ये इश्क नहीं आसां: इन नेताओं के प्यार में दीवार बना परिवार, मोहब्बत में घरवालों से ही करनी पड़ी तकरार
Politicians Love Story: कई ऐसे राजनेता हैं जिन्हें अपने पसंद की लड़की या लड़के से शादी करने के लिए जमकर पापड़ बेलने पड़े। कुछ को अपने घरवालों से तकरार करनी पड़ी तो किसी ने अपनी जान तक देने की कोशिश कर दी।
इन नेताओं के प्यार में दीवार बना था परिवार
"ये इश्क़ नहीं आसां इतना ही समझ लीजे,
इक आग का दरिया है और डूब के जाना है!"
जिगर मुरादाबादी के इस शेर को तो लोगों ने कई बार सुना और पढ़ा होगा। हालांकि कुछ लोग हैं जो इस शेर का सही मतलब जानते होंगे। वो इसलिए सही मतलब जानते होंगे क्योंकि उन्होंने समझा कि वाकई इश्क आसान नहीं है। इश्क में ढेरों परीक्षाएं देनी पड़ती हैं। कई चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। अपनों की नाराजगी झेलनी पड़ती है। तकरार होती है। तब कहीं जाकर इश्क मुकम्मल हो पाता है। अपने जीवन में ऐसा अनुभव देश के कई राजनेताओं ने भी किया। जी हां, कई ऐसे राजनेता हैं जिन्हें अपने पसंद की लड़की या लड़के से शादी करने के लिए जमकर पापड़ बेलने पड़े। कुछ को अपने घरवालों से तकरार करनी पड़ी तो किसी ने अपनी जान तक देने की कोशिश कर दी।
अखिलेश यादव:
अखिलेश यादव ने 24 नवंबर 1999 को डिंपल संग ब्याह रचाया था। हालांकि शादी के लिए अखिलेश को खूब पापड़ बेलने पड़े थे। दरअसल डिंपल राजपूत परिवार से थीं और अखिलेश जाति से यादव हैं। अखिलेश के पिता मुलायम सिंह यादव को उनके बेटे का बिरादरी के बाहर शादी करने का फैसला बिल्कुल पसंद नहीं आया। मुलायम ने आपत्ति जताई और अखिलेश को साफ शब्दों में कह दिया कि ये शादी नहीं हो सकती। अखिलेश अपने पिता का काफी सम्मान करते थे, लेकिन वो किसी भी हाल में डिंपल से अलग नहीं होना चाहते थे। उन्होंने पिता को मनाने की लाख कोशिश की लेकिन मुलायम शादी की बाद पर सख्त बने रहे।
अखिलेश ने थक हारकर अपनी दादी से कहा कि वह पिताजी को मनाएं। मुलायम घर में सिर्फ अखिलेश की दादी की ही बात माना करते थे। दादी ने अखिलेश की बेचैनी देखते हुए मुलायम से बात की। मुलायम पहले तो मना करते रहे फिर बोले अच्छा देखेंगे। अखिलेश ने मुलायम सिंह के करीबी रहे अमर सिंह से भी सिफारिश लगवाई। अमर सिंह का उन दिनों मुलायम सिंह के हर फैसले में हस्तक्षेप रहा करता था। अमर सिंह ने उन्हें समझाया कि शादी कर के दोनों खुश रहेंगे। राजनीतिक तौर पर हमें फायदा मिल सकता है। कई बार सोचने के बाद मुलायम सिंह ने हामी भरी और शादी के लिए राजी हुए।
सचिन पायलट:
सचिन पायलट ने सारा अब्दुल्ला से शादी की थी। फिलहाल दोनों का तलाक हो चुका है। दोनों की शादी करीब 20 साल चली। 15 जनवरी 2004 को सचिन और सारा ने सात फेरे लिये थे। शादी के लिए सचिन को तीन साल इंतजार करना पड़ा था। कारण था सारा के परिवार की आपत्ति। सारा जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्ला की बेटी हैं। यूं तो अब्दुल्ला और पायलट परिवार काफी करीबी था लेकिन फारूक अब्दुल्ला को ये कतई मंजूर नहीं था कि उनकी बेटी दूसरे धर्म में शादी करें।
ये बात अलग है कि खुद फारूक और उनके बेटे उमर अब्दुल्ला ने इस्लाम के बाहर शादी रचाई है। सारा को भी पिता की आपत्ति पर हैरानी हुई। दरअसल उनके घर में धर्म की कहीं कोई कट्टरता जैसा माहौल नहीं था। फिर ना जाने क्यों सारा के पिता और भाई को ये रिश्ता मंजूर नहीं था। तब के मीडिया रिपोर्ट्स में कहा गया कि शायद अब्दुल्ला परिवार को रहा है कि जम्मू कश्मीर के मुसलमान पसंद नहीं करेंगे कि उनके परिवार की लड़की एक हिन्दू से शादी करे। मीडिया में तब यहां तक खबरें आईं कि फारूक शादी होने पर सारा से रिश्ता तोड़ लेंगे। हालांकि काफी मनाने के बाद भी ना मानने पर सचिन और सारा ने शादी का बन बना लिया था।
साल 2004 में दिल्ली के 20, कैनिंग लेन जो कि सचिन की मां रमा पायलट का बंगला है वहां दोनों की शादी हुई। शादी में ना तो फारूक शरीक हुए और ना ही उमर। मीडिया में भी अब्दुल्ला परिवार के नाराजगी की खबरें छपीं। समय के साथ नाराजगी खत्म हुई। अब सारा और सचिन को अब्दुल्ला परिवार पूरी तरह अपना चुका है।
मुख्तार अब्बास नकवी:
भारतीय जनता पार्टी के नेता मुख्तार अब्बास नकवी की शादी की कहानी की फिल्मी कहानी से कम नहीं। मुख्तार की सीमा से पहली मुलाकात साल 1982 में इलाहाबाद विश्वविद्यालय में ग्रेजुएशन के दौरान हुई थी। मुलाकात कब प्यार में बदल गई ये पता ही नहीं चला। दोनों का इश्क परवान चढ़ा तो शादी का मन बना। सीमा और मुख्तार ने अपने-अपने परिवार से बात की। मुख्तार ने तो जैसे तैसे अपने घरवालों को मना लिया लेकिन सीमा का परिवार इस रिश्ते सख्त खिलाफ था। सीमा के घरवालों ने दो टूक शब्दों में इस रिश्ते को खारिज कर दिया।
सीमा की मां ने तो उन्हें साफ चेतावनी दे दी थी कि मुख्तार से मिलने की कोई जरूरत नहीं है। अगर वो उससे मिलना और बात करना बंद नहीं करेंगी तो उनकी पढ़ाई छुड़वा दील जाएगी। लेकिन प्यार इतनी आसानी से कहां खत्म होने वाला था। सीमा एक्स्ट्रा क्लास का बहाना बना मुख्तार के साथ समय बिताने लगी थीं। दोनों कभी यूनिवर्सिटी तो कभी किसी पार्क में एक साथ आगे की रणनीति बनाते। दोनों ने ठान लिया था कि शादी तो करनी ही है, फिर चाहे घरवाले माने या ना मानें। हुआ भी यही। दोनों ने कोर्ट मैरिज कर ली। कोर्ट मैरिज के बाद सीमा का परिवार पहले तो काफी नाराज हुआ फिर धीरे-धीरे कबूल कर लिया। आगे चलकर मुख्तार ने सीमा से निकाह भी किया और सात फेरे भी लिये।
शाहनवाज हुसैन:
बीजेपी के शाहनवाज हुसैन की प्रेम कहानी भी उनके दोस्त मुख्तार अब्बास नकवी की ही तरह मुश्किलों भरी रही है। शाहनवाज हुसैन की अपनी पत्नी रेणु से पहली मुलाकात दिल्ली की डीटीसी बस में हुई थी। दोनों की नजरें कॉलेज जाते वक्त टकराईं। कुछ दिन के बाद दोनों दोस्त बन और धीरे-धीरे दोस्ती प्यार में तब्दील हो गई। दोनों की प्रेम कहानी में मजहब आड़े आया। शाहनवाज मुसलमान तो रेणु हिंदू परिवार से थीं। दोनों के घरवालों को रिश्ता मंजूर नहीं था। दोनों ने खूब मान-मनौव्वल किया।
शाहनवाज और रेणु ने तय किया था कि शादी करेंगे तो घरवालों की रजामंदी से। उधर घरवाले मानने को तैयार नहीं थे। दोनों ने हार नहीं मानी और अपने परिवार वालों को समझाते रहे कि शादी करके दोनों खुश रहेंगे। आखिरकार 9 साल पापड़ बेलने के बाद दोनों अपने घरवालों को मनाने में कामयाब हुए। साल 1994 में दोनों ने परिवार की सहमति से शादी रचाई। इस कपल के दो बेटे हैं। बेटों के नाम आदिल और अरबाज हैं।
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मैं टाइम्स नाऊ नवभारत के साथ बतौर डिप्टी न्यूज़ एडिटर जुड़ा हूं। मूल रूप से उत्तर प्रदेश में बलिया के रहने वाला हूं और साहित्य, संगीत और फिल्मों में म...और देखें
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