Rahat Indori Shayari: माचिस की जरूरत यहां नहीं पड़ती, यहां आदमी आदमी से जलता है.., हर मर्ज की दवा हैं राहत इंदौरी के ये चुनिंदा शेर
Rahat Indori Shayari in Hindi 2 lines: राहत इंदौरी की शायरी की सादगी और बहुत मुश्किल तरीके की शायरी को आसान शब्दों में समझाने के लहजे का तरीका ही राहत इंदौरी को दूसरे शायरों से अलग बनाती है।
Rahat Indori Shayari Lage aag
Rahat Indori Shayari in Hindi (राहत इंदौरी शायरी हिंदी 4 लाइन) : जब भी भारत में शेर-ओ-शायरी के फनकारों की बात होती है तो एक नाम जरूर आता है। वह नाम है राहत इंदौरी का। राहत इंदौरी उर्दू और हिंदी शायरी का वो हीरा हैं, जो अपनी प्रभावशाली और दिल को छू लेने वाली शायरी के लिए जाने जाते थे। उनकी सादगी और आम लोगों के लिए लिखी गयी उनकी शायरी ने उन्हें न केवल भारत में बल्कि दुनिया भर में एक बड़ा मुकाम दिलाया। राहत इंदौरी का जन्म 1 जनवरी, 1950 को मध्य प्रदेश के इंदौर में हुआ था। वह बेहद साधारण परिवार में पले बढ़ें। उन्हें शायरी का शौक वैसे तो बचपन से ही था पर उनकी शायरी यात्रा उनके कॉलेज के दिनों के दौरान शुरू हुई थी। राहत की दमदार आवाज और आम लोगों के जिंदगी से जुड़ी कविता ने उन्हें जल्द ही उर्दू शायरी की दुनिया में बड़ा नाम दिया। राहत इंदौरी के कलम से निकले कुछ चुनिंदा शेर हम आपके मानिंद कर रहे हैं:
1. माचिस की जरूरत यहां नहीं पड़ती,
यहां आदमी आदमी से जलता है।
2. अगर खिलाफ है होने दो, जान थोड़ी है,
ये सब धुआं है, कोई आसमान थोड़ी है।
3. आंखों में पानी रखो, होठों पे चिंगारी रखो,
जिन्दा रखना है तो तकलीफें बहुत सारी रखो,
4. राह के पत्थर से बढ़ कर, कुछ नहीं हैं मंजिलें,
रास्ता आवाज देती है, सफर जारी रखो।
5. जाने मुझको क्या सूझी है शब्दों की अंगड़ाई में,
मीर की गज़लें ढूंढ़ रहा हूं तुलसी की चौपाई में।
6. मैं आखिर कौन सा मौसम तुम्हारे नाम कर देता,
यहां हर एक मौसम को गुज़र जाने की जल्दी थी।
7. जो दौर है दुनिया का उसी दौर से बोलो,
बहरों का इलाका है जरा जोर से बोलो।
8. अकेला खुश हूं मैं परेशान मत कर,
इश्क़ है तो इश्क़ कर, एहसान मत कर।
9. घर के बाहर ढूंढ़ता रहा दुनिया,
घर के अंदर दुनियादारी मिली।
10. अब तो ना हूं मैं और ना ज़माने मेरे,
फिर भी मशहूर है शहरों में फ़साने मेरे।
11. जो ज़ाहिर करना पड़े, वह दर्द कैसा,
और जो दर्द न समझ सका, वो हमसफ़र कैसा।
12. मर्द ने हर बार मोहब्बत की आजमाइश मैं,
अभी काबिलियत के नज़ाने दिए है।
13. ऊंचे ऊंचे दरबारों से क्या लेना,
नंगे भूखे बेचारों से क्या लेना,
अपना मालिक ऊपर वाला है,
आते जाते लोगों से क्या लेना।
14. दर्द, दुआ, ख्वाब, दवा, जहर जाम क्या क्या है,
मैं आ रहा हूं, बता इंतजाम क्या क्या है।
15. जुबान तो खोल, नज़र तो मिला, जवाब तो दे,
मैं कितनी बार लुटा हूं, हिसाब तो दे,
तेरे बदन की लिखावट में, है उतार चढ़ाव,
मैं तुझे कैसे पढूंगा, मुझे किताब तो दे।
16. बुलाती है मगर जाने का नहीं,
ये दुनिया है, इधर जाने का नहीं,
मेरे बेटे इश्क़ कर मगर,
हद से गुजर जाने का नहीं।
बता दें कि राहत इंदौरी की शायरी सिर्फ एक शायरी नहीं है बल्कि लोगों के घावों को भरने की दवा भी है। हर कोई अपने तरीके से राहत इंदौरी के कलम से निकले इन शेरों को अपना सकता है। अगर आपको राहत इंदौरी के चुनिंदा शेर पसंद आए हों तो आप इन्हें अपने सोशल मीडिया अकाउंट से शेयर भी कर सकते हैं।
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मैं टाइम्स नाऊ नवभारत के साथ बतौर डिप्टी न्यूज़ एडिटर जुड़ा हूं। मूल रूप से उत्तर प्रदेश में बलिया के रहने वाला हूं और साहित्य, संगीत और फिल्मों में म...और देखें
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