Rakhi Par Kavita: प्रीत के धागो के...रक्षा बंधन पर कविताएं - यहां देखें राखी पर प्रसिद्ध कवियों की खूबसूरत कविताएं
Rakhi Par Kavita, Rakhi Par Kavita In Hindi: इस बार दो दिन 30 और 31 अगस्त को राखी का पर्व मनाया जा रहा है। यहां हम आपके लिए राखी पर कविता, राखी पर हिंदी कविता, राखी की प्रसिद्ध कविताएं और रक्षा बंधन की हिंदी कविता लिखित लेकर आए हैं।
Rakhi Par Kavita, Rakhi Par Kavita In Hindi: यहां देखें राखी पर प्रसिद्ध कवियों की कविताएं
Rakhi Par Kavita, Rakhi Par Kavita In Hindi: इस बार 30 और 31 अगस्त को रक्षा बंधन का पर्व पूरे देश में मनाया जा रहा है। सनातन धर्म में इस पावन पर्व का विशेष (Rakhi Par Kavita) महत्व है। कहा जाता है कि, इस दिन भाई की कलाई में रक्षा सूत्र बांधने से उसे दीर्घायु की प्राप्ति होती (Rakhi Ki Kavita) है तथा उसके जीवन में आने वाले सभी कष्टों का निवारण होता है।
वहीं बहन के राखी बांधने पर भाई इस दिन अपनी बहना को उपहार देता है और अंतिम सांस तक उसकी रक्षा का वादा (Rakhi Poem In Hindi) करता है। इस दिन कई तरह के कार्यक्रम भी आयोजित किए जाते हैं। जगह-जगह लोग राखी मिलन समारोह मनाते हैं। यहां हम आपके लिए रक्षा बंधन पर कविता, राखी की कविता व राखी पर प्रसिद्ध कविताएं लिखित में लेकर आए हैं।
Rakhi Par Kavita: प्रीत के धागो के..प्रीत के धागो के बंधन में,
स्नेह का उमड़ रहा संसार,
सारे जग में सबसे सच्चा,
होता भाई बहन का प्यार,
नन्हे भैया का है कहना,
राखी बांधो प्यारी बहना।
सावन की मस्तीली फुहार,
मधुरिम संगीत सुनती है,
मेघों की ढोल ताप पर,
वसुंधरा मुस्काती है।
आया सावन का महीना,
राखी बांधो प्यारी बहना।
राखी का आज त्यौहार है
बहन भाई के लिए बहुत खास है
लाया खुशियों की बहार है
रेशम के धागे से बंधा प्यार है।
बहनें आज भाइयों को
कुमकुम का तिलक लगाती हैं
अपने प्यारे हाथों से
भाई को मिठाई खिलाती है।
भाई की सूनी कलाई पर
रेशम का धागा बांधती है
बदले में भाई से रक्षा का
अनमोल वायदा पाती है।
Rakhi Par Kavita In Hindi: हिम-शिखर पर जाकर...वह मरा कश्मीर के हिम-शिखर पर जाकर सिपाही,
बिस्तरे की लाश तेरा और उसका साम्य क्या?
पीढ़ियों पर पीढ़ियाँ उठ आज उसका गान करतीं,
घाटियों पगडंडियों से निज नई पहचान करतीं,
खाइयाँ हैं, खंदकें हैं, जोर है, बल है भुजा में,
पाँव हैं मेरे, नई राहें बनाते जा रहे हैं।
यह पताका है,
उलझती है, सुलझती जा रही है,
जिन्दगी है यह,
कि अपना मार्ग आप बना रही है।
मौत लेकर मुट्ठियों में, राक्षसों पर टूटता हूँ,
मैं, स्वयं मैं, आज यमुना की सलोनी बाँसुरी हूँ,
पीढ़ियाँ मेरी भुजाओं कर रहीं विश्राम साथी,
कृषक मेरे भुज-बलों पर कर रहे हैं काम साथी,
कारखाने चल रहे हैं रक्षिणी मेरी भुजा है,
कला-संस्कृति-रक्षिता, लड़ती हुई मेरी भुजा है।
उठो बहिना,
आज राखी बाँध दो श्रृंगार कर दो,
उठो तलवारों,
कि राखी बँध गई झंकार कर दो।
-माखनलाल चतुर्वेदी
Raksha Bandhan Poem In Hindiआज बहन ने बड़े प्रेम से
रंग बिरंगा चौक बनाया
इसके बाद चौक के ऊपर
अपने भैया को बिठाया
रंग बिरंगी राखी बाँधी
फिर सुंदर सा तिलक लगाया
गोल गोल रसगुल्ला खाकर
भैया मन ही मन मुस्कुराया
थाल सजाकर दीप जलाकर
भैया की आरती उतारी
मन ही मन में कहती बहना
भैया रखना लाज हमारी
करना सदा बहन की रक्षा
भैया तुमको समझता है
कच्चे धागों का ये बंधन
रक्षा बंधन कहलाता है।
यहां आप रक्षा बंधन पर प्रसिद्ध कविओं की कविताएं नोट कर सकते हैं।
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