Pash Poem in Hindi: सबसे खतरनाक होता है सपनों का मर जाना.., सही मायने में आपको जीना सिखा देगी पाश की ये कविता
Pash ki Kavita Sabse Khatarnak: पाश खुद एक किसान परिवार से आते थे। किसान परिवार में पैदा होने के कारण उन्हें मेहनत का सही अर्थ पता था। क्रांति पाश के खून में रची-बसी थी। पाश के पिता भारतीय सेना में जवान थे। पाश की कलम हमेशा धारदार रहती थी। उनकी कविताएं हमेशा वहां तक पहुंच ही जाती थीं जहां तक वह पहुंचाना चाहते थे।
Pash Poem Sabse Khatarnak Hota Hai in Hindi text
Pash Poem Sabse Khatarnak Hota Hai (सबसे खतरनाक होता है सपनों का मर जाना): अवतार सिंह पाश का नाम देश के चंद इंकलाबी शायरो में प्रमुखता से लिया जाता है से है। अवतार सिंह को यह दुनिया केवल पाश के नाम से जानती है। पाश का जन्म 9 सितंबर 1950 में जालंधर जिले के तलवंडी सलेम में हुआ था। पाश ने अपनी छोटी सी जिन्दगी में क्रान्तिकारी कविताओं से ना सिर्फ पंजाब में बल्कि पूरे भारत में एक नई अलख जगाई। पाश ने जब भी कलम चलाई तब हर बार उन्होंने गरीब, मजदूर, किसान के अधिकारों का आवाज उठाई। पाश खुद एक किसान परिवार से आते थे। किसान परिवार में पैदा होने के कारण उन्हें मेहनत का सही अर्थ पता था। क्रांति पाश के खून में रची-बसी थी। पाश के पिता भारतीय सेना में जवान थे। पाश की कलम हमेशा धारदार रहती थी। उनकी कविताएं हमेशा वहां तक पहुंच ही जाती थीं जहां तक वह पहुंचाना चाहते थे। आइए पढ़ते हैं उनकी एक ऐसी ही कविता और समझते है इस मशहूर कविता का भावार्थ:
मेहनत की लूट सबसे ख़तरनाक नहीं होती
पुलिस की मार सबसे ख़तरनाक नहीं होती
गद्दारी-लोभ की मुट्ठी सबससे ख़तरनाक नहीं होती
बैठे-बिठाए पकड़े जाना-बुरा तो है
सहमी-सी चुप में जकड़े जाना-बुरा तो है
पर सबसे ख़तरनाक नहीं होता
कपट के शोर में
सही होते हुए भी दब जाना-बुरा तो है
किसी जुगनू की लौ में पढ़ना-बुरा तो है
मुट्ठियाँ भींचकर बस वक़्त निकाल लेना-बुरा तो है
सबसे ख़तरनाक नहीं होता
सबसे ख़तरनाक होता है
मुर्दा शांति से भर जाना
न होना तड़प का सब सहन कर जाना
घर से निकलना काम पर
और काम से लौटकर घर जाना
सबसे ख़तरनाक होता है
हमारे सपनों का मर जाना
सबसे ख़तरनाक वह घड़ी होती है
आपकी कलाई पर चलती हुई भी जो
आपकी निगाह में रुकी होती है
सबसे ख़तरनाक वह आँख होती है
जो सबकुछ देखती हुई भी जमी बर्फ़ होती है
जिसकी नज़र दुनिया को मुहब्बत से चूमना भूल जाती है
जो चीज़ों से उठती अँधेपन की भाप पर ढुलक जाती है
जो रोज़मर्रा के क्रम को पीती हुई
एक लक्ष्यहीन दुहराव के उलटफेर में खो जाती है
सबसे ख़तरनाक वह चाँद होता है
जो हर हत्याकांड के बाद
वीरान हुए आँगनों में चढ़ता है
पर आपकी आँखों को मिर्चों की तरह नहीं गड़ता है
सबसे ख़तरनाक वह गीत होता है
आपके कानों तक पहुँचने के लिए
जो मरसिए पढ़ता है
आतंकित लोगों के दरवाज़ों पर
जो गुंडे की तरह अकड़ता है
सबसे ख़तरनाक वह रात होती है
जो ज़िंदा रूह के आसमानों पर ढलती है
जिसमें सिर्फ़ उल्लू बोलते और हुआं-हुआं करते गीदड़
हमेशा के अँधेरे बंद दरवाज़ों-चौगाठों पर चिपक जाते हैं
सबसे ख़तरनाक वह दिशा होती है
जिसमें आत्मा का सूरज डूब जाए
और उसकी मुर्दा धूप का कोई टुकड़ा
आपके जिस्म के पूरब में चुभ जाए
मेहनत की लूट सबसे ख़तरनाक नहीं होती
पुलिस की मार सबसे ख़तरनाक नहीं होती
गद्दारी-लोभ की मुट्ठी सबसे ख़तरनाक नहीं होती।
इस कविता के माध्यम से पाश उस स्थिति को सबसे ख़तरनाक मानते हैं, जब व्यक्ति अपने अधिकारों और खुद को मिलने वाली स्वतंत्रताओं को छोड़ देता है। इसका मतलब है कि जब किसी व्यक्ति के सपने मर जाते हैं, तो वह जीवन में लक्ष्यहीन हो जाता है। कवि का मानना है कि जब व्यक्ति अन्याय और अत्याचार को सहन करने लगता है, तो वह अपनी आत्मा को खो देता है। वह संघर्ष करने से डरने लगता है और जो है, उसी से समझौता कर लेता है। इस कविता के ज़रिए कवि पाश ने यह बताया है कि जड़ स्थितियों को बदलने की इच्छा मर जाना और बेहतर भविष्य के सपनों का खो जाना सबसे खतरनाक स्थिति है।
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Suneet Singh author
मैं टाइम्स नाऊ नवभारत के साथ बतौर डिप्टी न्यूज़ एडिटर जुड़ा हूं। मूल रूप से उत्तर प्रदेश में बलिया क...और देखें
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