Parveen Shakir Shayari: यूं बिछड़ना भी बहुत आसां न था उस से मगर.., ताजा हवा के झोंके से हैं परवीन शाकिर के ये चुनिंदा शेर
Parveen Shakir Shayari in Hindi: उनकी शायरी में मोहब्ब्त, मिलन, हिज्र व तन्हाई का एक कोलाज है। चाहे इश्क की बात हो या उसके तासीर की। खुशी की बात हो या फिर खलिश की, हर जगह परवीन शाकिर ने अपनी अलग छाप छोड़ी है।
Parveen Shakir Shayari, Poetry, Ghazals in Hindi
Parveen Shakir Shayari in Hindi: परवीन शाकिर उर्दू की मशहूर शायरा हैं। परवीन शाकिर की शायरी पर गौर करेंगे तो पाएंगे कि उनमें इश्क की नमी है तो वहीं तन्हाई और गहराई भी नजर आती है। हर वो शख्स, जिसे शायरी की लताफत, नजाकत से मोहब्बत है, उसे परवीन शाकिर की शायरी से मोहब्बत हो कर ही रहेगी। दरअसल परवीन शाकिर की शायरी जितना दिल को छूती है उनका अंदाज-ए-बयां तो उससे भी जबदस्त है। उनकी शायरी में मोहब्ब्त, मिलन, हिज्र व तन्हाई का एक कोलाज है। चाहे इश्क की बात हो या उसके तासीर की। खुशी की बात हो या फिर खलिश की, हर जगह परवीन शाकिर ने अपनी अलग छाप छोड़ी है। आइए डालते हैं उनके चुनिंदा शेरों पर एक नजर:
1. दुश्मनों के साथ मेरे दोस्त भी आज़ाद हैं
देखना ये है खेंचता है मुझपे पहला तीर कौन
2. तेरी ख़ुशबू का पता करती है
मुझपे एहसान हवा करती है
3. मिलते हुए दिलों के बीच और था फैसला कोई
उसने मगर बिछड़ते वक़्त और सवाल कर दिया
4. मुमकिन फ़ैसलों में एक हिज्र का फ़ैसला भी था
हम ने तो एक बात की उस ने कमाल कर दिया
5. वो कहीं भी गया लौटा तो मेरे पास आया
बस यही बात है अच्छी मेरे हरजाई की
6. यूं बिछड़ना भी बहुत आसां न था उस से मगर
जाते जाते उस का वो मुड़ कर दोबारा देखना
7. दिल को उस राह पे चलना ही नहीं
जो मुझे तुझसे जुदा करती है
8. कुछ फैसला तो हो कि किधर जाना चाहिए
पानी को अब तो सर से गुज़र जाना चाहिए
9. शाम पड़ते ही किसी शख़्स की याद
कूचा-ए-जां में सदा करती है
10. आइने की आँख ही कुछ कम न थी मेरे लिए
जाने अब क्या क्या दिखाएगा तुम्हारा देखना
11. हुस्न के समझने को उम्र चाहिए जानां
दो घड़ी की चाहत में लड़कियां नहीं खुलतीं
12. मैं सच कहूंगी मगर फिर भी हार जाऊंगी
वे झूठ बोलेगा और ला-जवाब कर देगा
13. जाने कब तक तिरी तस्वीर निगाहों में रही
हो गयी रात तिरे अक्स को तकते तकते
बता दें कि पाकिस्तानी मूल की शायरा परवीन शाकिर की जड़ें हिंदुस्तान के बिहार राज्य से जुड़ी हैं। दरअसल उनके पिता शाकिर हुसैम साकिब बिहार के दरभंगा जिले में लहरिया सराय के रहने वाले थे। 1947 में बंटवारे के बाद वह पाकिस्तान चले गए और फिर वहीं के हो के रह गए।
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मैं टाइम्स नाऊ नवभारत के साथ बतौर डिप्टी न्यूज़ एडिटर जुड़ा हूं। मूल रूप से उत्तर प्रदेश में बलिया के रहने वाला हूं और साहित्य, संगीत और फिल्मों में म...और देखें
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