Poem On Diwali in Hindi: हमें अदाएं दिवाली की जोर भाती हैं.. हिंदी में पढ़े दिवाली की शानदार कविताएं
Diwali Poems in Hindi (दिवाली पर कविताएं): दिवाली का प्यारा त्योहार हर किसी के लिए ही बेहद खास होता है, दीपावली पर परिवार संग साथ बैठ बेहतरीन समय बिताने और किस्से बुनने से बेहतर क्या होता है। ऐसे में परिवार के साथ दिवाली की शाम बैठ और अच्छा समय बिताना है, तो इन कविताओं के माध्यम से दिवाली की धूम में चार चांद लगा सकते हैं। हिंदी में दिवाली की बढ़िया कविताएं।
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Poems on Diwali in hindi: दिवाली का प्यारा त्योहार बस आ ही गया है, इस साल दिवाली 12 नवंबर को मनाई जानी है। ऐसे में बेशक ही हर किसी के लिए ही दीपावली का त्योहार बेहद खास होता है, दिवाली पर परिवार संग साथ बैठ बेहतरीन समय बिताने और किस्से बुनने से बेहतर क्या होता है। ऐसे में परिवार के साथ दिवाली की शाम बैठ और अच्छा समय बिताना है, तो इन कविताओं के माध्यम से दिवाली की धूम में चार चांद लगा सकते हैं। हिंदी में दिवाली की बढ़िया कविताएं।
Diwali Poems in hindi
1. जगमग जगमग
हर घर, हर दर, बाहर, भीतर,
नीचे ऊपर, हर जगह सुघर,
कैसी उजियाली है पग-पग,
जगमग जगमग जगमग जगमग!
छज्जों में, छत में, आले में,
तुलसी के नन्हें थाले में,
यह कौन रहा है दृग को ठग?
जगमग जगमग जगमग जगमग!
पर्वत में, नदियों, नहरों में,
प्यारी प्यारी सी लहरों में,
तैरते दीप कैसे भग-भग!
जगमग जगमग जगमग जगमग!
राजा के घर, कंगले के घर,
हैं वही दीप सुंदर सुंदर!
दीवाली की श्री है पग-पग,
जगमग जगमग जगमग जगमग!
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2. आज फिर से तुम बुझा दीपक जलाओ
है कंहा वह आग जो मुझको जलाए,
है कंहा वह ज्वाल पास मेरे आए,
रागिनी, तुम आज दीपक राग गाओ;
आज फिर से तुम बुझा दीपक जलाओ ।
तुम नई आभा नहीं मुझमें भरोगी,
नव विभा में स्नान तुम भी तो करोगी,
आज तुम मुझको जगाकर जगमगाओ;
आज फिर से तुम बुझा दीपक जलाओ ।
मैं तपोमय ज्योति की, पर, प्यास मुझको,
है प्रणय की शक्ति पर विश्वास मुझको,
स्नेह की दो बूंदे भी तो तुम गिराओ;
आज फिर से तुम बुझा दीपक जलाओ ।
कल तिमिर को भेद मैं आगे बढूंगा,
कल प्रलय की आंधियों से मैं लडूंगा,
किन्तु आज मुझको आंचल से बचाओ;
आज फिर से तुम बुझा दीपक जलाओ ।
3. फैल गयी दीपों की माला
मंदिर-मंदिर में उजियाला,
किंतु हमारे घर का, देखो, दर काला, दीवारें काली!
साथी, घर-घर आज दिवाली!
हास उमंग हृदय में भर-भर
घूम रहा गृह-गृह पथ-पथ पर,
किंतु हमारे घर के अंदर डरा हुआ सूनापन खाली!
साथी, घर-घर आज दिवाली!
आँख हमारी नभ-मंडल पर,
वही हमारा नीलम का घर,
दीप मालिका मना रही है रात हमारी तारोंवाली!
साथी, घर-घर आज दिवाली!
4. आओ फिर से दिया जलाएं
भरी दुपहरी में अंधियारा
सूरज परछाई से हारा
अंतरतम का नेह निचोड़ें
बुझी हुई बाती सुलगाएं।
आओ फिर से दिया जलाएं
हम पड़ाव को समझे मंज़िल
लक्ष्य हुआ आँखों से ओझल
वर्त्तमान के मोह-जाल में
आने वाला कल न भुलाएं।
आओ फिर से दिया जलाएँ।
आहुति बाकी यज्ञ अधूरा
अपनों के विघ्नों ने घेरा
अंतिम जय का वज्र बनाने-
नव दधीचि हड्डियां गलाएं।
आओ फिर से दिया जलाएँ
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TNN लाइफस्टाइल डेस्क author
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