Qateel Shifai Shayari: हम उसे याद बहुत आएंगे, जब उसे भी कोई ठुकराएगा..मुहब्बत का इंकलाब हैं क़तील शिफ़ाई के ये मशहूर शेर

Qateel Shifai Shayari in Hindi: जिन दिनों फिल्मों में कैफ़ी आज़मी, अमृता प्रीतम, मजरूह सुल्तानपुरी, साहिर लुधियानवी, मजाज़ लखनवी और अहमद फ़राज़ नगमानिगारों की तूती बोलती थी उन्हीं के बीच क़तील शिफ़ाई ने अपनी अलग ही पहचान बनाई। 'इरशाद' के आज के अंक में पढ़ेंगे क़तील शिफ़ाई के चंद मशहूर शेर:

Qateel Shifai

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Qateel Shifai Shayari in Hindi: क़तील शिफ़ाई पाकिस्तान के बेहद पसंदीदा शायर थे। उनका जन्म 24 दिसंबर, 1919 को अविभाजित हिंदुस्तान में हुआ था। उनका असली नाम औरंगजेब खां था। क़तील शिफ़ाई के पिता एक व्यापारी थे और उनके परिवार में शेर-ओ-शायरी की कोई परंपरा नहीं थी। बावजूद इसके कतील न केवल भारत-पाकिस्तान के बल्कि दुनिया के मशहूर शायरों में शुमार हुए। देखते ही देखते वह पाकिस्तान में रूमानी अन्दाज के बेहद मशहूर शायर के तौर पर विख्यात हो गए। उनकी नज़्मों में एक अलग तरह की कसक नजर आती है। उनकी शायरी में ऐसा जादू है कि पढ़ने और सुनने वाला अपने आप को पूरी तरह से भूल जाता। आइए डालते हैं कतली शिफाई की कुछ मशहरू शायरी:

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हमें भी नींद आ जाएगी हम भी सो ही जाएँगे

अभी कुछ बे-क़रारी है सितारो तुम तो सो जाओ

जब भी आता है मिरा नाम तिरे नाम के साथ

जाने क्यूँ लोग मिरे नाम से जल जाते हैं

आख़री हिचकी तिरे ज़ानूँ पे आए

मौत भी मैं शाइराना चाहता हूँ

यूँ लगे दोस्त तिरा मुझ से ख़फ़ा हो जाना

जिस तरह फूल से ख़ुशबू का जुदा हो जाना

उफ़ वो मरमर से तराशा हुआ शफ़्फ़ाफ़ बदन

देखने वाले उसे ताज-महल कहते हैं

चलो अच्छा हुआ काम आ गई दीवानगी अपनी

वगरना हम ज़माने भर को समझाने कहाँ जाते

दिल पे आए हुए इल्ज़ाम से पहचानते हैं

लोग अब मुझ को तिरे नाम से पहचानते हैं

थक गया मैं करते करते याद तुझ को

अब तुझे मैं याद आना चाहता हूँ

ये ठीक है नहीं मरता कोई जुदाई में

ख़ुदा किसी को किसी से मगर जुदा न करे

गिरते हैं समुंदर में बड़े शौक़ से दरिया

लेकिन किसी दरिया में समुंदर नहीं गिरता

यूँ बरसती हैं तसव्वुर में पुरानी यादें

जैसे बरसात की रिम-झिम में समाँ होता है

दूर तक छाए थे बादल और कहीं साया न था

इस तरह बरसात का मौसम कभी आया न था

तुम पूछो और मैं न बताऊँ ऐसे तो हालात नहीं

एक ज़रा सा दिल टूटा है और तो कोई बात नहीं

ले मेरे तजरबों से सबक़ ऐ मिरे रक़ीब

दो-चार साल उम्र में तुझ से बड़ा हूँ मैं

हम उसे याद बहुत आएँगे

जब उसे भी कोई ठुकराएगा

बता दें कि कतील शिफाई ने फिल्मों के लिए भी खूब लिखा। उनके गीतों को भारत और पाकिस्तान दोनों ही देशों की फिल्मों में शामिल किया गया है। जिन दिनों फिल्मों में कैफ़ी आज़मी, अमृता प्रीतम, मजरूह सुल्तानपुरी, साहिर लुधियानवी, मजाज़ लखनवी और अहमद फ़राज़ नगमानिगारों की तूती बोलती थी उन्हीं के बीच कतील ने अपनी अलग ही पहचान बनाई।

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Suneet Singh author

मैं टाइम्स नाऊ नवभारत के साथ बतौर डिप्टी न्यूज़ एडिटर जुड़ा हूं। मूल रूप से उत्तर प्रदेश में बलिया के रहने वाला हूं और साहित्य, संगीत और फिल्मों में म...और देखें

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