Parenting: ऐसे ही नहीं कामकाजी महिलाओं की बुराई कर पछता रहीं शाहिद की बीवी मीरा, वर्किंग मदर्स के बच्चों में होती हैं ये बड़ी खूबियां

Positive Effects Of Working Mothers: वर्किंग मदर्स (Parenting Tips for Working Mothers) पर बयान दे पछता रही हैं शाहिद कपूर (Shahid Kapoor Wife) की पत्नी। दरअसल मीरा राजपूत (Mira Rajput) भी अब वर्किंग मदर हैं। अपने पुराने बयान पर उन्होंने कहा है कि मुझे पुरानी सोच वाली बातें कहने के लिए दरकिनार कर दिया गया था। मुझे लगता है कि मैंने चीजों को बस कह दिया था। मुझे नहीं लगता कि मैं अब उनसे सहमत हूं। मुझे लगता है कि अब वक्त आ गया है कि मुझे माफ कर दिया जाए।

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Parenting Tips for Working Mothers

Positive Effects Of Working Mothers On Child: कामकाजी महिलाओं को एक अलग नजरिए से देखा जाता है जैसे कि वो अपनी जिंदगी और एंजॉय करने के लिए घर से निकलती हों। क्यों उनके लिए दायरे बांधे गए हैं। शाहिद कपूर की पत्नी मीरा राजपूत भी ऐसी ही मानसिकता के तहत बयान देकर बवाल मोल ले चुकी हैं। लेकिन अब जब वह खुद घर से काम के लिए निकलीं हैं तो उनको समझ में आया कि वर्किंग वुमेन के बच्चे पपी नहीं होते। रिसर्च भी कहती हैं कि कामकाजी महिलाओं के बच्चे कई तरह से परिपक्व होते हैं और उनमें लीडरशिप स्किल्स अच्छी होती हैं।

क्या कहा था मीरा राजपूत ने?

साल 2017 में शाहिद की पत्नी मीरा ने कहा था- मैं अपनी बेटी का पालन-पोषण कर सकती हूं। मैं अच्छी पत्नी हो सकती हूं। मैं अपने घर को अपनी मर्जी के हिसाब से सेट कर सकती हूं। उस तरह नहीं जिस तरह उसे होना चाहिए बल्कि उस तरह जैसे घर को अपनी नैतिकता और आदर्शों के साथ होना चाहिए। तो कुछ भी मुझे इसके बाद रोक नहीं सकता, लेकिन मुझे घर पर रहना पसंद है। मुझे अपने बच्चे की मां होना पसंद है। मैं और कुछ नहीं चाहती। मैं दिन में एक घंटा अपने बच्चे के साथ बिताकर काम पर नहीं भागना चाहती। मैंने उसे पैदा ही क्यों किया। वो कोई पपी नहीं है। मैं एक मां के तौर पर उसके पास रहना चाहती हूं। उसे बड़े होते देखना चाहती हूं।

7 साल बाद हुआ पुराने बयान पर पछतावा

मीरा को अपने पुराने बयान पर अब पछतावा हुआ है। वह भी अब वर्किंग मदर हैं। उन्हें चीजें समझ में आई हैं। अपने पुराने बयान पर उन्होंने कहा है कि मुझे पुरानी सोच वाली बातें कहने के लिए दरकिनार कर दिया गया था। मुझे लगता है कि मैंने चीजों को बस कह दिया था। मुझे नहीं लगता कि मैं अब उनसे सहमत हूं। मुझे लगता है कि अब वक्त आ गया है कि मुझे माफ कर दिया जाए, क्योंकि जिंदगी फुल सर्कल में आ चुकी है। आप गलती करते हो और फिर उनसे सीखते हो।'

क्या होता है वर्किंग वुमन गिल्ट

अक्‍सर यह देखा जाता है कि वर्किंग मांएं इस बात से गिल्‍ट मे जीती हैं कि उन्‍होंने अपने बच्‍चे की परवरिश अपने हाथ से नहीं की। उन्हें ये बात कचोटती रहती है कि वह बच्‍चे को घर पर छोड़कर दफ्तर जाती हैं। इस दुनिया की अनगिनत मांएं इसी गिल्ट में जीती हैं। मीरा राजपूत के बयान वर्किंग मदर्स के गिल्ट के लिए आग में घी की तरह काम करता है। लेकिन बता दें कि वर्किंग मदर्स को किसी भी तरह के गिल्ट में नहीं जीना चाहिए। तमाम रिसर्च भी इस बात की तस्दीक करती हैं।

अमेरिकन साइकोलॉजिकल एसोसिएशन के मेटा एनालिसिस की एक रिपोर्ट ने साफ बताया था कि जिन बच्‍चों की मांएं वर्किंग रही हैं, उन बच्‍चों में बिहेवियर इशू कम देखने को मिलता है। यही नहीं, वर्किंग मांओं के बच्‍चे एकेडमिक्स में भी अच्‍छा करते हैं।

कैसे बेहतर होती हैं कामकाजी महिलाएं

अगर आप भी वर्किंग वुमन गिल्ट जैसी नेगेटिव चीजों में घिरी हैं तो आप गलत हैं। इसके उलट आपका काम करते रहना आपके बच्‍चे को मजबूत नींव देगा। उन्‍हें मल्‍टी टास्‍कर बनने में मदद करेगा। आइए जानते हैं कि बच्चे के लिए कैसे वर्किंग मदर्स नॉर्मल महिलाओं से बेहतर होती हैं:

1. बच्‍चों के बारे में कहा जाता है कि जिनकी मां कामकाजी हैं, वैसे बच्‍चे भावनाओं के मामले में इंमेच्‍योर होते हैं। जबकि यह देखा गया है कि ऐसे बच्‍चे दूसरों की कद्र करना और अपनों की परवाह करना जल्‍दी सीख जाते हैं।

2. कामकाजी महिलाओं के बच्चे अक्सर अधिक स्वतंत्र और आत्मनिर्भर बनना सीखते हैं, क्योंकि उन्हें अधिक जिम्मेदारियां लेने और स्वयं निर्णय लेने की आदत पड़ जाती है।

3. एक कामकाजी मां के साथ बड़ा होते हुए बच्चे विभिन्न परिस्थितियों में खुद को ढालना और चुनौतियों से पार पाना सीखते हैं। इसके साथ ही बच्चे अपनी मां से जीवन में लचीलापन और मुकाबला करने का कौशल बिना सिखाए सीखते रहते हैं।

4. अपनी वर्किंग मां को काम और पारिवारिक जिम्मेदारियों के बीच संतुलन बनाते हुए देखना बच्चों में समय के साथ सामंजस्य बनाने की कला को विकसित करता है। बच्चे बचपन से ही टाइम मैनेजमेंट के गुर सीख जाते हैं।

5. वर्किंग मदर्स अपने बच्चों के सामने जेंडर इक्वालिटी की मिसाल पेश करती हैं। बच्चे अपनी मां को देख सीखते हैं कि घर की जिम्मेदारियां संभालने में महिलाएं और पुरुषों में कोई भेद नहीं होता है। महिलाएं भी वो सब कर सकती हैं जो कोई मर्द करता है।

6. कामकाजी माताओं के बच्चे अक्सर अपनी शिक्षा और करियर को लेकर दूसरे बच्चों से ज्यादा महत्वाकांक्षी नजर आते हैं। दरअसल वह शुरू से ही अपनी वर्किंग मां के साथ सकारात्मक माहौल में पलते-बढ़ते रहे हैं।

आशा करते हैं कि इस आर्टिकल को पढ़ने के बाद शायद ही किसी वर्किंग मदर के अंदर अब किसी भी तरह का गिल्ट या अपराध बोध होगा। अगर आपको यह आर्टिकल पसंद आया हो तो आप अपनी किसी वर्किंग मदर दोस्त या कलीग को ये आर्टिकल भेज उनकी दुविधा दूर कर सकते हैं।

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Suneet Singh author

मैं टाइम्स नाऊ नवभारत के साथ बतौर डिप्टी न्यूज़ एडिटर जुड़ा हूं। मूल रूप से उत्तर प्रदेश में बलिया के रहने वाला हूं और साहित्य, संगीत और फिल्मों में म...और देखें

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