रिटर्न टू ऑफिस: बच्चे के बाद करियर को नहीं लगेगा ब्रेक, ये संस्था दे रही महिलाओं को खास मौका

Return To Office: मां बनना महिलाओं के लिए वो खास पल होते है, जिसे वो जी भरकर इंजॉय करने के साथ ही अपना सारा वक्त बच्चे के साथ बिताना चाहती है। लेकिन ऐसे में कामकाजी महिलाओं को करियर से ब्रेक लेना पड़ता है, और ब्रेक के बाद वापसी बेहद मुश्किल होती है। ऐसे में इस संस्था ने ऐसी महिलाओं का उनकी काबीलियत के अनुसार काम दिलवाने का जिम्मा उठाया है। आज हम इसी संस्था की फाउंडर संकरी से बात कर उनकी जर्नी के बारे में बताने जा रहे है।

working woman

Return to Office (Represantative Image)

Return to office: मां बनना औरत के लिए दूसरे जन्म जैसा होता है और जितना ये एक कामकाजी महिला के लिए खुशी से भरा होता है उतना ही मुश्किल भी। क्योंकि मां बनने के साथ ही एक महिला मां तो बन जाती है लेकिन उसकी खुद की पहचान उन सब में कहीं खो सी जाती है। खासकर तब जब इस पल के एहसास के लिए और अपने बच्चे की देखभाल के लिए वो अपने करियर से ब्रेक लेती है। इस ब्रेक के बाद वापस काम मिलने तक का जो समय होता है वो बेहद मुश्किल और संघर्षों से भरा होता है। आज एक ऐसी ही कहानी हम आपको बताने वाले हैं। ये कहानी चेन्नई में रहने वाली संकरी की है, जो एक ऐसा स्टार्टअप चलाती हैं जिसमें वो प्रेगेन्सी ब्रेक के बाद काम पर वापस लौटने के लिए उत्साहित महिलाओं की मदद करती हैं।
30 वर्षीय संकरी MIT(मद्रास इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी) से कंप्यूटर साइंस इंजीनियरिंग में ग्रेजुएट हैं और मां बनने से पहले वो एक IT कंपनी में अच्छे पोस्ट पर थीं। संकरी ने मां बनने के बाद अपने बच्चे की देखभाल के लिए करियर से 1 साल का ब्रेक लिया। वो कहती हैं - मैं जब भी घर पर होती तो सोचती कि मैं सिर्फ होममेकर बनने के लिए नहीं बनी, बल्कि मैं इससे बहुत बेहतर कर सकती हूं। जिसके लिए मैंने बेटे के बड़े होते ही अपना करियर फिर से शुरू करने का मन बनाया और कंपनियों में आवेदन भेजना शुरू किया। इस तलाश में मुझे ज्यादात्तर डाटा एंट्री के जॉब ऑफर मिलते थे और मैं जानती थी कि मैं इस पोस्ट के लिए ओवरक्लावीफाइड हूं।
एक अमेरिकी इंस्टीयूट ब्यूरो ऑफ इकोनॉमिक रिसर्च के मुताबिक, 'मातृत्व दंड' के कारण दुनिया में एक चौथाई महिलाएं अपने पहले बच्चे के बाद अपना करियर छोड़ घर बैठ जाती हैं।
संकरी कहती हैं- जब मुझे कंपनियों से मेरी क्वालिफिकेशन के अनुसार नौकरी नहीं मिली तो मैंने अपने दोस्तों और मेरे आसपास की महिलाओं से बात करना शुरू किया। जिसमें मैंने पाया कि मैं अकेली नहीं हूं जिसे क्वालिफाइड होने के बाद भी नौकरी नहीं मिल रही। बल्कि ऐसी अनेकों महिलाएं हैं और ये देख कर मैं हैरान थी।
'ओवरक्लावीफाइड हाउसवाइफ' की शुरुआत
संकरी ने अपने नेटवर्क और अपनी क्वालिफिकेशन का इस्तेमाल कर 2021 में अपना स्टार्टअप शुरू किया। जिसमें वो ऐसी हाउसवाइफ की मदद करती हैं जो बच्चे की देखभाल करते हुए अपने करियर में भी एक मुकाम बना सकें। संकरी कहती हैं- मैंने जब महिलाओं से बात की तो पाया कि क्वालिफिकेशन होने के बाद उन्हें सही पोस्ट पर नौकरी नहीं मिल रही। जिसके बाद मैंने सोचा कि जब क्वालिफिकेशन है तो कम में क्यों काम चलाना. इसलिए मैंने अपने काम की शुरूआत की। और ऐसी महिलाओं को जोड़ना शुरू किया जिन्हें घर पर रहते हुए अपना करियर भी साथ-साथ मैनेज करना हो।
संकरी कहती है- एक दिन मैं न्यूजपेपर पढ़ रही थी, तब मैंने पाया कि दुनियाभर में सबसे ज्यादा 'ओवरक्लावीफाइड हाउसवाइफ' भारत में हैं। सबसे बड़ी बात है कि इसे कोई इतना महत्वपूर्ण भी नहीं समझता। इसी के बाद मैंने महिलाओं की मदद करने की ठानी।
वर्ल्ड बैंक ग्लोबल रिपोर्ट 2022 के मुताबिक, भारत में 15 साल की उम्र से बड़ी सिर्फ 24 प्रतिशत महिलाएं कामकाजी हैं।
कैसे काम करती है कंपनी?
कंपनी के मैनेजमेंट पर संकरी ने जानकारी देते हुए बताया कि हमारी वेबसाइट पर महिलाएं रजिस्टर करती हैं. जिसमें हम उनकी सिंपल डिटेल्स मांगते हैं। फिर जिस कंपनी के साथ उनकी स्किल और डिटेल्स मिलती है वहां इनकी डिटेल्स शेयर कर देते हैं।
ओवरक्वालिफाइड हाउसवाइफ के साथ साइन अप करने वाले हर एक उम्मीदवार के इंटरव्यू से पहले संकरी और उनकी टीम द्वारा जांच की जाती है। यहां महिलाओं को कंटेंट राइटिंग, सोशल मीडिया, डिजाइन और SEO के लिए काउंसलिंग और अप-स्किलिंग सेमिनार भी दिया जाता है। जिसकी फीस लगभग 199 रुपए प्रति सेशन है।
कंपनियों से कनेक्शन बनाना कितना आसान और कितना मुश्किल?
संकरी बताती है- शुरूआत में बहुत दिक्कत आई, लेकिन धीरे-धीरे कंपनियां हमारे काम को पसंद करने लगी। हमारे पास बहुत सारी ऐसी कंपनियां रजिस्टर हैं जिन्हें अपनी कंपनी के लिए रिमोट वर्कर चाहिए होता है। जिसके कारण कंपनियों को अपने कर्मचारी मिल जाते हैं और महिलाओं को घर बैठे काम मिल जाता है। इसके साथ ही स्टार्टअप कंपनियों के साथ-साथ हमारे पास विदेशों की भी कई कंपनियां रजिस्टर हैं। इन्हीं कंपनियों के जरिए ही हम अपना रेवेन्यू भी जनरेट करते हैं। हमारे साथ अबतक 25000 महिलाएं जुड़ चुकी हैं।
'वर्क फ्रॉम होम' विकल्प या समाधान
संकरी के मुताबिक - वर्क फ्रॉम होम कभी भी समाधान नहीं हो सकता। ये सिर्फ एक विकल्प है, क्योंकि महिलाओं को घर के साथ अपना करियर देखना है। भारत में समाज के मुताबिक महिलाओं की शादी और बच्चों के बाद उनकी पूरी दुनिया वही हो जाती है। वो अपना ख्याल तक रखना भूल जाती हैं, ये तो फिर भी करियर है। ऐसे में जब आपको दोनों में बैलेंस बनाना हो तो वर्क फ्रॉर होम एक विकल्प के तौर पर आता है। जिसमें आप अपने घर के साथ खुद को भी महत्वपूर्ण मानते हुए काम कर सकते हो। साथ ही समय की भी कोई पाबंदी ना होने के कारण महिलाएं कभी भी और कहीं से भी काम कर सकती हैं।
मातृत्व लाभ अधिनियम 2017 के मुताबिक, 50 से ज्यादा कर्मचारी रखने वाली कंपनियों के लिए डे केयर रखना अनिवार्य है, लेकिन इससे भी महत्वपूर्ण बात ये है कि इस कानून को कितनी कंपनियां मानती हैं।
त्रिची की रहने वाली गायत्री नेपोलियन जो की पेशे से एक डेटा विश्लेषक है वो कहती हैं कि जब मेरी शादी हुई तो मैं एक ऑडिट फर्म में काम कर रही थी। कुछ दिनों के बाद मैंने एक सरकारी फर्म में कॉन्ट्रेक्ट कर्मचारी के तौर पर काम करना शुरू कर दिया। मैं अपने घर और काम दोनों को एक साथ संभालने के लिए बेहद उत्साहित थी। कुछ दिनों के बाद जब मैं प्रेग्नेंट हुई तो मैंने आखिर तक छुट्टी ना लेते हुए अपने काम के साथ अपनी आगे की पढ़ाई भी जारी रखी। लेकिन जब डिलीवरी हुई उसके बाद मुझे अपने बच्चे की देखभाल के लिए काम छोड़ना पड़ा। मेरे पति एक सिविल इंजीनियर हैं और क्योंकि मैं छुट्टी पर थी तो उन्हें पूरे परिवार का खर्चा संभालना पड़ता था। ऐसे में मैं फिर से काम की तलाश करने लगी। लेकिन जितना मुझे ये आसान लगा ये उतना ही मुश्किल और कभी खत्म ना होने जैसी तलाश थी। फिर मुझे इंस्टाग्राम पर 'ओवरक्वालिफाइड हाउसवाइफ' का पेज दिखा और मैंने यहां रजिस्टर किया। इंटरव्यू होने के बाद मैं एक बड़े फर्म के साथ काम कर रही हूं।
गायत्री नेपोलियन बताती हैं कि आपके आसपास हर कोई आपको काम ना करने की सलाह के साथ परिवार के प्रति जिम्मेदारी के हर पहलू गिनवाएगा। लेकिन आर्थिक तौर पर स्वंतत्र होना कितना जरूरी है इसे आपको समझना होगा। ये सिर्फ परिवार को सपोर्ट करना नहीं बल्कि खुद के आत्मसम्मान के लिए भी जरूरी है।
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सोनाली ठाकुर author

मैं सोनाली ठाकुर टाइम्स नाउ नवभारत में बतौर सीनियर रिपोर्टर कार्यरत हूं। मेरी महिलाओं से जुड़े मुद्दों के साथ-साथ एंटरटेनमेंट और ऐतिहासिक मुद्दों पर भ...और देखें

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