों पर तनाव होता है। दोनों ही साइड एक दूसरे का पक्ष नहीं समझ पाती हैं। इसे ही जेनरेशन गैप कहते हैं। देखें इसे कैसे कम किया जा सकता है।

Parenting Tips: क्या आपको भी अपने बच्चों को समझने में होती है दिक्कत, जानें जेनरेशन गैप को कम करने के तरीके

Parenting Tips for Generation Gap: मां-बाप और बच्चों के बीच का रिश्ता जितना खास होता है, कई बार उतना ही उलझन भरा भी हो सकता है। वहीं बदलते जमाने के साथ इस तरह की उलझनें कई बार उम्मीद से ज्यादा भी बढ़ जाती है। इस बात का अंदाजा सभी को है कि उम्र और अनुभव के साथ हर कोई बदलता है। शक्ल-सूरत से लेकर आपके सोचने-समझने की क्षमताओं में नजरिए में बहुत फर्क आता है। जिस वजह से पेरेंट्स और बच्चों में आपसी समझ न होने के कारण जनरेशन गैप जैसी समस्या उत्पन्न हो जाती है।

उदाहरण के तौर पर हो सकता है कि आपके बड़े-बुजुर्गों को उनके समय की सोच के हिसाब से आपका छोटे कपड़े पहनना जरा भी नहीं सुहाता होगा। आपके मां-बाप को आपका देर रात तक बाहर रहना अच्छा नहीं लगता होगा। और आपको उनका हर बात को लेकर सवाल-जवाब करना रोक-टोक करना बहुत इरिटेट करता होगा, गुस्सा दिलाता होगा। और इसी आपसी अनबन के चलते रिश्तों में कब दूरी और दरार आ जाती है, पता ही नहीं चलता है। ऐसी स्थिति पैदा न हो, इसके लिए पेरेंट्स को बच्चों और जमाने के साथ बढ़ने/चलने की जरूरत है। और ऐसा नहीं है कि बच्चे जो चाहे वो कर सकते हैं, उन्हें भी अपने मां-बाप की फिक्र, चिंता और उम्मीद का अंदाजा होना चाहिए। जब दोनों तरफ से स्थिति को सुधारने के प्रयास होंगे, तभी जाकर बदलाव आएगा और ये जनरेशन गैप कम होगा।

इस तरह से कम हो सकती हैं दूरियां

जनरेशन गैप की समस्या एक ऐसी समस्या है, जिससे कहीं न कहीं हर मां-बाप और बच्चे गुजर रहे हैं। या फिर गुजर चुके हैं, उम्र वाले एंगल पर ज्यादा ध्यान दिए बगैर। यानी कि आपके मां-बाप की भी उनके मां-बाप से कई बार लड़ाई हो जाती होगी, जैसे आपकी होती है। क्योंकि वहां भी दोनों पक्षों में जनरेशन गैप है। और दोनों ही समझने तथा बात करने को तैयार नहीं हैं। ऐसे में इन स्टेप्स को समझना तथा इनके अनुसार काम करना मदद कर सकता है।

1. दिमाग खुला रखें

बच्चे बहुत कोमल होते हैं, जो हर चीज को बहुत गहराई से सोचते भी हैं और उन पर बातों का असर भी घर कर जाता है। इसलिए जरूरी है कि आप बड़े होने के नाते अपने बच्चों को समझें। हर स्थिति में उन्हें डांटे या जज न करें, आपको बच्चों को जिंदगी जीने का तरीका जरूर सिखाना चाहिए। लेकिन उनके तरीकों और सोच-विचारों को छोड़ देने या भूल जाने की सूरत में हरगिज़ नहीं। उन्हें उनके फैसले, उनकी जिंदगी को खुद अनुभव करने देने का मौका देना और अपना दिमाग को समय के साथ ग्रो करने देना आपके लिए सबसे जरूरी है। वहीं बच्चों के लिए भी मां-बाप की हर बात को रोक-टोक समझने के बजाय। उनकी चिंता और उसके पीछे का अच्छा मकसद समझना चाहिए।

2. उनसे बात कीजिए

किसी भी रिश्ते को बेहतर बनाने के लिए, दोनों पक्षों का बातचीत करना बहुत महत्वपूर्ण है। अपनी बात/विचार रखने और सामने वाले से समझने से हर स्थिति सुधर सकती है। कुछ मुद्दे ऐसे होते हैं, जिन पर बात करना मां-बाप और बच्चों के बीच कई बार मुश्किल हो जाता है। लव मैरिज, डेटिंग, सेक्शुयल लाइफ, बुरी संगत आदि जैसे मुद्दे ऐसे होते हैं, जिनको लेकर बच्चों में समझ और सहमति पैदा करना बहुत जरूरी है। और अगर आप चाहते हैं कि आपका बच्चा आपसे आकर राय ले, तो आपको तो आपको उसे विश्वास दिलाना होगा।

3. सुनने की शक्ति लाएं

स्थिति तब और बिगड़ जाती है, जब दोनों पक्ष बोलते हैं। मगर कोई एक दूसरे की बातें सुनने या समझने का प्रयास ही नहीं करता। बच्चे गलती करते हैं, तो उनको हर वक्त डाटने के बजाय। गलती के पीछे की वजह को सुनने की कोशिश करें।

4. उनका पक्ष समझें

रिश्तों में समझ और सहनशक्ति दोनों ही होना जरूरी है। इसलिए अगर अच्छे रिश्ते की बुनियाद रखना चाहते हैं, तो समझे की आप क्या कर रहें हैं, सामने वाला आपसे क्या चाहता है, वो किस दौर से गुजर रहा है और आप दोनों के बीच की हालिया स्थिति क्या बयां कर रही है। पैरेंट होने के नाते, बच्चे को हर स्थिति में समझना जरूरी है, उन्हें हिम्मत देना, प्रोत्साहन देना ही कई बार काफी होता है।

5. उसके लिए खड़े रहें, अपना प्यार दिखाएं

बच्चों के लिए अगर आप हर स्थिति में खड़े रहेंगे। उनको एहसास दिलाएंगे कि आपको उनकी परवाह है, उनसे प्यार है, तो उनका आप पर विश्वास बढ़ जाएगा। हालांकि यह भी समझना जरूरी है कि, ऐसा तब ही करें जहां वे गलत न हो और सुधार की गुंजाइश हो।

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