Sadguru Parenting Tips: बच्चों को नहीं पैरेंट्स को सिखनी चाहिए ये बातें, अच्छे मां-पापा बनने के लिए जीवन में उतार लें सद्गुरु की ये बातें

Sadguru Parenting Tips: सद्गुरु कहते हैं कि बच्चा सबसे ज्यादा समय अपने माता-पिता के साथ बिताता है। ऐसे में वो सबसे ज्यादा आपसे ही सीखेगा। इसी कारण बच्चों के साथ अपना आचरण ऐसा रखें कि वो आपको रोल मॉडल बना ले। अभिभावक से अच्छा टीचर तो कोई हो ही नहीं सकता है।

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Sadguru Parenting Tips in Hindi: दो बातों से कभी इनकार नहीं किया जा सकता। पहला ये कि बच्चे को जन्म देने से बड़ा कोई काम नहीं और दूसरा ये कि बच्चों की परवरिश करने से कठिन कोई दूसरा काम नहीं। बात दूसरे काम की करें तो बच्चों की परवरिश को सबसे मुश्किल काम माना गया है। पैरेंटिंग ऐसी चीज है जिसमें चूक की गुंजाइश नहीं होनी चाहिए। हालांकि बहुत से अभिभावक पैरेंटिंग में जाने-अनजाने कई तरह की गलतियां कर जाते हैं। पैरेंटिंग को लेकर स्पिरिचुअल और मोटिवेशनल गुरु जग्गी वासुदेव उर्फ सद्गुरु कहते हैं कि किसी काम के लिए कोई एक रूल नहीं है। सद्गुरु कहते हैं कहते हैं कि बच्‍चों को सिखाने से पहले कुछ बातें पैरेंट्स को भी सीखनी चाहिए। सद्गुरु की ये बातें मान पैरेंट्स अपनी और बच्चों जिंदगी आसान बना सकते हैं।

बच्चों को ना समझें अपनी जागीरसद्गुरु कहते हैं कि पैरेंट्स को ये समझना चाहिए कि बच्चे आपकी प्रॉपर्टी नहीं है जिन पर आप अपना हक जमा सकें। आपको तो खुश होना चाहिए कि आपको औलाद का सुख प्राप्त हुआ है। बच्चों को अपने भविष्य का निवेश ना समझें। उनके साथ जीवन का आनंद लें और उनके हर फैसले में उनका सपोर्ट करें।

बच्चों को आजाद छोड़ेसद्गुरु कहते हैं कि बच्चे पर अपनी राय ना थोपें। जिंदगी जीने के अपने तरीकों को बच्चे पर ना थोपें। वो जो भी बनना चाहता है, उसे बनने दें। बच्चों को बार-बार ये ना बताएं कि तुम्हारी उम्र में मैं था तो ये कर चुका था। आपने अपनी जिंदगी में जो किया है, आपके बच्‍चे को वही सब करने की जरूरत नहीं है। आपका बच्‍चा वो भी कर सकता है जो शायद आपने कभी करने की कोशिश ही नहीं की।

बच्चे को बच्चा ही रहने देंसद्गुरु कहते हैं कि जीवन का जो चक्र है उसमें बचपन सिर्फ एक बार ही आता है। बच्चों को उनका बचपन जीने दें। उनपर बड़ों जैसा व्यवहार करने का अनायास दबाव ना डालें। वो बच्चा है तो उसे बच्चों जैसा व्यवहार करने दें। माता-पिता को ये समझना होगा कि उन्हें ये हक किसी ने नहीं दिया है कि वो अपने बच्चों से उनका बचपन छीनें।

बॉस नहीं दोस्त बनेंसद्गुरु माता-पिता को सलाह देते हैं कि वो बच्चों के साथ दोस्त की तरह व्यवहार करें बॉस की तरह नहीं। बच्चों को ये ना बताएं कि उसे क्या करना है। वो जो कर रहा है उसमें उसकी मदद करें। अगर कोई गलती करता है तो उसे सुधारने में उसकी मदद करें। बच्चे को ऐसा फील कराएं कि वह आपसे बात करने में डरे या हिचके ना।

बच्चे को दें अच्छा माहौलसद्गुरु कहते हैं कि बच्चों पर सबसे ज्यादा इस बात का असर होता है कि वो किस तरह के माहौल में जी रहे हैं। इसी लिए सद्गुरु अभिभावकों को सलाह देते हैं कि बच्चों के लिए घर का माहौल अच्‍छा रखें, क्योंकि डर और चिंता के बीच बच्‍चे खुश नहीं रह सकते हैं। बच्चों के लिए हमेशा आनंद और उल्लास का माहौल बनाए रखने की कोशिश करें।

सद्गुरु कहते हैं कि बच्चा सबसे ज्यादा समय अपने माता-पिता के साथ बिताता है। ऐसे में वो सबसे ज्यादा आपसे ही सीखेगा। इसी कारण बच्चों के साथ अपना आचरण ऐसा रखें कि वो आपको रोल मॉडल बना ले। अभिभावक से अच्छा टीचर तो कोई हो ही नहीं सकता है।

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